सियासत में भाई-भाई न रहा! कैसे आरजेडी के कृष्ण-अर्जुन में खिंच गई तलवार – tej pratap yadav tejashwi yadav political fight rjd lalu yadav bihar elections damage ntcpkb

बिहार का चुनाव मैदान अब महाभारत की रणभूमि में तब्दील होता जा रहा है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव खुद को कृष्ण तो अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को अर्जुन बताया करते थे. तेजस्वी का रथ चलाने की बात करते थे, लेकिन अचानक तेजस्वी का सारथी बनते-बनते उनके राजनीतिक दुश्मन बन बैठे.
तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव दोनों भाइयों में सियासी तलवारें खिंच गई हैं. तेजस्वी यादव भले ही खामोशी अख्तियार किए हुए हैं, लेकिन तेज प्रताप ने आक्रामक तेवर अपना रखा है. इस तरह कृष्ण और अर्जुन अब आमने-सामने हैं.
तेज प्रताप यादव कुछ दिनों पहले तक तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का बीड़ा उठाए हुए थे. लालू परिवार से बेदखल किए जाने के बाद भी तेज प्रताप अपने भाई तेजस्वी के पक्ष में थे, लेकिन महुआ सीट पर आरजेडी के उम्मीदवार उतारे जाने और प्रचार तेज होने के बाद रार छिड़ गई है.
तेज प्रताप यादव अब आर-पार के मूड में उतर गए हैं और तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. तेज प्रताप यादव ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि उन्हें मरना मंजूर है, लेकिन आरजेडी में दोबारा नहीं जाएंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि तेज प्रताप यादव जिस तरह से तेजस्वी के खिलाफ फ्रंटफुट पर उतरे हैं, उससे कहीं सियासी गेम न गड़बड़ा जाए?
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सियासी रण में अकेले पड़े तेज प्रताप
बिहार विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच पिछले दिनों तेज प्रताप का अनुष्का यादव के साथ सोशल मीडिया पर फोटो वायरल होने के बाद सियासी भूचाल आ गया था. लालू परिवार कशमकश की स्थिति में था. इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने तेज प्रताप को पार्टी और परिवार दोनों से बेदखल कर दिया. इसके बाद विपक्षी दलों ने कहा कि सियासी डैमेज कंट्रोल के लिए भले ही तेज प्रताप को लालू ने परिवार और पार्टी से बाहर कर दिया हो, लेकिन मामला शांत होने के बाद ले लेंगे और आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
लालू प्रसाद यादव का दिल तेज प्रताप के लिए नहीं पसीजा और महुआ सीट से आरजेडी ने अपने मौजूदा विधायक को ही चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया. वहीं, आरजेडी से निकाले जाने के बाद तेज प्रताप ने अपनी अलग राजनीतिक पार्टी ‘जन शक्ति जनता दल’ बनाई है और इसी के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं.
चुनाव प्रचार में लालू परिवार का कोई भी शख्स तेज प्रताप के साथ नजर नहीं आ रहा है और वह अलग-थलग पड़ गए हैं. मां-बाप ने चुप्पी साध ली, परिवार ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया, भाई तेजस्वी ने साथ छोड़ दिया. ऐसे में अब वह अकेले अपने दम पर अपना राजनीतिक वजूद बचाने की जंग लड़ रहे है. इसी का नतीजा है कि तेज प्रताप यादव अब अपने भाई और आरजेडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
तेजस्वी यादव-तेज प्रताप में खिंची तलवार
तेज प्रताप यादव अपनी पुरानी महुआ सीट पर आरजेडी और बीजेपी के सियासी चक्रव्यूह में घिरे हुए नजर आ रहे हैं. छोटे भाई तेजस्वी ने तेज प्रताप के खिलाफ महागठबंधन का प्रत्याशी उतार दिया है. महुआ से आरजेडी उम्मीदवार उतारने से तेज प्रताप की राह काफी मुश्किलों भरी हो गई है. यही वजह है कि तेज प्रताप यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि वह किसी भी क़ीमत पर आरजेडी में नहीं जाएंगे, मरना मंजूर है लेकिन आरजेडी में नहीं जाएंगे.
तेज प्रताप ने कहा कि वह सत्ता के लालची नहीं हैं, जिसे जनता का आशीर्वाद मिलेगा वही जीत हासिल करेगा. उन्होंने कहा कि तेजस्वी उनके छोटे भाई हैं, उन्हें आशीर्वाद दे सकते हैं लेकिन उनके लिए सुदर्शन चक्र नहीं चला सकते. इतना ही नहीं तेजस्वी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली और राघोपुर सीट से अपना प्रत्याशी भी उतार रखा है.
तेज प्रताप यादव ने राघोपुर से तेजस्वी यादव के खिलाफ आरजेडी के महासचिव रहे प्रेम कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है. इस तरह से तेज प्रताप ने तेजस्वी के खिलाफ वैसा ही दांव चल दिया, जैसे आरजेडी ने महुआ सीट पर उनके खिलाफ चला है. महुआ से आरजेडी ने मुकेश रौशन को उम्मीदवार बनाया तो जवाब में राघोपुर सीट पर तेज प्रताप ने प्रेम कुमार यादव पर भरोसा जताया हैय
तेजस्वी के खिलाफ पूरी तरह से तेज प्रताप आर-पार के मूड में हैं। तेज प्रताप ने साफ़-साफ शब्दों में कहते हैं कि तेजस्वी ने हमारे खिलाफ प्रत्याशी उतारा तो हमने भी उतार दिया. हमारे लिए जिस तरह बीजेपी और जेडीयू है, उसी तरह से आरजेडी भी है. इतना ही नहीं तेज प्रताप कहते हैं कि वह राघोपुर सीट पर अपने प्रत्याशी प्रेम कुमार का प्रचार करने के लिए जाएंगे.
तेजस्वी की राह में तेज प्रताप का रोड़ा
तेजस्वी यादव को अर्जुन बताकर उनका रथ खींचने का दावा करने वाले तेज प्रताप अब छोटे भाई को ‘जननायक’ मानने से भी साफ़ इनकार कर दिया है. तेज प्रताप ने साफ शब्दों में कहा कि तेजस्वी यादव की पहचान उनके पिता लालू प्रसाद यादव के कारण है, न कि उनके स्वयं के प्रयासों के कारण.
उन्होंने छोटे भाई को नसीहत देते हुए कहा कि वह हमारे पिता के बलबूते पर हैं, अपने बलबूते पर नहीं हैं. जिस दिन तेजस्वी यादव अपने भरोसे आएगे, तब उन्हें जननायक कहेंगे. इससे समझा जा सकता है कि कैसे दोनों भाइयों के बीच सियासी अदावत छिड़ गई है.
तेज प्रताप के इस फ़ैसले से यह भी साफ हो गया है कि दोनों भाइयों के बीच अब किसी तरह के सुलह की गुंजाइश समाप्त हो गई है. यह बात तेज प्रताप ख़ुद भी कहते हैं कि अब समझौता नहीं होगा और न ही आरजेडी में कभी जाएंगे. इतना ही नहीं तेज प्रताप ने जिस तरह से अपनी पार्टी बनाई और चुनाव में उम्मीदवार उतारे हैं, उससे आरजेडी के वोटों में बिखराव का खतरा बन गया है. इसके अलावा तेज प्रताप ने जिस तरह तेजस्वी को निशान पर ले रहे हैं, उससे भी आरजेडी की चिंता बढ़ सकती है.
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