Tuesday 21/ 10/ 2025 

बिहार नहीं लेकिन इस राज्य में साथ आ गई कांग्रेस और AIMIM, उपचुनाव में दिया समर्थन‘थामा’ का दिवाली धमाका… आयुष्मान को मिली करियर की टॉप ओपनिंग – thamma box office collection ayushmann khurrana career top opening ntcpsmलोकपाल को 7 लोगों की टीम के लिए चाहिए 7 BMW कारें, निकाला टेंडर, जानें कितनी है कीमतमदुरै में हुई झमाझम बार‍िश, देखें वीड‍ियोदिवाली समारोह के दौरान केरल के मंदिर में बवाल, नशे में धुत युवकों ने पुलिस अधिकारियों पर किया हमलाग्रेटर नोएडा: पंचायत में चाचा-भतीजे की हत्या से दहल उठा इलाका… अचानक तड़तड़ाई गोलियां, फिर जमीन पर गिरी 2 लाशें – Greater Noida Murder of uncle and nephew in Panchayat video viral gun fire Jarcha lclamबंगाल की खाड़ी के ऊपर बना लो प्रेशर एरिया, इस राज्य में भारी बारिश का अनुमान, येलो अलर्ट जारीपूर्व DGP मुस्तफा और मंत्री पत्नी पर बेटे की कत्ल का केस, जानें पूरा मामलाकर्नाटक में कुछ तो गड़बड़ है! CM के सलाहकार ने बालू माफिया को खुली छूट मिलने का लगाया आरोप, लिखी चिट्ठीआज के दौर में गुरु गोलवलकर जन्म लेते तो बन जाते टीवी के ‘गूगल बॉय’ – Madhav Sadashivrao Golwalkar rss life and profile 100 years sangh ntcppl
देश

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकती है केंद्र सरकार, राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए समयसीमा निर्धारित करने का मामला

supreme court
Image Source : FILE PHOTO
सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर समीक्षा याचिका दायर कर सकती है। सरकार का मानना है कि फैसले में कुछ बिंदु कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

समीक्षा याचिका दायर करने को लेकर होगी चर्चा

अधिकारियों के अनुसार, समयसीमा की समीक्षा की मांग के अलावा, सरकार सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश की समीक्षा की मांग कर सकती है, जिसके अनुसार यदि राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गए विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी मंजूरी नहीं देते हैं तो राज्य सरकारें सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, “अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन समीक्षा याचिका पर विचार किया जा रहा है।” अधिकारी ने समीक्षा याचिका दायर करने की समयसीमा नहीं बताई। दूसरे अधिकारी ने कहा कि समीक्षा के आधार पर भी अभी चर्चा होनी है।

किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला?

पिछले सप्ताह एक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किया था कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा विचार के लिए आरक्षित विधेयकों पर उस तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर निर्णय लेना चाहिए, जिस दिन ऐसा संदर्भ प्राप्त होता है। फैसले के बाद, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए सरकारी राजपत्र में 10 अधिनियमों को अधिसूचित किया, जिसके अनुसार उन्हें स्वीकृति प्राप्त हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 विधेयकों को भी मंजूरी दी, जिन्हें तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राष्ट्रपति के विचार के लिए रोक रखा था।

शुक्रवार रात को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए 415 पन्नों के फैसले के अनुसार, न्यायालय ने सभी राज्यपालों को राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए एक महीने की समयसीमा निर्धारित की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा “हम गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित समयसीमा को अपनाना उचित समझते हैं और निर्धारित करते हैं कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा उनके विचार के लिए आरक्षित विधेयकों पर उस तारीख से 3 महीने की अवधि के भीतर निर्णय लेना आवश्यक है, जिस दिन ऐसा संदर्भ प्राप्त हुआ है। इस अवधि से परे किसी भी देरी के मामले में, उचित कारणों को दर्ज करना होगा और संबंधित राज्य को बताना होगा। राज्यों को भी सहयोगात्मक होना चाहिए और उठाए जा सकने वाले प्रश्नों के उत्तर देकर सहयोग करना चाहिए और केंद्र सरकार द्वारा दिए गए सुझावों पर शीघ्रता से विचार करना चाहिए।”

सर्वोच्च न्यायालय ने दूसरे चरण में राष्ट्रपति के विचार के लिए 10 विधेयकों को आरक्षित करने के फैसले को अवैध और कानून की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, “जहां राज्यपाल राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित रखते हैं और राष्ट्रपति उस पर अपनी सहमति नहीं देते हैं, तो राज्य सरकार के लिए इस न्यायालय के समक्ष ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार होगा।”  

केंद्र सरकार का क्या कहना है?

केंद्र सरकार खासकर उस बात पर पुनर्विचार चाहती है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं और राष्ट्रपति उस पर कोई फैसला नहीं लेते हैं, तो राज्य सरकार सीधे राष्ट्रपति से बात कर सकती है। सरकार को लगता है कि यह नियम सही नहीं है और इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए, सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है।

यह भी पढ़ें-

‘भारत में बीजेपी की सरकार, होगा टॉर्चर’, राणा के प्रत्यर्पण को रोकने के लिए US कोर्ट में खेला गया था मुस्लिम कार्ड

Latest India News




Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL