N. Raghuraman’s column: Make your mark beyond your professional life | एन. रघुरामन का कॉलम: पेशेवर जीवन के इतर अपनी पहचान बनाएं

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7 मिनट पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
जीवनकाल बढ़ने के साथ कई लोगों का करियर भी लंबा हो रहा है। मुम्बई में हुए एक जॉब फेयर में 5500 से अधिक वरिष्ठ लोगों की मौजूदगी से मुझे यह बात समझ आई, जो उन्हीं के आयुवर्ग के लिए आयोजित हुआ था। वह 59 साल के थे।
अपनी 38 साल पुरानी नौकरी में एक साल और जुड़ते ही उन्हें नया पदनाम मिल जाएगा– रिटायर्ड। यह उन्हें बहुत डराता है। वो उन सीनियर्स में से थे, जिनके पास अभी भी अच्छी नौकरी है। धैर्य के साथ लाइन में लग कर वे एक टेबल से दूसरी पर जा रहे थे, जहां उनकी उम्र के लिहाज से नौकरियां बताई जा रही थीं।
मैंने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों? उन्होंने कहा उम्र से ज्यादा यह लॉजिस्टिक्स का मसला है। साउथ मुंबई में ऑफिस क्वार्टर के पास किराया बहुत ज्यादा है। उनकी पत्नी अभी उपनगरों में शिफ्ट नहीं होना चाहती, क्योंकि उनके रिटायर होने में चार साल शेष हैं।
वे मुंबई की बदतर ट्रैफिक में आना–जाना नहीं चाहतीं। चूंकि बच्चे विदेश में सेटल हैं, इसलिए उन्हें लगता है कि वे अभी भी प्रोडक्टिव रह सकते हैं। उनका उत्साह कम नहीं हुआ है। उन्होंने मुझसे सवाल किया कि ‘मुकेश अंबानी साठ की उम्र में भी निजी क्षेत्र के विभिन्न अति महत्वाकांक्षी व्यवसाय कर सकते हैं तो आईआईटी डिग्रीधारक होने के नाते मैं क्यों नहीं कर सकता?’
मैंने बस सिर हिला कर गुड–लक कहा। जैसे ही मैं चलने लगा तो वे पीछे से मजाकिया लहजे में बोले, ‘आप तो मुझसे कहीं सीनियर हैं और सोसायटी के लिए आज भी प्रासंगिक हैं।’ मैंने मुस्कुराते हुए हाथ हिला दिया।
ऐसे बहुत से सीनियर्स हैं, जो वर्कफोर्स में बने रहने के रास्ते तलाश रहे हैं। कोई भी यह तथ्य नहीं नकार सकता कि जब भारत खुद को युवा देश कहलाना पसंद करता है तो इसी वक्त कार्यस्थलों पर सीनियर्स बढ़ रहे हैं। 2050 तक 60 के पार की आबादी 34.7 करोड़ होने का अनुमान है।
लगभग हर पांच में से एक भारतीय वरिष्ठ नागरिक होगा। मुंबई जैसे बड़े शहरों में यह बदलाव दिखने भी लगा है, जहां फर्टिलिटी रेट तेजी से गिरी है और जीवन प्रत्याशा बढ़ी है। बढ़ती लिविंग कॉस्ट भी उन्हें यथासंभव कमाते रहने के लिए मजबूर कर रही है।
ऐसे बहुत से कारण हैं, जिनसे लोग अधिक उम्र में भी रिटायरमेंट टालते हैं। कुछ के लिए वित्तीय कारण हैं। बहुत से ऐसे उच्च शिक्षित पेशेवर और बिजनेस मालिक हैं, जिन्हें अपने काम में बेहद आनंद आता है। लंबी उम्र तक काम करने वाले बहुत–से लोग सेल्फ-एम्प्लॉयड हैं, जिनका शायद कामकाज के समय पर अच्छा नियंत्रण है। काम का मजा लेने वालों का कहना है कि यह समाज से जोड़े रखता है। शरीर और दिमाग चुस्त रहते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो कभी काम छोड़ ही नहीं पाते।
कई ऑर्गेनाइजेशन बुजुर्गों को रखना चाहते हैं, ताकि ग्राहकों को समझने की उनकी योग्यता का फायदा उठा सकें। उन्हें समस्या हल करने वाला माना जाता है। वे समय से आते हैं और अनुशासन से काम करते हैं। युवा कर्मचारी भी उनसे सीखते हैं। ऐसे बहुत से ऑर्गेनाइजेशन हैं, जिन्होंने कई सारे मुख्य अनुभव अधिकारियों (सीएक्सओ) को अपने सभी वर्टिकल्स में ‘ग्रैंड मैनेजर’ के तौर पर नियुक्ति दी है।
पैसे से अधिक उनके लिए प्रासंगिकता और उद्देश्य जरूरी है। ‘विजडम सर्कल’ जैसे ग्रुप्स प्रोजेक्ट आधारित कामकाज और एडवायजरी भूमिकाओं की तलाश में रहते हैं। ग्रुप के पास एक लाख से ज्यादा वरिष्ठ सदस्य हैं, जो 1200 संगठनों के साथ काम करते हैं।
कंपनियों को एक बात समझनी होगी कि सीनियर्स कामकाज में अपना ज्ञान देने को तैयार है, लेकिन फुल–टाइम नहीं। किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी का सीनियर इंजीनियर साइट इंचार्ज के तौर पर रिटायर हो सकता है, लेकिन यदि वो प्लंबिंग में बेहतर है तो उन्हें जीवनभर सर्वश्रेष्ठ प्लंबर के तौर पर याद किया जाएगा। प्लंबिंग संबंधी कोई भी समस्या सुलझाने के लिए उन्हें ही कॉल किया जाएगा।
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