Friday 04/ 07/ 2025 

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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम 1995 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्यों को जारी किया नोटिस, जानिए पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ अधिनियम, 1995 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने दिल्ली के रहने वाले निखिल उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी किया है। इसे वकील हरि शंकर जैन और एक अन्य व्यक्ति की समान याचिका के साथ संलग्न किया गया।

इतने सालों के बाद अब क्यों दी जा रही चुनौती- कोर्ट

वक्फ अधिनियम में हाल ही में किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति मसीह की पीठ ने पहले पूछा था कि 1995 के अधिनियम को इतने सालों के बाद अब चुनौती क्यों दी जा रही है।

वकील ने कहा- हाई कोर्ट जाने को कहा गया था

याचिकाकर्ता हरि शंकर जैन की ओर से उपस्थित वकील विष्णु शंकर जैन ने यह समझाने का प्रयास किया कि याचिकाकर्ताओं ने 1995 के अधिनियम को बहुत पहले ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। उन्हें हाई कोर्ट जाने के लिए कहा गया था, परन्तु पीठ इससे सहमत नहीं हुई।

पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की पीठ ने इस मामले की थी सुनवाई

मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने वकील अश्विनी उपाध्याय से पूछा कि उन्हें 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब क्यों विचार करना चाहिए। इस पर वकील उपाध्याय ने बताया कि पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ ने पूर्व सीजेआई खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद सीजेआई गवई की अगुवाई वाली पीठ के कार्यभार संभालने से पहले वक्फ (संशोधन) 2025 मामलों की सुनवाई की थी। पहले ही 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाले मामलों की अलग से सुनवाई करने पर सहमत हो गई थी और 2025 के संशोधनों को चुनौती देने वालों को इस पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी थी।

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की नहीं दी अनुमति

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मंगलवार को कहा कि कोर्ट ने 2025 के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की अनुमति नहीं दी है। हालांकि, भाटी ने कहा कि अगर उपाध्याय की याचिका को जैन द्वारा 1995 के अधिनियम को चुनौती देने वाली दूसरी याचिका के साथ जोड़ दिया जाता है तो कोई आपत्ति नहीं है।

 

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