Sunday 12/ 10/ 2025 

PAK vs SA: ‘ड्रामा करेगा…’, बाबर आजम पर क्यों भड़के कमेंटेटर रमीज राजा, Video वायरल – Rameez raja on babar azam He will create drama Pakistan vs south Africa test match ntcpas"अफगानिस्तान में TTP का कोई मरकज नहीं", पाकिस्तान पर अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने साधा निशाना, कहा- 4 साल से यहां शांति हैदुर्गापुर गैंगरेप: CM ममता का विवादित बयान, जानें…नीतीश Vs तेजस्वी में किसको चुनेंगे युवा?दादा Amitabh Bachchan संग चहकती दिखीं लिटिल आराध्या!'ऑपरेशन ब्लू स्टार गलत कदम, इंदिरा गांधी ने जान देकर चुकाई कीमत', पी चिदंबरम का बड़ा बयानदुनिया आजतक: गोलीबारी से दहला अमेरिका का स्कूल, 4 लोगों की मौत6 दिन बाद भी IPS पूरन का अंतिम संस्कार नहीं, हरियाणा सरकार ले सकती है बड़ा फैसला – ips puran kumar suicide case haryana cabinet family demand lclkबिहार: NDA में आज सीट बंटवारे पर अंतिम मुहर, जेडीयू कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा पहुंचे दिल्ली – bihar election sanjay jha nda meeting nitish tejashwi lclkअगले पांच दिनों तक देश के इस हिस्से में होगी मूसलाधार बारिश, किन इलाकों में 15 अक्टूबर से बढ़ जाएगी ठंड? जानें मौसम का हाल
देश

Rajiv Gandhi Death Anniversary: कैसे हुई थी राजीव गांधी की हत्या, LTTE क्यों था उनसे नाराज

Rajiv Gandhi Death Anniversary ​​How was Rajiv Gandhi killed why was LTTE angry with him
Image Source : FILE PHOTO
कैसे हुई थी राजीव गांधी की हत्या

Rajiv Gandhi Death Anniversary: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज ही के दिन 21 मई को हत्या कर दी गई थी। आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि है। ऐसे में आज हम कहानी बताएंगे कि कैसे राजीव गांधी की हत्या की गई थी। इसकी शुरुआत करते हैं उनके प्रधानमंत्री बनने से। दरअसल इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसके बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। मात्र 40 वर्ष की आयु में वह भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे। राजीव गांधी का दृष्टिकोण बेहद आधुनिक था और वह भारत को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने की चाह रखते थे। 

LTTE की स्थापना

इसी समय साल 1976 में तमिल अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की स्थापना वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने की। इस संगठन का उद्देश्य था श्रीलंका में एक अलग तमिल राज्य की स्थापना करना और तमिल लोगों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना। एलटीटीई को भारत सरकार का समर्थन भी था और उनके प्रति सहानुभूति भी थी। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत की खुफिया एजेंसी ने कुछ तमिल गुटों को प्रशिक्षण और समर्थन भी दिया। 

Rajiv Gandhi

Image Source : INDIA TV

राजीव गांधी

श्रीलंका में पीस कीपिंग फोर्स की तैनाती

लेकिन साल 1987 में भारत सरकार और श्रीलंका की सरकार के बीच समझौता हुआ। इसके बाद राजीव गांधी ने इंडियन पीस कीपिंग पोर्स को श्रीलंका भेजा, ताकि श्रीलंका में हो रहे संघर्ष को खत्म किया जा सके। और एलटीटीई को निरस्त्र किया जा सके। शुरुआती दिनों में तो एलटीटीई ने भारतीय पीस कीपिंग फोर्स का स्वागत किया। लेकिन समय के साथ हालात बदलने लगे और एलटीटीई को यह भारत का हस्तक्षेप लगने लगा। इसके बाद उन्होंने भारतीय सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसका परिणाम भी एलटीटीई को भुगतना पड़ा। 

LTTE की राजीव गांधी से नाराजगी

श्रीलंका में पीस कीपिंग फोर्स की तैनाती के बाद एलटीटीई में नाराजगी थी। वो राजीव गांधी को पसंद नहीं करते थे। साल 1989 में कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। लेकिन विपक्ष में कांग्रेस अब भी थी। ऐसे में साल 1991 में राजीव गांधी एक बार फिर चुनाव प्रचार करने के लिए उतरे। इस दौरान उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर वह दोबारा सत्ता में आएंगे तो दोबारा वह पीस कीपिंग फोर्स को श्रीलंका भेजेंगे। एलटीटीई भी इस बात को अच्छे से जानता था कि अगर राजीव गांधी दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे तो वह फिर से पीस कीपिंग फोर्स को श्रीलंका में तैनात कर देंगे।

Rajiv Gandhi

Image Source : INDIA TV

राजीव गांधी

हत्या की प्लानिंग

इसलिए एलटीटीई ने राजीव गांधी की हत्या की प्लानिंग शुरू कर दी। यह प्लानिंग कोई छोटी-मोटी प्लानिंग नहीं थी बल्कि राजीव गांधी की हत्या की प्लानिंग बड़े लेवल पर की गई। इस बीच 21 मई 1991 को जब राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली को संबोधित करने जा रहे थे। वहीं एक आत्मघाती महिला हमलावार जिसका नाम था थेनमोझी “गायत्री” रजरत्नम, वह राजीव गांधी को माला पहनाने के बहाने उनके पास पहुंची और फिर विस्फोट कर दिया। इस विस्फोट में राजीव गांधी समेत कुल 14 लोगों की मौत हो गई। बता दें कि आत्मघाती हमला थेनमोझी एलटीटीई की सदस्य थी। हालांकि इस हमले से पहले राजीव गांधी को इस रैली को ना करने की भी सलाह दी गई थी। हालांकि राजीव गांधी नहीं मानें, जिसका परिणाम हुआ कि आत्मघाती हमले में 21 मई को उनकी मौत हो गई।

Latest India News




Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL