Tuesday 02/ 12/ 2025 

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N. Raghuraman’s column – If money gets the flavour of charity, its value increases manifold | एन. रघुरामन का कॉलम: यदि पैसे को चैरिटी का रंग मिल जाए तो इसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है

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7 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

वे 4 जुलाई 1977 को मुख्यमंत्री बने। इसीलिए वे चाहते थे कि उनकी कार का नंबर 4777 हो। इसी वजह से उन्होंने ग्रीनिश ब्लू एम्बेसडर का नंबर टीएमएक्स 4777 लिया। कुछ वर्षों बाद जब महाराष्ट्र में एमजीआर सीरीज शुरू हुई तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत एमजी रामचंद्रन ने बॉम्बे (अब मुंबई) में एक कार खरीदी।

उसे एमजीआर 4777 के तौर पर रजिस्टर्ड करवाया। हालांकि उन्होंने इसका अधिक इस्तेमाल नहीं किया। कभी-कभार जब यह कार सीएम को छोड़ने या लेने एयरपोर्ट जाती तो लोग स्पीड में चलती इस कार को पहचान लेते कि ये किसकी है। ऐसा शौक शायद उनके जैसे व्यक्ति के लिए जरूरी रहा होगा, जिन्होंने लगभग पांच दशक जनता के बीच जीवन बिताया।

मेयो कॉलेज, अजमेर की 150वीं एनिवर्सरी पर भी 27-30 नवंबर तक पूर्व राजघरानों की ऐसी विंटेज कारों की प्रदर्शनी लगाई गई। कारों पर जयपुर-1, जोधपुर-2, जोधपुर-24 जैसे नंबर थे। तो एमजीआर ने ही कुछ नया नहीं किया था, बल्कि सदियों से लोगों की कार नंबरों समेत हर खास चीज को रखने की मानसिकता रही है। खासकर, जो ताकत और पैसे का प्रदर्शन करते थे या परोपकारी थे, जो गरीबों के लिए कुछ करना चाहते थे।

मुझे देश के कुछ अमीरों की ऐसी दिलचस्प और कम प्रचलित कहानियां तब याद आईं, जब हरियाणा में बीते बुधवार को ई-ऑक्शन में एक नंबर प्लेट 1.17 करोड़ रुपए में बिकी। यह भारत की अब तक बिकी सबसे महंगी नंबर प्लेट थी। तो एचआर88 बी 8888 में ऐसा क्या खास है?

न्यूमेरोलॉजी में 8 महत्वाकांक्षा, ताकत और भौतिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस धारणा के अलावा इसका विजुअल पैटर्न भी खरीदारों को आकर्षित करता है। कुछ लोगों ने अल्फाबेट B को भी 8 के जैसे ही देखा और ऐसे में पूरी नंबर प्लेट को 8888888 समझ लिया।

हरियाणा में रिपीटिंग नंबरों के लिए शुरुआती बोलियां 75 हजार रुपए से लेकर आखिरी में 0001 जैसे नंबर वाली प्लेटों के लिए 5 लाख रुपए तक जाती हैं। लेकिन इस रजिस्ट्रेशन के लिए बोली 21 नवंबर से 26 नवंबर तक चली। स्पेशल 8 की इस दीवानगी ने एक अलग तस्वीर दिखाई कि लोग यह नंबर पाने के लिए कैसे जूझ जाते हैं।

नीलामी जीतने वाले को अब पांच दिनों में पूरी रकम जमा करानी थी। ऐसा नहीं होने पर नीलामी रद्द और सिक्योरिटी राशि जब्त होने का प्रावधान था। बोली के वक्त वाहन होना जरूरी नहीं होता, लेकिन फीस देने के 90 दिनों में नंबर का किसी वाहन पर रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है, वरना बिना किसी रिफंड के बोली रद्द कर दी जाती है।

कई शौकीन लोग अकसर ऐसे नंबरों को पहले किसी टू-व्हीलर पर भी रजिस्टर्ड करा लेते हैं ताकि नंबर उनके पास आ जाए और बाद में वे इसे किसी प्रीमियम कार पर ट्रांसफर कर सकें। कुछ लोग ऐसे नंबरों को मूल्यवान सम्पत्ति के तौर पर रखते हैं और कई चाहते हैं कि उनके सभी वाहनों पर अंतिम चार नंबर एक जैसे हों। हालांकि, सरकार ने आधिकारिक रूप से खरीदार का नाम नहीं बताया, लेकिन मीडिया को हिसार के 30 साल के उस व्यवसायी का नाम पता है।

दुबई में 2023 में पी-7 नंबर प्लेट 55 मिलियन यूनाइडेट अरब अमीरात दिरहम (लगभग 120 करोड़ रुपए) में नीलाम हुई, जो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है। यह नीलामी एक तरह से चैरिटी इवेंट भी थी, जिसने दुबई की लग्जरी कल्चर के साथ उसकी दानशीलता को भी दिखाया। इससे पहले 2008 में 1 नंबर की प्लेट भी करीब 110 करोड़ रुपए में बिकी थी। अमेरिका में पर्सनलाइज्ड प्लेटें अकसर मामूली कीमत वाली चीजें मानी जाती हैं।

फंडा यह है कि भले ही ऐसी महंगी नंबर प्लेट खरीदने की संस्कृति संग्रहण योग्य सम्पत्ति की हो, लेकिन यदि इसमें दुबई की तरह चैरिटी का रंग भी जुड़ जाए तो इसकी कीमत को एक अलग ही आयाम मिल जाता है। अब यह तो वक्त बताएगा कि इस नंबर प्लेट को बेचने वाले हरियाणा के सोनीपत (88 सोनीपत का एक आरटीओ कोड है) को इसका कुछ फायदा मिलता है या नहीं।

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