Sunday 12/ 10/ 2025 

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अग्निवीर साथी को बचाने के लिए तेज धारा में कूद गए लेफ्टिनेंट, कौन थे शशांक तिवारी जिन्हें सिक्किम में मिली शहादत?

शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी
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शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी

इंडियन आर्मी के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने सिक्किम में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। सिक्किम स्काउट्स के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी 22 मई को उत्तरी सिक्किम में एक ऑपरेशनल टास्क के दौरान एक एक रूट ओपनिंग पैट्रोल का नेतृत्व कर रहे थे, इसी दौरान एक लॉग ब्रिज से एक अग्निवीर साथी का पैर फिसल गया और वह बहने लगा। यह देख 23 साल के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने बिना कुछ सोचे समझे नदीं में छलांग लगा दी और साथी को मौत के मुंह से खींचकर बाहर ले आए, लेकिन वह अपनी जान न बचा सके।

पुल से फिसला था स्टीफन सुब्बा का पैर

भारतीय सेना के सिक्किम स्काउट्स के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी को छह महीने से भी कम समय पहले 14 दिसंबर 2024 को कमीशन मिला था। सिक्किम में एक टैक्टिकल ऑपरेटिंग बेस (टीओबी) की ओर एक रूट ओपनिंग पेट्रोल का नेतृत्व कर रहे थे, यह एक जरूरी पोस्ट है जिसे भविष्य की तैनाती के लिए तैयार किया जा रहा था। लगभग 11:00 बजे गश्ती दल का एक सदस्य अग्निवीर साथी स्टीफन सुब्बा का पैर एक लॉग ब्रिज (लकड़ी का पुल) को पार करते समय पैर फिसल गया और तेज पहाड़ी धारा में बह गया।

बिना परवाह किए तेज धारा में कूद गए शंशाक तिवारी

सुब्बा को बहता देख लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपनी असाधारण सूझबूझ, निस्वार्थ नेतृत्व और अपनी टीम के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का परिचय देते हुए, बिना किसी हिचकिचाहट के उसे बचाने के लिए सहज रूप से खतरनाक पानी में छलांग लगा दी। एक अन्य जवान नायक पुकार कटेल भी तुरंत उनकी सहायता के लिए उनके पीछे चले गए। साथ मिलकर, वे डूबते हुए अग्निवीर को बचाने में सफल रहे। हालांकि, लेफ्टिनेंट तिवारी दुर्भाग्य से तेज बहाव में बह गए।

सुबह मिला लेफ्टिनेंट का शव

लेफ्टिनेंट के गश्ती दल ने उन्हें उस दौरान खूब ढूंढने की कोशिश की लेकिन वह जिंदा नहीं बच सके, उनका शव सुबह 11:30 बजे 800 मीटर नीचे की ओर बरामद किया गया। सेना ने कहा कि लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी की वीरतापूर्ण कार्रवाई भारतीय सेना के मूल मूल्यों का एक शानदार उदाहरण है- निस्वार्थ सेवा, ईमानदारी, उदाहरण के तौर पर नेतृत्व और अधिकारियों और जवानों के बीच अटूट बंधन, जो रैंक से परे है और युद्ध और शांति दोनों में पोषित होता है।

ज्वाइनिंग को 6 माह भी नहीं हुआ था

लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी मात्र 23 वर्ष के थे और वह अयोध्या के मझवां गद्दोपुर के रहने वाले थे, आज उनका पार्थिव शरीर देर रात उनके घर पहुंच रहा है। अधिकारी के परिवार में उनके माता-पिता और एक बहन हैं। साल 2019 में उनका सिलेक्शन एनडीए में हुआ था। मिली जानकारी के मुताबिक, शशांक तिवारी बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे, उन्होंने अपने पहले अटेम्प्ट में ही एनडीए क्रैक किया था। 14 दिसंबर 2024 को उन्हें सेना ने ज्वाइनिंग दी थी।

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