Pt. Vijayshankar Mehta’s column – We have to remove the veil of ego and God will help us | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अहंकार का परदा गिराना हमें है और मदद ईश्वर करेंगे

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3 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
गोस्वामी तुलसीदास जी की विशिष्ट शैली है कि किसी प्रसंग में दो पात्रों के बीच में बात करवाते हैं और उस बातचीत से एक गहरा संदेश दे देते हैं। शिव जी पार्वती जी को बता रहे थे कि गरुड़ को भ्रम हो गया। ईश्वर के प्रति उसका संदेह मिटाने के लिए मैंने उसे काकभुशुंडि के पास भेजा। और तभी शंकर जी कहते हैं कि इसके पीछे एक कारण और था।
गरुड़ को अभिमान हो गया था। होइहि कीन्ह कबहुं अभिमाना, सो खोवै चह कृपानिधाना। उसने कभी अभिमान किया होगा, जिसको कृपानिधान श्रीराम नष्ट करना चाहते हैं। इसका मतलब है कि भक्त को अभिमान होता है और भगवान चाहते हैं कि इसका अभिमान नष्ट हो जाए।
हमारे और परमात्मा के बीच अहंकार का परदा है। दिखता नहीं है और न ही हमें ईश्वर को देखने देता है। इसे गिराना हमें है और मदद ईश्वर करेंगे। परमात्मा हमको अकेले नहीं छोड़ते। बस वो कहते हैं- तू जागरूक होकर मेरा भरोसा कर। तेरे अभिमान को गिराने में भी मैं मदद करूंगा। अहंकार गिरा दें, ईश्वर हमारे सामने ही खड़ा है।
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