Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Give high value to goods manufactured in your country | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अपने देश में निर्मित वस्तुओं को अत्यधिक मोल दें

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43 मिनट पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
दुनिया ने हमारी आर्थिक घेराबंदी कर दी है। ऐसे में हमारे कर्णधारों ने स्वदेशी अभियान प्रकट किया है और हमें उसका हिस्सा बनना चाहिए। स्वदेशी वस्तुएं कह रही हैं कि ‘आंखों के अश्क ले लो और नजरों के नूर दे दो!’ यह सही वक्त है कि हम अपने देश में निर्मित वस्तुओं को अत्यधिक मोल दें।
हमारी खर्च करने वाली राशि का बड़ा हिस्सा स्वदेशी वस्तुओं पर व्यय करें। इसका एक उदाहरण है। दुर्योधन ने जब पांडवों को सुई की नोक जितना भी धरती का टुकड़ा नहीं देने कह बात कही, तो कृष्ण ने इंद्रप्रस्थ के निर्माण के लिए पांडवों को द्वारका से धन लाकर दिया। यहीं से हम अपने स्वदेशी संस्कार को जाग्रत करें और अपना धन इंद्रप्रस्थ पर खर्च करें। इस प्रसंग में इंद्रप्रस्थ स्वदेश है।
आज एक देश का राष्ट्रपति दुर्योधन की तरह भूमिका निभा रहा है। हम अपने भीतर का कृष्ण जाग्रत करें और स्वदेशी अभियान का हिस्सा बनें। क्योंकि अपने देश में एक और दिक्कत है, बाजार इतना बेईमान हो गया है कि वो स्वदेशी को भी धक्का दे देगा।
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