Tuesday 28/ 10/ 2025 

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केरल में हर साल 500 बच्चे घर पर हो रहे पैदा, डॉक्टरों ने की सख्त कानून की मांग

प्रतीकात्मक फोटो
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प्रतीकात्मक फोटो

केरल के चिकित्सा समुदाय ने राज्य में घर पर प्रसव करने की घटनाओं पर गहरी चिंता जाहिर की है और ऐसी अपराधिक प्रथाओं के खिलाफ कड़ा कानून बनाने की मांग की है। केरल सरकार चिकित्सा अधिकारी संघ (KGMOA) ने 5 अप्रैल को मलप्पुरम जिले में एक 35 वर्षीय महिला की हुई मौत पर कड़ा विरोध जताया। महिला की मृत्यु अत्यधिक रक्तस्राव के कारण हुई थी, जब वह अपने किराए के घर में बच्चे को जन्म दे रही थी। संघ ने कहा कि इस प्रकार की अपराधिक प्रथाओं के खिलाफ कड़ा कानून बनाना अत्यंत आवश्यक है।

KGMOA ने कहा, “यह बेहद परेशान करने वाली बात है कि इस युग में भी जब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है, लोग अभी भी ऐसी उपचार विधियों को अपनाने को तैयार हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। संगठन मांग करता है कि ऐसी आपराधिक प्रथाओं के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाना चाहिए।” 

“हर नागरिक का हक”

केरल की स्वास्थ्य सेवा में डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र संगठन KGMOA ने यह भी जिक्र किया कि केरल एक ऐसा राज्य है जिसने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संकेतकों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। खासकर, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में जो विकसित देशों के बराबर है। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में इन उपलब्धियों का लाभ, जो वर्षों के सामूहिक प्रयास से हासिल हुआ है, हर नागरिक का हक है।

संघ ने कहा, “यह सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में मिली ये उपलब्धियां, जो वर्षों की सामूहिक मेहनत से हासिल की गई हैं, हर नागरिक का अधिकार हैं, लेकिन कुछ विशेष स्वार्थी तत्वों के कारण केरलवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित किया जा रहा है और कीमती मानव जीवन की हानि हो रही है।”

हर साल 3 लाख प्रसव

KGMOA ने यह भी बताया कि हर साल लगभग 3,00,000 प्रसव होते हैं, जिनमें से अधिकांश अस्पतालों में होते हैं, लेकिन लगभग 500 प्रसव अभी भी घर पर होते हैं। संघ ने इस समस्या का मुख्य कारण यह बताया कि लोग या तो जानबूझकर या अनजाने में अप्रचलित और अवैज्ञानिक उपचार विधियों की ओर आकर्षित होते हैं।

संघ ने कहा, “प्रसव के दौरान और बाद में उचित चिकित्सा सहायता प्राप्त करना और समाज में स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार हर बच्चे का है। इस अधिकार को नकारना एक दंडनीय अपराध है और ऐसी प्रथाओं के खिलाफ कड़े कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए। इस मामले में सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।”

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने मलप्पुरम में एक महिला की घर पर प्रसव के दौरान मृत्यु के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से घर पर प्रसव को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ चेतावनी दी है। महिला के पति को गिरफ्तार कर गैर-इरादतन हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। मंत्री ने कहा, “सांख्यिकी के अनुसार, राज्य में हर साल लगभग 400 घर पर प्रसव होते हैं। इस वर्ष कुल दो लाख प्रसव हुए, जिनमें से 382 घर पर प्रसव थे।” (इनपुट- भाषा)

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