Tuesday 02/ 12/ 2025 

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N. Raghuraman’s column: Every industry must move beyond the basics to succeed | एन. रघुरामन का कॉलम: सफलता के लिए हर उद्योग को बुनियादी चीजों से आगे बढ़ना होगा

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11 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

वे सभी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों और वर्गों से थे। कुछ बैकपैकर्स तो कुछ परिवार थे। जबकि अन्य कोलंबो के पांच सितारा होटल ताज समुद्रा के तटों पर डिजिटल घुमक्कड़ थे। कुछ बुटीक होटलों में, कुछ गेस्ट हाउस में और कुछ होमस्टे में ठहरे थे। लेकिन विभिन्न श्रेणियों के ये लोग अपने मोबाइल फोन के बिना उस शांत पल को अनुभव कर रहे थे।

हालांकि, कुछेक के पास मोबाइल था। कुछ भविष्य के लिए उन पलों को कैप्चर कर रहे थे, लेकिन अधिकतर उगते सूरज की पृष्ठभूमि में उन पलों में डूबे हुए थे। कुछ लोग इमर्सिव और वेलनेस एक्टिविटी से इन पलों को जीने में खुश थे या फिर संरक्षण-आधारित साहसिक कार्यों में व्यस्त थे।

वे उस हवादार तट पर एक-दूसरे की ओर देखकर मुस्कराने या उन्हें विश करने में हिचक नहीं रहे थे। क्योंकि, वे सभी एक ही डोर से जुड़े थे- किसी गहरी चीज की तलाश। वे किसी भी प्रामाणिक भागीदारी के लिए तैयार थे और अपने साथ ले जाने के लिए कोई यादगार अनुभव तलाश रहे थे।

जी हां, इस सोमवार को सूर्योदय के वक्त मैंने विभिन्न वित्तीय पृष्ठभूमि वाले इन मेहमानों को अपने डिजिटल सहायक ‘मोबाइल’ के बिना आपस में जुड़ने की कोशिश करते देखा। वे दूसरों को इस आधार पर नहीं आंक रहे थे कि वे कहां ठहरे हैं, बल्कि वे सभी घर ले जाने और साझा करने के लिए एक कहानी तलाश रहे थे।

होमस्टे वाले जानना चाह रहे थे कि फाइव स्टार होटल में क्या रोमांचक है, जबकि होटल वाले उत्सुक थे कि होमस्टे में कैसा एडवेंचर है। अमीर बता रहे थे कि उन्हें कैसे 26 अक्टूबर से शुरू हुए ‘एकेडमिक थेस्पियन थिएटर फेस्टिवल 2025’ में भाग लेना है, जहां अभिनेता प्रशिक्षित किए जाते हैं।

थोड़े कम अमीर साझा कर रहे थे कि होमस्टे में कैसे उन्होंने श्रीलंकाई व्यंजन पकाना सीखा, जो सामुदायिक भोजन भी है। दिलचस्प यह है कि ये बदलाव ट्रैवल इंडस्ट्री या किसी देश के लिए नए नहीं हैं। खासकर, जब से जेन-जी ने अकेले घूमना शुरू किया है।

इसमें अचंभा नहीं कि श्रीलंका जैसे छोटे देश खेतों के बीच साइकिलिंग जैसे पर्यटन संबंधी नए-नए आइडिया ला रहे हैं। वे कंबोडिया जैसे छोटे देशों से सीख रहे हैं, जहां कार्डमॉम टेंटेड कैंप में मेहमान एंटी-पोचिंग पैट्रोल में शामिल होते हैं। थाईलैंड के आरएलएएक्स प्लेटफॉर्म ने दिखाया है कि कैसे छोटी प्रोपर्टीज भी ‘वेलनेस’ सेवाएं प्रदान कर सकती हैं।

वियतनाम के होमस्टे मेहमानों को खेती, कुकिंग, शिल्प में शामिल करते हैं, जिससे पूरा गांव लाभान्वित होता है। जापान के रयोकान्स टी सेरेमनी, किमोनो ड्रेसिंग और मेडिटेशन आयोजित करते हैं। बाली के रिट्रीट्स योगा कराते हैं। ये गतिविधियां किसी गंतव्य के स्टॉपओवर्स हैं, जहां यात्री ठहरते हैं, रीचार्ज होते हैं और प्रकृति की नई चीजों में डूब जाते हैं।

श्रीलंका जैसे छोटे देश से मैंने सीखा कि पर्यटन उद्योग महज साफ कमरा और अच्छा नाश्ता देना नहीं है। महत्वपूर्ण है पर्यटकों के लिए विलेज पॉटरी क्लासेस जैसे खास सांस्कृतिक आयोजन करना, भले वे खुद की रील बनाने के लिए करते हों।

आज का यात्री दशकों पहले तय हुई सेवाओं से आगे कुछ तलाश रहा है। वे क्यूरेटेड सैर-सपाटा, गाइडेड हाइक्स, शॉपिंग टूर्स की तलाश करते हैं, जो उन्हें मोलभाव करना सिखाएं, ना कि महज दुकानदार से कमीशन लेने पर ध्यान दें। वे स्टैंडर्ड टूर्स के स्थान पर पर्सनलाइज्ड आउटिंग चाहते हैं।

कई जगहों पर क्लिनिक जाने के बजाय इन-हाउस आयुर्वेदिक मसाज या थेरेपी दी जाती है। यात्रियों की विश-लिस्ट में दो-दिवसीय फिटनेस क्लासेस या नेचरलिस्ट्स के साथ इको-वॉक बेहद लोकप्रिय है। हॉस्पिटलिटी का भविष्य अकॉमोडेशन बिजनेस में नहीं, बल्कि इसके आसपास के अनुभव में निहित है। इस प्रकार होटलियर अपनी प्रॉपर्टीज को स्थानीय संस्कृति के गेट-वे में बदल सकते हैं।

फंडा यह है कि पर्यटन उद्योग में अकॉमोडेशन प्रोवाइडर्स को समझना पड़ेगा कि एकीकृत अनुभव देने से ना सिर्फ उनके उद्योग को नयापन मिलेगा, बल्कि सभी को घर ले जाने और साझा करने के लिए कहानी भी मिलेगी। सरल शब्दों में ‘यात्रियों को अनुभव दीजिए।’

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