Monday 06/ 10/ 2025 

एक क्लिक में पढ़ें 06 अक्टूबर, सोमवार की अहम खबरेंदिल्ली-NCR में सोमवार को मूसलाधार बारिश की संभावना, घर से निकलने से पहले जरूर पढ़ लें मौसम विभाग का ये अपडेट‘प्रशासनिक लापरवाही और कुप्रबंधन के चलते हुआ हादसा’, करूर भगदड़ पर NDA की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा – karur stampede administrative negligence mismanagement nda report ntc'हिंसक आंदोलन किसी नतीजे तक नहीं पहुंचते', RSS प्रमुख ने दशहरा पर संबोधन में Gen-Z का किया जिक्रKarwa Chauth 2025: करवाचौथ पर दिखना है सुंदर, इन 5 आसान तरीकों से घर बैठे पाएं ग्लोइंग स्किन – Karwa Chauth 2025 special beauty tips for natural Glowing face easy skincare tips at home tvisxJF-17 इंजन विवाद: रूस-पाकिस्तान डील के दावों पर भारत में सियासी भूचाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामनेजयपुर: बीच सड़क पर लड़के और लड़कियों ने एक दूसरे को मारे थप्पड़, चप्पल से पीटा… वीडियो वायरल – jaipur boys and girls slapped beat each other video goes viral lclntटीचर ने चेक में 7616 को लिखा 'Saven Thursday Six Harendra Sixtey', फोटो वायरल होने पर सस्पेंडलिफ्ट का गेट खुला तो सामने फन फैलाए बैठा था कोबरा! नोएडा की सोसायटी में मच गया हड़कंप – Noida cobra snake sitting hood spread in society lift lclaयूके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने भारतीय नौसेना के साथ समुद्री कोंकण अभ्यास किया शुरू, जानिए क्या है इसमें खास
देश

Neerja Chowdhary’s column – What does Tejaswi’s journey after Rahul tell us? | नीरजा चौधरी का कॉलम: राहुल के बाद तेजस्वी की यात्रा हमें क्या बताती है?

  • Hindi News
  • Opinion
  • Neerja Chowdhary’s Column What Does Tejaswi’s Journey After Rahul Tell Us?

5 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
नीरजा चौधरी वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार - Dainik Bhaskar

नीरजा चौधरी वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार

जब प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन पर बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे, ठीक उसी समय राजद के नेता तेजस्वी यादव ने एक यात्रा शुरू की, जिसे वे बिहार अधिकार यात्रा कहते हैं। उनकी यह यात्रा राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा से अलग है, जिसमें तेजस्वी भी शामिल हुए थे। लेकिन तेजस्वी की यात्रा पांच जिलों से होकर गुजरेगी, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे वोट अधिकार यात्रा से अछूते रह गए थे।

यह बताता है कि कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा और बिहार में कांग्रेस की सहयोगी राजद, दोनों ही राहुल की यात्रा का किस तरह से फॉलो-अप कर रहे हैं, ताकि अपने राजनीतिक लाभ को बढ़ा सकें। जहां कांग्रेस ने उस यात्रा से उत्पन्न सद्भावना को मजबूत करने के लिए उसके बाद से ही कोई कार्रवाई नहीं की है, वहीं भाजपा और राजद दोनों अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए तेजी से कदम उठा रहे हैं।

इस बार अकेले यात्रा करके तेजस्वी स्पष्ट रूप से अपने मुस्लिम-यादव समर्थकों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। वे अति पिछड़ी जातियों और दलितों के एक वर्ग का समर्थन हासिल करने की भी कोशिश कर रहे हैं और नीतीश सरकार में नौकरियों, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। गौरतलब है कि तेजस्वी यादव की यात्रा वोट चोरी पर केंद्रित नहीं है। क्या यह इस बात का संकेत है कि इस मुद्दे को वह भावनात्मक समर्थन नहीं मिला है, जिसकी राहुल ने उम्मीद की थी?

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि तेजस्वी बिहार में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी सर्वोच्चता का प्रदर्शन कर रहे हैं। वे बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं और विपक्ष के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में देखे जाते हैं, हालांकि महागठबंधन ने इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की है। कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार टालमटोल कर रही है और कह रही है कि इसका फैसला बिहार की जनता करेगी।

राहुल ने भी तेजस्वी को महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में औपचारिक रूप से समर्थन देने से परहेज किया है और इसने विपक्षी गठबंधन के भीतर तनाव को बढ़ा दिया है। सम्भवतया इसी ने तेजस्वी को जवाबी कदम उठाने के लिए उकसाया है। उनकी बिहार अधिकार यात्रा का उद्देश्य स्वयं को बिहार में फिर से अग्रणी भूमिका में लाना है, क्योंकि वोट अधिकार यात्रा मूलतः राहुल का शो था।

राहुल की यात्रा को सफल मानते हुए कांग्रेस ने बिहार में अपनी सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी बढ़ा दी है। उसने घोषणा की है कि वह 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इनमें से 27 सीटों पर उसकी जीत सम्भव मानी जा रही है। 2020 में भी कांग्रेस ने बड़ी संख्या में सीटों पर लड़ने पर जोर दिया था, लेकिन उसे 70 में से केवल 19 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी।

कई लोगों का मानना ​​है कि अगर उस समय कांग्रेस को कम सीटें दी जातीं, तो महागठबंधन शायद जीत हासिल कर लेता। तब महागठबंधन ने 243 में से 110 सीटें जीती थीं। एक राजनीतिक टिप्पणीकार ने राहुल की यात्रा के समापन पर चुटकी ली थी कि अब आप देखिए, कांग्रेस वाले ज्यादा सीटों के लिए सौदेबाजी करेंगे, फिर भले ही वे उन पर जीत सकें या नहीं।

हवा का यह रुख भांपते हुए ही राजद ने अपना रुख कड़ा कर दिया है। तेजस्वी यादव ने ऐलान किया है कि राजद राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। जबकि कांग्रेस ही नहीं, गठबंधन में राजद के दूसरे सहयोगी दल भी अपने लिए सीटों की मांग तेज कर रहे हैं।

उधर एनडीए में भी भाजपा और जदयू के बीच रस्साकशी तेज हो गई है। नीतीश अपनी पार्टी के लिए भाजपा से एक सीट ज्यादा चाहते थे, जबकि एनडीए में उनके नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं हैं। उनके खराब स्वास्थ्य के बावजूद भाजपा इस समय एनडीए खेमे में कोई दरार नहीं डालना चाहती।

चुनावों से पहले सहयोगी दलों के बीच टिकटों को लेकर हो रही खींचतान कोई नई या असामान्य बात नहीं है, और बिहार में भी यही हो रहा है। लेकिन इस स्थिति ने एक बड़ी सच्चाई को उजागर किया है। कांग्रेस के पास भले ही राहुल गांधी जैसा ‘चेहरा’ हो और जनता में उनकी लोकप्रियता बढ़ रही हो, पार्टी के पास इसे वोटों में बदलने के लिए संगठनात्मक ढांचा नहीं है।

न ही वह वोट अधिकार यात्रा से अर्जित सद्भावना को संरचनात्मक ताकत में बदलने के लिए कोई कदम उठा रही है। वरना राहुल की वोट यात्रा के तुरंत बाद ही एक फॉलो-अप कार्यक्रम भी शुरू कर दिया जाता- जैसा कि भाजपा और तेजस्वी यादव ने किया है।

राहुल ने तेजस्वी को महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में औपचारिक समर्थन देने से परहेज किया है और इसने विपक्षी गठबंधन के भीतर तनाव को बढ़ाया है। शायद इसी ने तेजस्वी को जवाबी कदम उठाने के लिए उकसाया। (ये लेखिका के अपने विचार हैं।)

खबरें और भी हैं…

Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL