N. Raghuraman’s column – Know the processes your job application goes through | एन. रघुरामन का कॉलम: जानिए, आपका नौकरी आवेदन किन प्रक्रियाओं से गुजरता है

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8 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
दिन में मैं अक्सर दो प्रकार के लोगों से मिलता हूं। पहले, वे जो हमेशा “आवेदन करें’ पर क्लिक करते हैं और अपने रेज्यूमे को एक गहरे डिजिटल गड्ढे में फेंक देते हैं, यह जाने बिना कि इस गड्ढे का कोई पेंदा है ही नहीं। दूसरे, एचआर प्रमुख, जो सैकड़ों आवेदनों नहीं, बल्कि कुछ अच्छे आवेदनों को ही छांट रहे हैं।
व्यापार की दुनिया के दो अलग-अलग कोनों पर बैठे ये दो लोग दो अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। पहला दूसरों को प्रभावित करने के लिए कई सारे टूल अपनाता है। दूसरा खराब कर्मचारियों से अपनी कंपनी को बचाने की कोशिश करता है। इन दोनों कार्यों का सीधा परिणाम यह होता है कि आवेदकों को एक सामान्य-सा जवाब पाने के लिए बहुत लंबे समय इंतजार करना पड़ता है, कभी-कभार तो दो महीने से अधिक।
ऐसा क्यों हो रहा है? एआई पर अधिक निर्भरता नौकरी चाहने वालों के रेज्यूमे को एक कॉमन पूल में डाल देती है, जिसमें वो वास्तविकता से अधिक योग्य लगने लगते हैं। इस कारण सभी आवेदक एक समान श्रेणी में आ जाते हैं।
इस कोलाहल और एआई धोखाधड़ी को छांटने के लिए नियोक्ता कई तरीके अपना रहे हैं, जो साफ संकेत देता है कि ये टूल्स आवेदकों के लिए उल्टे पड़ रहे हैं और भर्ती करने वालों को अयोग्य लोगों को पहचानने के लिए बेहद कड़ी मेहनत के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
कई एचआर प्रमुखों को तो “गोताखोर’ नियुक्त करते देखा गया है, जो ऑटो एप्लिकेशन बॉक्स (इनबॉक्स) की सुनामी में गहराई तक तैरकर योग्य उम्मीदवार ढूंढ लाते हैं और उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाते हैं। हाल ही में रायपुर में हुई एक एचआर समिट में मैंने कई भर्ती प्रबंधकों को आपस में ऐसे रिमोट कर्मचारियों की नियुक्ति की कहानियां सुनाते देखा, जिन्होंने पहचान छिपाई और अपनी क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर बताया।
आवेदनों की सुनामी कैसे आती है? नौकरी चाहने वाले अधिकतर लोग अपने मोबाइल पर स्क्रॉल करते समय किसी वेकेंसी को देखते ही आवेदन कर देते हैं। वो नौकरी का विवरण भी नहीं पढ़ते, जिसमें असली आवेदन फॉर्म का लिंक होता है।
हाल के एक सर्वेक्षण से पता चला कि आवेदन करने वाले 10% लोग ही वहां दिए निर्देशों का पालन करते हैं। कुछ कंपनियां आवेदन फॉर्म को थोड़ा पेचीदा बना रही हैं, ताकि केवल गंभीर उम्मीदवार ही उन्हें पूरा कर सकें।
दिलचस्प यह है कि सामान्य और प्रचलित नौकरियों के लिए आवेदन करने वालों की तुलना में विशिष्ट नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले लोग अधिक तेजी से भर्ती किए जा रहे हैं। कई नियोक्ता एआई के जरिए आने वाली आवेदनों की भरमार नहीं चाहते। कंपनियां ऐसे निम्न गुणवत्ता वाले या धोखाधड़ीपूर्ण आवेदनों से तंग आ चुकी हैं। ऐसे में आवेदक क्या करे?
1. यदि आपने हाल के वर्षों में अखबारों में आने वाले “रोजगार अवसरों’ को यह मानते हुए नहीं देखा है कि ये तो पुराना तौर-तरीका है, तो मेरा आपको सुझाव है कि इन्हें देखना फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि इनमें से कइयों में छोटी-छोटी जानकारी होती है, जैसे उनके अन्य कार्यालय कहां हैं, और किन व्यवसायों में वे काम कर रहे हैं, कंपनी का शीर्ष व्यक्ति कौन है और कंपनी का दृष्टिकोण क्या है? इसके अलावा, अखबारों में आए कई रोजगारों में लाखों की तनख्वाह की पेशकश भी की जाती है। 2. ज्यादातर आवेदक यह जानने का प्रयास नहीं करते कि आवेदनों की स्क्रीनिंग कौन कर रहा है। यदि आप यह प्रयास करते हैं तो अपने आवेदन को ‘ऑनलाइन ब्लैक होल’ से बाहर निकालना आपके लिए आसान होगा। यह ऐसी पहल है, जो आपके बारे में पहली अच्छी धारणा बनाती है। 3. भर्ती करने वाले आवेदक की जिज्ञासा, सहानुभूति और अनिश्चितता में हालात को संभालने की क्षमता देखते हैं। यदि आप इन क्षेत्रों का उल्लेख करते हैं तो इससे उनको आपका आवेदन चुनने में मदद मिलेगी, क्योंकि नए एआई युग में यही वो चीजें हैं, जो नियोक्ता देखते हैं।
फंडा यह है कि नौकरी आवेदनों को छांटने के लिए रोजाना नए फिल्टर लगाए जा रहे हैं। कंपनियां चेक-पॉइंट्स लागू कर रही हैं। इसलिए नौकरी चाहने वालों को अपना रास्ता बनाने के लिए गहराई में जाना चाहिए। अपने उद्देश्य पर अधिक ध्यान देना चाहिए। आवेदन को व्यक्तिगत स्पर्श देते हुए यह बताना चाहिए कि आप कितने अच्छे इंसान हैं।
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