Wednesday 08/ 10/ 2025 

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नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में रिकॉर्ड उछाल! आखिर क्या है इसकी वजह? – record number of indians are renouncing their citizenship what is the reason ntcprk

भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की दर में लगातार और तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. 2024 में लगातार तीसरे साल भारतीयों के नागरिकता छोड़ने की संख्या दो लाख के ऊपर रही है. लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, पिछले साल कुल 2.1 लाख लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ी, जो पिछले साल की तुलना में सिर्फ 4.6 प्रतिशत कम है. 2023 में यह संख्या 2.2 लाख थी. 2011 और 2024 के बीच 2022 में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा रही, जब 2.3 लाख लोगों ने नागरिकता छोड़ी थी.

पिछले डेढ़ दशक में सबसे कम संख्या 2020 में दर्ज की गई, जब 85,256 लोगों ने अपनी नागरिकता छोड़ी. यह संख्या 2019 के 1.44 लाख के आंकड़े से 41 प्रतिशत कम है.

इसके अगले ही साल 2021 में, यह संख्या तेजी से बढ़कर 1.63 लाख हो गई, जो लगभग 92 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. 2022 के बाद से, आंकड़े तेजी से आगे बढ़ते दिखाई देते हैं जहां लगातार तीन सालों से हर साल दो लाख से अधिक भारतीय नागरिकता छोड़ रहे हैं.

2011 और 2019 के बीच, नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की वार्षिक संख्या 1.2-1.4 लाख के बीच रही जो कि जो 2021 के बाद की अवधि की तुलना में धीमी गति को दिखाता है. 2011 में, 1.2 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी. 2013 में यह आंकड़ा थोड़ा बढ़कर 1.3 लाख हो गया.

साल 2016 में यह और बढ़कर 1.4 लाख हो गया, लेकिन 2017 में यह संख्या घटकर 1.3 लाख रह गई. 2018 में भी यह आंकड़ा इसी सीमा के आसपास रहा, और 2019 तक यह फिर से बढ़कर 1.4 लाख हो गया.

14 सालों के दौरान 20 लाख से अधिक भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता

कुल मिलाकर, 2011 में जहां 1.2 लाख लोगों ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी, 2024 में यह संख्या बढ़कर 2.1 लाख से अधिक हो गई. यानी 2011 से 2024 तक, 14 साल की अवधि के दौरान 20.9 लाख (करीब 21 लाख) से अधिक भारतीयों ने अपने पासपोर्ट का त्याग किया.

विदेश मंत्रालय के अनुसार, नागरिकता त्यागने की मुख्य वजह व्यक्तिगत पसंद होती है. लोग अक्सर काम, शिक्षा या पारिवारिक कारणों से विदेश में बसने के लिए चले जाते हैं. भारत में वर्तमान में 3.54 करोड़ प्रवासी भारतीय हैं, जिनमें नॉन रेसिडेंशियल भारतीय (भारत में निवास न करने वाले भारतीय) और भारतीय मूल के लोग दोनों शामिल हैं.

विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा, ‘सरकार नॉलेज इकोनॉमी के युग में ग्लोबल वर्कप्लेस की क्षमता के बारे में जानती है. हम प्रवासी भारतीयों के साथ अपने जुड़ाव में भी एक शानदार बदलाव लाए हैं.’

उन्होंने कहा कि सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी समुदाय भारत के लिए एक संपत्ति है और सरकार का मकसद है कि प्रवासी समुदाय की पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल किया जाए. 

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