N. Raghuraman’s column – ‘Developed India’ means a better economy as well as good health | एन. रघुरामन का कॉलम: ‘विकसित भारत’ का मतलब बेहतर अर्थव्यवस्था के साथ अच्छी सेहत भी है

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2 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु,
एक वक्ता ने कहा कि ‘प्री-डायबेटिक मरीजों की उल्लेखनीय संख्या के साथ भारत में मधुमेह का जोखिम दुनिया में सर्वाधिक है। देश में कार्डियो-वेस्कुलर बीमारियों का जोखिम भी वैश्विक औसत से अधिक है, क्योंकि डायबिटीज, मोटापा और हाइपरटेंशन जैसे रिस्क फैक्टर की दर बहुत अधिक है। चिंताजनक यह है कि ये बीमारियां अब कम उम्र में ही होने लगी हैं।’
उन्होंने बताया कि भारत में हृदय रोग, मृत्यु का प्रमुख कारण है, जो लगभग 27% मौतों के लिए जिम्मेदार है। हॉल में 500 से अधिक लोग उन्हें ध्यान से सुन रहे थे। लोग उन्हें इसलिए नहीं सुन रहे थे क्योंकि वह बहुत वरिष्ठ थे, बल्कि इसलिए क्योंकि उनके शब्दों में गहरी चिंता झलक रही थी। देश के भविष्य को लेकर वह व्यक्तिगत रूप से चिंतित थे। वह हॉल में मौजूद सभी सहभागियों के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे थे, जो देश के 700 से अधिक जिलों से आए थे।
उन्होंने इस वैश्विक मुद्दे को ना केवल स्थानीय तौर पर, बल्कि प्रत्येक परिवार तक के नजरिए से समझाया। उन्होंने कहा कि ‘अगर परिवार में एक व्यक्ति अस्वस्थ है, तो परिवार का हर सदस्य परेशान रहता है।’ यदि करोड़ों से अधिक लोग दृष्टिहीन, एनेमिक और अंडरवेट हैं तो इतने लोगों के बीमार होने पर हम कैसे शांति से रह सकते हैं?’ मैं भी उन्हें ध्यान से सुन रहा था। अपने भाषण के समाप्त करते हुए उन्होंने एक चौंकाने वाला आंकड़ा बताया कि ‘लगभग 23% भारतीय खुद को शांत रखने के लिए ड्रग्स का उपयोग करते हैं। यह सबसे बड़ी चिंता है।’
बगैर कोई नाम लिए उनका इशारा परोक्ष रूप से सिगरेट, शराब और अन्य नशीले पदार्थों की ओर था। केरल के कोच्चि में शनिवार को आयोजित दो दिवसीय आरोग्य भारती प्रतिनिधि सम्मेलन में मैं पहला वक्ता था और किसी ने नहीं बताया कि मुझे कितनी देर बोलना है। विश्वास करें, मैंने अपना भाषण 15 मिनट से भी कम समय में समाप्त कर लिया और बाकी 45 मिनट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी को दिए। क्योंकि मैं जानता था कि वे कितने समर्पित व्यक्ति हैं।
हम केरल में थे, जिसने हाल ही में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 5 तक सीमित करने की उपलब्धि हासिल की, जो अमेरिका (5.6) से भी कम है। आईएमआर का अर्थ है प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर एक वर्ष से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु की संख्या। पिछले दो दशकों में भारत का आईएमआर लगभग 75 से घटकर 37 रह गया, जो उल्लेखनीय प्रगति है। लेकिन केरल का आईएमआर 12 के आसपास ही बना हुआ था। इसने केरल सरकार को गंभीरता से सोचने पर मजबूर किया कि आखिर ऐसा क्यों है?
और आज देखिए, उन्होंने सबसे विकसित देश अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। तो सवाल यह है कि अपने देश को स्वस्थ बनाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? सबसे पहले, पूर्वजों से अच्छी सीख लेकर खुद को स्वस्थ बनाएं। इसमें सुबह जल्दी उठना, नियमित प्रार्थना, ताजा पका भोजन करना, मौसमी फल और सब्जियां खाना, कठिन परिश्रम, कुछ परोपकार करना, प्रेम और सकारात्मकता के साथ जीवन जीना और जल्दी सोना शामिल है।
हमारी पुरानी पुस्तकों में ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें हम आज भी अपना सकते हैं। आधुनिकता और पश्चिमी देश नए आविष्कार और विचार तो देते हैं, लेकिन जैसी डॉ. कृष्ण ने चेतावनी दी कि ‘ये अपने नकारात्मक पहलू के बिना नहीं आते।’ उनसे सर्वश्रेष्ठ लें, जैसे हमारे पास मोबाइल से लेकर आईपैड तक कई तरीके की स्क्रीनें हैं- लेकिन इनकी लत लगी तो हमें बीमार कर देगी। किताबें और समाचार पत्र आज भी सबसे अच्छे साधन हैं।
फंडा यह है कि डॉ. कृष्ण ने कहा कि अगर आप अपने देश को ‘आनंदमयी देश’ देखना चाहते हैं, तो पहले इसे ‘नीरोगी देश’ बनाना जरूरी है। आप खुद पर और स्थानीय स्तर पर काम कर इसे ‘आरोग्य देश’ बनाएं। तभी ‘विकसित भारत’ हममें से प्रत्येक पर गर्व करेगा। शुभकामनाएं।
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