Sunday 05/ 10/ 2025 

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Aajtak Health Summit 2025: बचपन की गलतियां बिगाड़ रही पूरी जिंदगी की सेहत… डॉक्टर्स ने बताया, बच्चों को क्या खिलाएं और क्या नहीं – Aajtak Health Summit 2025 kids infant health tips by doctors tvisn

Aajtak Health Summit 2025: बचपन में आप जो कुछ भी खाते हैं और आपकी लाइफस्टाइल जैसी भी होती है उसका आगे चलकर आपकी सेहत पर काफी ज्यादा असर पड़ता है. इसे लेकर आजतक हेल्थ समिट 2025 में खास चर्चा हुई. इसमें अपोलो अस्पताल के पूर्व HOD, पीडियाट्रिक्स डॉक्टर सुशील के- काबरा, मेदांता- द मेडिसिटी की  पीडिएट्रिक विभाग की सीनियर डायरेक्टर डॉ. नीलम मोहन, डॉ. रवि मलिक, पीडियाट्रीशियन एवं सीएमडी मलिक रेडिक्स हॉस्पिटल, प्रोफेसर, सेंटर फॉर कम्यूनिटी मेडिसिन, एम्स नई दिल्ली के डॉक्टर संजय के राय ने ‘स्वस्थ बचपन, निरोग जीवन’ कार्यक्रम में ऐसी बातों के बारे में बताया जिससे आप अपने बच्चों की सेहत का बचपन से ही ख्याल रख सकते हैं.चलिए जानते हैं क्या बोले ये सभी डॉक्टर्स.

बच्चों में बढ़ता मोटापा

डॉ. नीलम ने बताया कि भारत में अभी भी एक तिहाई बच्चे अंडरवेट हैं और लगभग 8 से 18 फीसदी के करीब मोटापे से पीड़ित हैं. और ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिनके शरीर में खून और जरूरी पोषक तत्वों की कमी है.

डॉ. सुशील काबरा ने बताया कि अभी भी हमारे देश के लोग 60 से 70 फीसदी लोग गांव में रहते हैं. वहां रहने वाले लोगों को बच्चों से जुड़ी बहुत सी चीजों के बारे में पता नहीं होता है. डॉ. ने कहा कि जरूरी है कि आप बेटों के साथ ही बेटी की सेहत का भी खास ख्याल रखें.  

क्या खाना है और क्या नहीं?

माता-पिता को यह समझना बहुत जरूरी है कि बच्चे को क्या खिलाना चाहिए और क्या नहीं. जरूरी है कि 1 साल से छोटे बच्चों को नमक का सेवन नहीं कराना चाहिए और 2 साल से छोटे बच्चे को टेबल शुगर का सेवन नहीं कराना चाहिए. साथ ही 10 से 12 साल से छोटे बच्चों को चाय-कॉफी का सेवन नहीं कराना चाहिए. जरूरी है कि आप इन सभी नियमों का पालन करें.

शहद चटाना कितना सेफ?

1 साल से छोटे बच्चे को शहद का सेवन बिल्कुल भी नहीं कराना चाहिए. इससे खतरनाक इंफेक्शन का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा जरूरी है कि बच्चे को एक साल तक विटामिन डी और आयरन की दवाओं का सेवन करना चाहिए. जरूरी है कि समय-समय पर बच्चे के चेकअप करवाएं, जिससे उनके शरीर में होने वाली किसी भी तरह की कमी का पता लगाया जा सके. इसके अलावा बैलेंस डाइट का खास ख्याल रखें ताकि शरीर में पोषक तत्वों की कमी ना हो.

डॉ. मोहन का कहना है कि टेबल शुगर की बजाय बच्चों को अंजीर या खजूर का सेवन करना सेफ माना जाता है लेकिन इनका सेवन भी बच्चों को बहुत सीमित मात्रा में ही करवाएं.  पैदा होने के तुरंत बाद शहद का सेवन कराने की बजाय मां का दूध पिलाएं. मां का दूध किसी भी नवजात बच्चे के लिए वरदान से कम नहीं होता है. 6 महीने से बड़े बच्चे को आधा लीटर से ज्यादा दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे के शरीर में आयरन की कमी होने लगती है.

किस उम्र के बाद बच्चों को दूध की जरूरत नहीं होती?

डॉ. सुशील का कहना है कि बच्चे को 6 महीने तक मां का दूध पिलाना अनिवार्य है और इसके बाद दूध की मात्रा कम करें और सॉलिड फूड की तरफ आगे बढ़ें. 1 साल के बच्चे को मां के खाने से आधा खाना खिलाना जरूरी होता है.

बच्चे के लिए स्क्रीन कितनी सेफ है?

2 साल से कम बच्चे को बिल्कुल भी स्क्रीन टाइम नहीं देना चाहिए. इससे ऑटिज्म जैसी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है. 2 से 5 साल की उम्र में सिर्फ 1 घंटा स्क्रीन टाइम देना चाहिए. इसके बाद फिजिकल टाइम को बढ़ाना चाहिए और स्क्रीन टाइम को कम करना चाहिए. जरूरी है कि आप फैमिली टाइम में इंवेस्ट करें. अगर आप बच्चे को मेडिटेशन और योग कराते हैं तो इससे बच्चे की हेल्थ पर काफी अच्छा असर पड़ता है. जरूरी है कि आप बच्चे को 7 फूड ग्रुप्स का सेवन कराएं जिसमें आटा, चावल,  दाल,  सब्जी,  नट्स, सीड्स , सीजनल फल आदि चीजें शामिल हैं. 

एयर पॉल्यूशन में कैसे रखें बच्चे का ख्याल?

वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों के अंदर रेस्पिरेटेरी एलर्जी काफी ज्यादा बढ़ गई है. इसके लिए जरूरी है कि आप पेड़ लगाएं,  घर पर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें. जिस वक्त पॉल्यूशन स्मॉग काफी ज्यादा होता है उस वक्त बच्चों को घर पर रखें.  अगर आपके बच्चे को अस्थमा, आंखों का इंफेक्शन आदि समस्याओं की दिक्कत है तो उन्हें प्रदूषण में बाहर निकालने से बचें या मास्क पहनाकर ही बाहर ले जाएं.

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