Sunday 05/ 10/ 2025 

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Kaushik Basu’s column: Trump is intent on adopting authoritarian tactics | कौशिक बसु का कॉलम: अधिनायकवादी रणनीति अपनाने पर आमादा हैं ट्रम्प

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6 घंटे पहले

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कौशिक बसु विश्व बैंक के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट - Dainik Bhaskar

कौशिक बसु विश्व बैंक के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट

वर्ष 2022 में एक शोधपत्र में मैंने एक रूपक बताया था, जिसे मैंने ‘इनकार्सरेशन गेम’ नाम दिया। यह कहानी बताती है कि कैसे लोकप्रियता घटने पर अधिनायकवादी नेता अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए दमनकारी हथकंडे अपनाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि घटते जनसमर्थन से जूझ रहे राष्ट्रपति ट्रम्प ऐसी ही अधिनायकवादी रणनीति अपनाने पर आमादा हैं।

सबसे चौंकाने वाला उदाहरण फेडरल हाउसिंग फाइनेंस एजेंसी के निदेशक बिल पुल्टे द्वारा ट्रम्प के प्रमुख आलोचकों – फेडरल रिजर्व बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की सदस्य लिसा कुक, डेमोक्रेटिक सीनेटर एडम शिफ और न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स के खिलाफ मॉर्गेज धोखाधड़ी के आरोप लगाने की कोशिश है। पुल्टे ट्रम्प के बड़े दानदाताओं में से एक हैं और फिलहाल अमेरिकी मोर्गेज उद्योग संभाल रहे हैं।

स्वाभाविक तौर पर, अभी अमेरिका में यही बहस है कि क्या ये आरोप सच्चे हैं? लेकिन इससे भी अधिक गंभीर मुद्दा है ट्रम्प प्रशासन की अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से आपराधिक सबूत तलाशने की रणनीति। डेमोक्रेट सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन मानती हैं कि ‘पुल्टे डोनाल्ड ट्रम्प के संभावित विरोधियों की व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच का उपयोग निजी और राजनीतिक प्रतिशोध के लिए कर रहे हैं।’

लोगों को चुन–चुन कर डराने और उनके खिलाफ अभियोजन शुरू करने की रणनीति प्रतिकूल परिणामों का एक सिलसिला शुरु कर सकती है। हंगरी और तुर्की के अनुभव दिखाते हैं कि शुरुआत में संभावित विरोधियों के खिलाफ बदले की भावना से की गई कार्रवाई जल्द पूरे समाज को अस्थिर कर सकती है। लोकतांत्रिक शासन को कमजोर कर सकती है।

‘इनकार्सरेशन गेम’ के जरिए मैंने यही दिखाने की कोशिश की कि अधिनायकवाद कैसे इस उम्मीद के साथ खुद को स्थापित करने की कोशिश करता है कि शायद भविष्य में ऐसे परिणामों को रोकने के लिए कोई कानूनी सुरक्षा तंत्र विकसित किया जा सके।

यह गेम एक सरल–से विचार पर आधारित है। कल्पना कीजिए किसी देश में एक हजार व्यस्क नागरिक हैं, जो सभी नेता का विरोध करते हैं। इनमें से आधे भी सड़कों पर उतरते हैं तो नेता को सत्ता से हटाया जा सकता है। उन्हें पता है कि वे जेल भेजे जाएंगे, फिर भी वे प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। लेकिन नेता की समस्या यह है कि जेलों में केवल 100 लोगों को ही रखने की जगह है।

जब एक हजार लोग प्रदर्शन के लिए तैयार हों और जेल की क्षमता केवल 100 लोगों की हो तो किसी भी व्यक्ति के लिए जेल जाने का जोखिम बहुत कम है। इसी कारण से जेल का डर प्रदर्शन को नहीं रोक पाता। ऐसे हालात में नेता को विरोध दबाने का कोई रास्ता नजर नहीं आता।

लेकिन एक शातिर नेता इसका समाधान निकाल सकता है। वह इस भीड़ को सौ—सौ लोगों के 10 समूहों में बांट देता है– जैसे विपक्षी नेता, मीडिया टिप्पणीकार, मजदूर संगठनों के नेता, शिक्षक और अन्य। फिर वह अपने वफादार अधिकारियों को विपक्षी नेताओं के समूह की आपत्तिजनक जानकारी इकट्ठा करने को कहता है।

फिर घोषणा करता है कि इस समूह के सदस्य प्रदर्शन करेंगे तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। मान लो, इस समूह के 100 से कम लोग प्रदर्शन करते हैं तो वे जेल जाएंगे और अगला समूह निशाने पर आएगा। सारी जेलों के भर जाने तक अगले समूहों के लिए यही सिलसिला जारी रहेगा।

इस रणनीति का इस्तेमाल कर नेता सभी एक हजार लोगों को शांत करा सकता है। सभी को पता है कि असहमति जताई तो जेल जाना पड़ेगा, इसलिए विपक्षी नेताओं का समूह चुप रहता है। मीडिया का समूह जानता है कि अगला नंबर उसका है तो वो भी चुप रहता है। जब ये दोनों समूह नहीं बोलते तो बाकी अपने–आप चुप रहते हैं।

ये सिलसिला सुनिश्चित करेगा कि कोई भी विरोध या असहमति व्यक्त न करे। लोग अपने रोजमर्रा के कामों में लगे रहेंगे। और देश अधिनायकवाद की ओर बढ़ता जाएगा। आज इसी खतरे से अमेरिका को भी बचना है। कानून सभी के लिए समान होता है।

यदि आज कुक को मोर्गेज धोखाधड़ी के लिए सजा मिलती है तो ऐसा अपराध करने वाले अन्य सभी लोगों को भी सजा मिलनी चाहिए। नहीं तो न्याय दमन का औजार बन जाएगा। यदि आज ट्रम्प को कानून के समक्ष समानता के सिद्धान्त को कमजोर करने दिया गया तो चयनात्मक न्याय का विचार पनपेगा, जो लोकतंत्र को खोखला बना देगा।

हंगरी और तुर्की के अनुभव दिखाते हैं कि शुरुआत में संभावित विरोधियों के खिलाफ बदले की भावना से की गई कार्रवाई जल्द पूरे समाज को अस्थिर कर सकती है। लोकतांत्रिक शासन को कमजोर कर सकती है। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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