Pt. Vijayshankar Mehta’s column – The passing generation can also do a lot for Gen-G | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: गुजरती पीढ़ी भी जेन-जी के लिए बहुत कर सकती है

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2 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
पुराने लोगों के हिसाब से तो छह उम्र होती थीं- बचपन, तरुणाई, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था और जरावस्था। अब इन्हें नया नाम दिया गया है, जेन-जी, मिलेनियल्स, बेबी बूमर्स। आप जिस भी उम्र में हों, पर यह याद रखिएगा कि ऊर्जा का स्रोत आपका क्या है। अगर केवल भौतिक संसाधन हैं तो आने वाले वक्त में इसकी कीमत चुकाएंगे।
जेन-जी बिल्कुल अलग ढंग से जी रहे हैं, पर इसका एक बड़ा कारण भी है कि ये जिम्मेदारियों से मुक्त हैं। राष्ट्रीयता का बोध, समाज के प्रति जागरूकता, परिवार के प्रति अंतरंगता इनमें कम है, तो मस्ती चढ़ना ही है। इनकी योग्यता में ओवरफ्लो हो रहा है। और उसको सस्टेनेबल बनाने के लिए गुजरती पीढ़ी को अपनी भूमिका छोड़नी नहीं चाहिए।
क्योंकि इन नए लोगों के जीवन में वर्क-लाइफ बैंलेंस का चैलेंज आएगा। और ये आने वाले वक्त में बाकी सब चीजों पर कंट्रोल कर लेंगे, पर सेहत के हाथों मारे जाएंगे। इसलिए जो पीढ़ी गुजर रही है, वह जैसे-तैसे इनको कुछ ना कुछ देते रहे, जो इनके आगे काम आए।
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