Friday 04/ 07/ 2025 

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Jawaharlal Nehru Death Anniversary: जवाहरलाल नेहरू के आखिरी कुछ घंटे कैसे थे, बाथरूम गए और वहीं हो गया निधन, पढ़ें पूरी कहानी

Jawaharlal Nehru Death Anniversary ​​How were the last few hours of Jawaharlal Nehru he went to the
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जवाहरलाल नेहरू के आखिरी कुछ घंटे कैसे थे?

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का 27 मई 1964 को निधन हो गया था। लेकिन नेहरू के निधन के ईर्द-गिर्द कई सवाल खड़े किए गए। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि उनके आखिरी के कुछ घंटे आखिर कैसे बीते थे? क्यों नेहरू की मौत की खबर को घंटों तक छिपाकर रखा गया और सवाल ये भी उठता है कि क्या उनका निधन रात के वक्त बाथरूम में ही हो गया था। क्या उन्हें देखने वाला कोई नहीं था? इन सवालों का जवाब कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में दिया है। ऐसे में चलिए बताते हैं कि उनके मौत के आखिर वक्त 

में क्या क्या हुआ था?

देहरादून से दिल्ली लौटे थे नेहरू

26 मई को नेहरू शाम को देहरादून से दिल्ली लौटे थे। उनकी तबियत खराब थी, इसलिए वह 4 दिनों की छुट्टी पर देहरादून गए थे। लेकिन वहां जाने के बाद भी उनकी तबियत अच्छी नहीं हुई। इसके बाद वह 26 मई को रोजाना की तुलना में जल्दी सोने चले गए। रात में उनकी नींद कई बार टूटी, वो कई बार नींद से उठे। इस दौरान उनका सेवक नाथूराम उन्हें दर्द की दवाएं देता रहा। दरअसल जनवरी 1964 में नेहरू को भुवनेश्वर में हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद से नेहरू का हालत सुधर नहीं पाई थी और उनका रुटीन पूरी तरह बिगड़ चुका था। इस दौरान उन्होंने अपना ज्यादातर कामकाज बिना विभाग के मंत्री लाल बहादुर शास्त्री को दे दिया था। ऐसा कहा जाता है कि जब नेहरू चलते थे तो उनके बाएं पैर में दर्द की शिकायत रहने लगी थी। 

हार्टअटैक के बाद से स्वास्थ्य था खराब

इसलिए स्वास्थ्य कारणों की वजह से नेहरू देहरादून अवकाश लेकर चले गए थे। इसके बाद 26 मई की रात 8 बजे वह अपनी बेटी इंदिरा गांधी के साथ एक ही हेलीकॉप्टर में सवार होकर दिल्ली पहुंचे। रिपोर्ट्स की मानें तो इस दौरान नेहरू पूरी तरह से थके हुए थे। उनके पैर, पीछ और कंधे में दर्द की शिकायत थी। इस दौरान उनका सेवक नाथूराम उन्हें दवाएं देकर सुलाने का प्रय़ास कर रहे थे। अपनी किताब ‘बियांड द लाइंस – एन ऑटोबॉयोग्राफी’ में कुलदीप नैय ने लिखा, जवाहरलाल नेहरू का निधन 27 मई 1964 की रात उनके बाथरूम में ही हो गया था। उनके डॉक्टर के एल विग ने खास निर्देश दे रखा था कि उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाए, फिर जब वह बाथरूम में गए तो उनके पास कोई नहीं था। 

कोमा में जा चुका था नेहरू का शरीर

अपनी किताब में नैयर ने आगे बताया कि डॉक्टर विग ने उन्हें बताया था कि बाथरूम में गिरने के करीब 1 घंटे बाद तक उसी अवस्था में जवाहरलाल नेहरू पड़े रहे। ये लापरवाही थी। लोगों को पता था कि वो बीमार हैं लेकिन नेहरू का निधन इतनी जल्दी हो जाएगा, ये उम्मीद किसी को नहीं थी। हालांकि नेहरू के निधन की जो आधिकारिक बात कही गई, वो इससे बिल्कुल अलग थी। 27 मई 1964 को द गार्जियन अखबार ने एक खबर प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में कहा गया कि सुबह 6.30 बजे नेहरू को पहले तो पैरालिटिक अटैक हुआ और फिर हार्ट अटैक। इसके बाद नेहरू अचेत हो गए। इसके तुरंत बाद इंदिरा गांधी ने डॉक्टरों को फोन किया। इसके तुरंत बाद आनन-फानन में तीन डॉक्टर वहां पहुंचे। उन्होंने नेहरू को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन नेहरू का शरीर कोमा में जा चुका था। क्योंकि नेहरू के शरीर से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिल रहा था। कई घंटों की कोशिशों के बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। 

लोकसभा को स्थगित कर दिया गया

इसी दिन यानी 27 मई से लोकसभा का सात दिनों का विशेष सत्र बुलाया गया था। इस दौरान शेख अब्दुला कश्मीर के मुद्दे पर सवालों के जवाब देने वाले थे। इसी दौरान दोपहर 2 बजे स्टील मंत्री कोयम्बटूर सुब्रह्मणियम राज्यसभा में दाखिल हुए। उनके चेहरा बुझा-बुझा सा दिख रहा था। उन्होंने सदन में केवल एक बात कही, रोशनी खत्म हो गई है। इसके तुरंत बाद लोकसभा को स्थगित कर दिया गया और इसके कुछ वक्त बाद गुलजारी लाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा कर दी गई। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स ने नेहरू की मौत को लेकर कहा गया कि नेहरू 8 घंटे तक कोमा में रहे, हालांकि उन्हें बचाया नहीं जा सका। 

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