Monday 21/ 04/ 2025 

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अंतरिक्ष में भी आते हैं भूकंप, क्या धरती पर इसका असर होता है?

अंतरिक्ष में भूकंप कैसे आता है?

अंतरिक्ष में भूकंप कैसे आता है?

आपने अक्सर सुना होगा कि भूकंप से इस हिस्से की धरती हिल गई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में भी भूकंप आते हैं? इसे ‘स्पेसक्वेक’ (Spacequake) कहा जाता है। ये पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में ऊर्जा की अत्यधिक हलचल का परिणाम होते हैं। यह कोई काल्पनिक घटना नहीं, बल्कि एक वास्तविक वैज्ञानिक घटना है, जिसका हमारे जीवन पर अप्रत्यक्ष असर पड़ सकता है।

अंतरिक्ष भूकंप कैसे होते हैं?

धरती के चारों ओर एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र है, जिसे मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere) कहा जाता है। यह चुंबकीय क्षेत्र हमें अंतरिक्ष से आने वाली हानिकारक किरणों और सौर रेडिएशन से बचाता है। हालांकि, जब सूरज से निकलने वाली सौर हवा (Solar Wind), जो कि ionized gas का एक तेज प्रवाह है, इस चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है, तो यह एक प्रकार का ‘खिंचाव’ उत्पन्न करती है। यह रबर बैंड की तरह खिंचकर वापस झटका देती है। इसी प्रक्रिया में चुंबकीय ऊर्जा एक झटके के साथ वापस पृथ्वी की ओर आती है। इस झटका को ही हम अंतरिक्ष भूकंप यानी स्पेसक्वेक कहते हैं।

अंतरिक्ष भूकंप और सामान्य भूकंप में अंतर

दरअसल, सामान्य भूकंप की उत्पत्ति पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स से होती है, जो भौतिक रूप से धरती की सतह में हलचल उत्पन्न करती हैं, जबकि अंतरिक्ष भूकंप चुंबकीय क्षेत्र के भीतर घटित होते हैं। सामान्य भूकंप से भौतिक कंपन (Seismic Waves) उत्पन्न होते हैं, जो इमारतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जमीन में दरारें डाल सकते हैं। इसके विपरीत, अंतरिक्ष भूकंप से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स उत्पन्न होती हैं, जिनका असर सैटेलाइट, GPS, टेलीकम्युनिकेशन और पावर ग्रिड्स जैसे तकनीकी सिस्टम पर पड़ सकता है।

अंतरिक्ष भूकंप को लेकर क्या है स्टडी?

Image Source : INDIATV

अंतरिक्ष भूकंप को लेकर क्या है स्टडी?

अंतरिक्ष भूकंप के पृथ्वी पर प्रभाव?

अंतरिक्ष भूकंप का भौतिक प्रभाव तो नहीं होता, जैसे कि सामान्य भूकंप से होता है, लेकिन इसके प्रभाव तकनीकी दृष्टि से अत्यधिक अहम होते हैं। जब ये शक्तिशाली चुंबकीय झटके पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो ऑरोरा (Northern Lights) जैसे भव्य प्रकाश उत्पन्न होते हैं, जो खासकर उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है।

इसके अलावा, इन चुंबकीय हलचल की वजह से पावर ग्रिड्स में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे बिजली की सप्लाई बाधित हो सकती है। साथ ही, GPS और सैटेलाइट आधारित संचार प्रणाली भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे आधुनिक जीवन की तकनीकी सेवाएं अस्थिर हो सकती हैं।

कब किया गया था पहली बार इसका अध्ययन?

अंतरिक्ष भूकंप की घटना को वैज्ञानिकों ने पहली बार 2010 में THEMIS अंतरिक्ष मिशन के दौरान देखा था। इसके बाद से कई शोधों ने यह सिद्ध किया है कि अंतरिक्ष भूकंपों के कारण चुंबकीय क्षेत्र में भारी उथल-पुथल होती है, जिससे पृथ्वी पर तकनीकी प्रणालियों पर असर डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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