Pt. Vijayshankar Mehta’s column – God automatically moves towards the devotee | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: भक्त की ओर परमात्मा अपने आप ही चलता है

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4 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
ईश्वर तक जाने के अनेक मार्ग हैं, लेकिन लक्ष्य एक ही है। ऊपर वाले ने इतनी बड़ी सुविधा दी है कि जिस मार्ग में रुचि हो, उससे आओ। किसी ने कहा भी है कि तुम जमाने की राह से आए, वरना सीधा रास्ता था दिल का। और शिव जी ने गरुड़ से कहा कि आपको राम को जानना हो तो काकभुशुंडि जी के पास चले जाओ।
और साथ में टिप्पणी कर दी- मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा, किएं जोग तप ग्यान बिरागा। बिना प्रेम के केवल योग, तप, ज्ञान और वैराग्य से रघुनाथ जी नहीं मिलते। तुम सत्संग के लिए वहां चले जाओ। तो एक तरफ प्रेम है, और दूसरी तरफ योग, तप, ज्ञान, वैराग्य। प्रेम की अद्भुत ताकत है। इसे हम इमोशनल स्ट्रेंग्थ कह सकते हैं।
सैनिकों को फिजिकल स्ट्रेंग्थ के साथ इमोशनल डिसिप्लिन भी सिखाया जाता है। क्योंकि प्रेम ऐसा अनुशासन है, जिसमें गहराई के साथ स्वीकृति व अपनेपन के साथ स्वतंत्रता होती है। जो प्रेमिल हो गया, उसे भक्त होना आसान है। और जो भक्त हो गया, परमात्मा उसकी ओर आप चलता है।
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