Ruchir Sharma’s column: Despite the digital revolution, the real world remains the same | रुचिर शर्मा का कॉलम: डिजिटल क्रांति के बावजूद वास्तविक दुनिया यथावत है

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4 घंटे पहले
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रुचिर शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टर व बेस्टसेलिंग राइटर
जैसा कि हर तकनीकी क्रांति के साथ होता है, डिजिटल क्रांति ने भी कई चेतावनियों को जन्म दिया है। हमें बताया जाता रहा है कि नया बहुत जल्द पुराने की जगह ले लेगा। दस वर्ष पहले तक तो विशेषज्ञों को पूरा विश्वास था कि डिजिटल और वर्चुअल दुनिया भौतिक दुनिया का अंत कर देगी। ई-बुक्स छपी हुई किताबों को खत्म कर देंगी।
ऑनलाइन शॉपिंग दुकानों को खाली कर देगी। स्वचालित इलेक्ट्रिक टैक्सियों के बेड़े सड़कों से कारों को हटा देंगे। एक अनुमान ने तो अमेरिका में जीवाश्म ईंधन से चलने वाली कारों की बिक्री के वर्ष 2024 तक शून्य हो जाने की भविष्यवाणी कर दी थी।
लेकिन आज न केवल पुराना आश्चर्यजनक रूप से नए के मुकाबले टिक रहा है, बल्कि फल-फूल भी रहा है। तकनीक भले तेजी से बढ़ रही हो, लेकिन इंसान हर नई चीज को तुरंत अपनाने नहीं दौड़ते। भौतिक दुनिया में पले-बढ़े उपभोक्ता अभी भी पारंपरिक चीजों के साथ अधिक सहज महसूस करते हैं। अमेरिका में एक सर्वे में पाया गया कि दो-तिहाई लोगों की इच्छा है वे उस समय में लौट सकें जब हर कोई ‘प्लग्ड-इन’ नहीं था।
पिछले दशक की शुरुआत तक अंदेशा जताया जा रहा था कि पाठक सोशल मीडिया की छोटी पोस्टों के लिए किताबें छोड़ देंगे और जो किताबें बचेंगी, वे भी डिजिटल रूप में होंगी। लेकिन पिछले 10 वर्षों में मुद्रित किताबों की बिक्री ने डिजिटल विकल्पों के सामने कोई जमीन नहीं छोड़ी है।
अमेरिकन पब्लिशर्स एसोसिएशन के अनुसार छपी हुई किताबें आज भी अमेरिकी पुस्तक बाजार के 80% हिस्से में छाई हुई हैं। किताबों की बिक्री लगातार बढ़ रही है और पिछले साल यह 3.1 अरब तक पहुंच गई थी- यानी हर व्यक्ति पर लगभग नौ किताबें। यह दर्शाता है कि अमेरिकी आज भी बड़े पैमाने पर छपी हुई किताबें पढ़ रहे हैं।
या फिर कारों को ही लें। जैसे ही जलवायु के प्रति सजग सरकारों ने इलेक्ट्रिक कारों को सब्सिडी देकर इंटर्नल कम्बशन इंजनों को समाप्त करने की कोशिश की, विश्लेषकों ने उनके युग के अंत की भविष्यवाणी कर दी। लेकिन अब, जिन देशों में ये सब्सिडी खत्म हो रही हैं, वहीं पर बड़ी कार कंपनियां भविष्यवाणी कर रही हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री तेजी से गिरने वाली है।
हाल ही में जनरल मोटर्स ने कहा कि कम्बशन इंजनों की पूंछ कहीं अधिक लंबी है, जितना कि किसी ने सोचा भी नहीं था। फोर्ड कहता है अमेरिका में ईवी की बाजार-हिस्सेदारी अगले साल आधी होकर 5% रह जाएगी। टोयोटा अब भी यह मानकर कारों का बेड़ा तैयार कर रही है कि बहुत से ड्राइवरों को डीजल से चलने वाली कारों की गड़गड़ाहट और गंध ज्यादा पसंद है।
भौतिक दुकानें भी खत्म नहीं हुई हैं। महामारी की शुरुआत में ऑनलाइन खरीदारी में तेज उछाल आया था, लेकिन पिछले पांच वर्षों से यह लगभग 20% अमेरिकी खुदरा बिक्री पर स्थिर है। बाकी खरीदारी अब भी फिजिकल स्टोर्स में होती है, जहां 2021 के बाद से हर साल करीब 2,000 नई दुकानें खुल रही हैं। यह संख्या बंद होने वाली दुकानों से कहीं ज्यादा है। उपनगरीय अमेरिका की अकसर आलोचना झेलने वाले इनडोर मॉल भी फिर से जीवन के संकेत दे रहे हैं।
छोटे मॉल भले गायब हो रहे हों, लेकिन बड़े और प्रीमियम मॉल खुद को नई पीढ़ी के हिसाब से बदल रहे हैं। वे खरीदे गए सामान की ऑन-साइट पिक-अप सुविधा दे रहे हैं ताकि ग्राहक वहीं ट्राई कर सकें; डिपार्टमेंट स्टोर्स की जगह छोटे, ट्रेंडी स्टोर ला रहे हैं जो उसी जगह से ज्यादा कमाई करते हैं; फूड कोर्ट स्वयं को अपग्रेड कर रहे हैं और अपने यहां सामाजिक आयोजनों की संख्या बढ़ा रहे हैं। जैसे ही अमेरिका में फिजिकल रिटेल स्थिर हुआ, वैसे ही फिजिकल कैश का इस्तेमाल भी स्थिर होने लगा है।
इतना ही नहीं, युवा डिजिटल-नेटिव ही इन रेट्रो रुझानों को सबसे ज्यादा बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिका में 35 वर्ष से कम आयु के लोग मॉल में सबसे अधिक जाते हैं। मोबाइल स्क्रीन से दूरी बनाने के उत्साह में युवा ग्राहक पुराने तकनीकी उपकरणों- फ्लिप फोन से लेकर सीडी तक- को फिर से खोज रहे हैं।
बच्चों को ऑनलाइन एडिक्शन से बचाने की कोशिश कर रहे युवा माता-पिता उन्हें लैंडलाइन फोन के रंग-बिरंगे नए संस्करण खरीदकर दे रहे हैं। यहां तक कि विनिल रिकॉर्ड्स की बिक्री भी पिछले दशक में तीन गुना बढ़कर लगभग 5 करोड़ तक पहुंच गई है।
इनमें पुराने बीटल्स एल्बम ही नहीं, बल्कि टेलर स्विफ्ट जैसे सितारों के नए रिकॉर्ड भी हैं। इनके खरीदार बताते हैं कि उन्हें इनका कवर आर्ट, स्लीव नोट्स, सुई से आने वाली कभी-कभार की खुरदरी आवाज अच्छी लगती है। यह वर्चुअल दुनिया की नीरसता से भागने का एक और तरीका भी है।
पुराना न केवल नए के मुकाबले टिक रहा है, बल्कि फल-फूल भी रहा है। तकनीक भले तेजी से बढ़ रही हो, लेकिन इंसान हर नई चीज को तुरंत अपनाने नहीं दौड़ते। कई उपभोक्ता पारंपरिक चीजों के साथ अधिक सहज हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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