H-1B वीजा विवाद से अमेरिका का ज्यादा नुकसान, ट्रंप प्रशासन और IT इंडस्ट्री से भारत की बातचीत तेज – H1 B Visa Application Fees Donald Trump Order Impact On India IT Company NTC

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा एप्लीकेशन फीस को 100,000 डॉलर तक बढ़ाने के फैसले के बाद भारत ने इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाई है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार IT इंडस्ट्री, अमेरिकी प्रशासन और इंडस्ट्री एसोसिएशन नैसकॉम के साथ मिलकर आगे का रास्ता खोजने में जुटी है.
सूत्रों का कहना है कि यह फैसला अमेरिकी कंपनियों को भी भारी पड़ेगा, क्योंकि H-1B वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल वहीं होती है, खासकर हाई-स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भर्ती के लिए.
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इस साल के आंकड़े बताते हैं कि अमेज़न ने सबसे ज्यादा 10,044 H-1B वीजा हासिल किए. इसके बाद दूसरे स्थान पर टीसीएस (5,505), फिर माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प (5,189), मेटा (5,123), एप्पल (4,202), गूगल (4,181), कॉग्निज़ेंट (2,493), जेपी मॉर्गन चेज़ (2,440), वालमार्ट (2,390) और डेलॉइट कंसल्टिंग (2,353) का नाम है.
ट्रंप ने बढ़ाई एच1-बी वीजा की फीस
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणा पर हस्ताक्षर किया, जिसके तहत एच-1बी वीजा आवेदन शुल्क को बढ़ाकर सालाना 1 लाख अमेरिकी डॉलर कर दिया गया है. अभी तक एच-1बी वीजा फीस नियोक्ता के आकार और अन्य खर्चों के आधार पर लगभग 2,000 से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक होती है.
टॉप-20 लिस्ट में इन्फोसिस (2,004), एलटीआई माइंडट्री (1,807) और एचसीएल अमेरिका (1,728) जैसी भारतीय IT कंपनियां भी शामिल हैं. भारत सरकार का कहना है कि इस मुद्दे पर अमेरिकी कंपनियां भी उतनी ही चिंतित हैं और वे भी अपने प्रशासन से बातचीत कर रही हैं.
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आदेश सिर्फ नए आवेदकों पर लागू होगा
इस बीच ट्रंप के फैसले के बाद अफरातफरी का माहौल है और लोग कन्फ्यूज हैं. सीनियर अमेरिकी प्रशासनिक अधिकारी ने एएनआई से कहा कि जो लोग देश से बाहर जा रहे हैं, लौट रहे हैं या भारत की यात्रा पर हैं, उन्हें रविवार से पहले लौटने या 1 लाख डॉलर की फीस चुकाने की जरूरत नहीं है. यह 1 लाख डॉलर की फीस केवल नए एच-1बी वीजा आवेदकों पर लागू होगी, पहले से मौजूद वीजा धारकों पर इसका असर नहीं होगा.
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