Pt. Vijayshankar Mehta’s column- Mothers and sisters should at least maintain morality. | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: माताएं-बहनें कम से कम नैतिकता को बचाए रखें

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1 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
शास्त्रों ने सात तरह की मातृशक्ति बताई हैं- जननी, गुरु पत्नी, ब्राह्मणी, राजा की पत्नी, गाय, धात्री और धरती। मातृशक्ति के सम्मान में यह भी याद करें कि परमात्मा के प्रथम प्राकट्य की जो ध्वनि है, वो ओम है। और अ, उ, म के उच्चारण में म वर्ण में मां बसी हैं।
इसलिए हमें मातृशक्ति का बहुत मान करना चाहिए। पर एक गड़बड़ इन दिनों हो रही है। पहले पुरुषों को ही भ्रष्ट बताया जाता था और वे थे भी। अपराध में पुरुष अधिक सक्रिय थे। तो एक मनोविज्ञान था कि माताओं-बहनों को यदि नौकरी में रखें, उनसे काम लें, तो वे बहुत समर्पण-भाव से, शुद्धता और ईमानदारी से काम करती हैं।
पर अब धीरे-धीरे इस स्थिति में भी परिवर्तन आ रहा है। स्त्री पुरुष के बराबर हो, ऐसा होना चाहिए। लेकिन कई नारियां पुरुष के बराबर होने के चक्कर में पुरुष के बराबर अपराध, भ्रष्टाचार करने लगीं। लगातार ये समाचार आ रहे हैं कि बड़े पद पर बैठी देवियां भी जमकर भ्रष्ट आचरण कर रही हैं। आने वाली पीढ़ी के लिए मातृत्व एक सहारा था, जहां से वह नैतिकता प्राप्त कर ले। कम से कम माताएं-बहनें इसको बचाए रखें।
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