Saturday 11/ 10/ 2025 

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Pt. Vijayshankar Mehta’s column- If the defect of ‘lagatar’ increases, then there will be no cure for it | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: ‘लगातार’ का ऐब बढ़ा तो इसका इलाज नहीं मिलेगा

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16 मिनट पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

हमारे घरों में एक नई समस्या चल रही है। और वो है मध्य पीढ़ी के बीच- जिसे हम “सैंडविच जनरेशन’ कह सकते हैं। इनके माता-पिता अब दादा-दादी, नाना-नानी बन चुके हैं और इनके बच्चे किशोरावस्था-युवावस्था की दहलीज पर हैं।

इन माता-पिता को समझ नहीं आ रहा बच्चों का क्या करें? घर में बैठे बड़े-बूढ़े माता-पिता को कैसे हैंडल करें? इसमें मोबाइल और आग में घी का काम कर रहा है। बड़े-बूढ़े मोबाइल पर टूट पड़े हैं। लगातार स्क्रॉलिंग चल रही है।

यदि किसी बुजुर्ग को आज घर में अधिक मोबाइल देखने पर टोक दें तो वो कहते हैं दिनभर में अभी तो देखा है। ये “अभी’ शब्द की परिभाषा ही बदल गई। दिनभर को ही अभी मान लिया गया। इसके दो खतरनाक नतीजे सामने आ रहे हैं- मानसिक विकार और साइबर क्राइम के शिकार।

ये तो देखने वालों को ही तय करना है कि आपको मोबाइल के साथ कब रहना है और कब उससे हटना है। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में भी रोक-रोक कर सात कांड लिखे हैं। रुकना जरूरी है। “लगातार’ का ऐब ऐसी बीमारी बन जाएगा, जिसका इलाज नहीं मिलेगा।

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