Monday 13/ 10/ 2025 

Aaj Ka Meen Rashifal 13 October 2025: प्रॉपर्टी से संबंधित काम बनेंगे,उपाय- किसी गरीब को आटे का दान करेंफिलीपींस में भूकंप से फिर दहली धरती, रिक्टर स्केल पर 5.7 रही तीव्रता – philippines leyte earthquake 5 7 magnitude ntcउत्तराखंड में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 44 अधिकारी बदले, 5 जिलों के DM स्थानांतरित‘कुरान न पढ़ने की जिद बनी कत्ल की वजह’, बागपत की मस्जिद में ट्रिपल मर्डर का खुलासा – baghpat triple murder of maulana faimily in mosque revealed lclntअसम की जनसंख्या पर CM हिमंत का बड़ा दावा- हिंदू आबादी घटकर हुई 40%; इतनी है मुस्लिम आबादीपीएम मोदी के ‘विशेष दूत’ बनकर रूस पहुंचे यूपी के डिप्टी CM केशव मौर्य, जानिए मामला – UP Deputy CM Keshav Maurya arrives in Russia as PM Modis special envoy know matter lclamपी चिदंबरम बोले- 'ऑपरेशन ब्लू स्टार एक गलती थी', कांग्रेस लीडरशिप नाराज, बीजेपी बोली- 'आधे सच से न्याय नहीं मिलता'PAK vs SA: ‘ड्रामा करेगा…’, बाबर आजम पर क्यों भड़के कमेंटेटर रमीज राजा, Video वायरल – Rameez raja on babar azam He will create drama Pakistan vs south Africa test match ntcpas"अफगानिस्तान में TTP का कोई मरकज नहीं", पाकिस्तान पर अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने साधा निशाना, कहा- 4 साल से यहां शांति हैदुर्गापुर गैंगरेप: CM ममता का विवादित बयान, जानें…
देश

‘दुनिया तभी आपको सुनती है जब आपके पास शक्ति हो’, जयपुर में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

Mohan Bbhagwat
Image Source : PTI
मोहन भागवत

जयपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया तभी आपको सुनती है जब आपके पास शक्ति हो। दुनिया में प्रेम की भाषा तभी सुनी जाता है जब देश शक्तिशाली होता है। उन्होंने जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में यह बात कही। संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि उसकी भूमिका बड़े भाई की है। भारत विश्व में शांति और सौहार्द के लिए कार्य कर रहा है।

भारत में त्याग की परंपरा 

सरसंघचालक  ने कहा कि भारत में त्याग की परंपरा रही है। भगवान श्री राम से लेकर भामाशाह को हम पूजते और मानते हैं। विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है, लेकिन इसके लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारत किसी से द्वेष नहीं रखता, लेकिन विश्व प्रेम और मंगल की भाषा भी तब ही सुनता है जब आपके पास शक्ति हो। यह दुनिया का स्वभाव है। इस स्वभाव को बदला नहीं जा सकता, इसलिए विश्व कल्याण के लिए हमें शक्ति संपन्न होने की आवश्यकता है। और हमारी ताक़त विश्व ने देखी है। 

विश्व कल्याण हमारा धर्म

उन्होंने कहा कि विश्व कल्याण हमारा धर्म है। विशेषकर हिन्दू धर्म का तो यह पक्का कर्तव्य है। यह हमारी ऋषि परंपरा रही है, जिसका निर्वहन संत समाज कर रहा है। उन्होंने रविनाथ महाराज के साथ बिताए अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनकी करुणा से हम लोग जीवन में अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। 

भावनाथ महाराज ने मोहन भागवत को किया सम्मानित

उन्होंने कहा कि इस आश्रम के मंच पर ना ही मैं सम्मान का अधिकारी हूं और ना ही मैं भाषण का अधिकारी हूं। और सम्मान होना ही है तो मैं अकेला तो कुछ नहीं कर रहा हूं। 100 साल से प्रवर्तित परंपरा चल रही है। उस परंपरा में लाखों कार्यकर्ता हैं। प्रचारकों जैसे ही गृहस्थ कार्यकर्ता भी हैं। इतने सारे कार्यकर्ताओं के परिश्रम का परिणाम अगर कुछ है, अगर वह स्वागत और सम्मान योग्य है तो यह उनका सम्मान है। यह सम्मान संतों की आज्ञा से ही मैं ग्रहण कर रहा हूं। कार्यक्रम में भावनाथ महाराज ने सरसंघचालक मोहन भागवत को सम्मानित किया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

Latest India News




Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL