‘भुगतने होंगे गंभीर परिणाम…’, अलास्का में होने वाली बैठक से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन को दी चेतावनी – US President Donald Trump warns Russian president Vladimir putin ahead meeting in alaska over ukraine war Volodymyr Zelenskyy ntc

2022 में यूक्रेन और रूस के बीच जंग शुरू हुई थी. लेकिन अब तक इसका कोई परिणाम नहीं निकल सका है. इस जंग को रोकने के लिए कई देशों की ओर से प्रयास किए गए. हालांकि, कोई भी सफल नहीं रहा. युद्धविराम पर सहमति नहीं बन सकी. इस बीच कल, यानी 15 अगस्त को, अलास्का में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली मुलाकात इस जंग के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
इस मुलाकात से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने साफ-साफ शब्दों में पुतिन को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि मॉस्को अगर यूक्रेन के साथ शांति वार्ता में बाधा डालने की कोशिश करता हो तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.
पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा कि अगर अलास्का में होने वाली बैठक में कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता है तो मॉस्को के ख़िलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. शायद आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.
हालांकि, ट्रंप की ओर से ये स्पष्ट नहीं किया गया कि किस तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे या कब से लगाए जाएंगे. बस अभी आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही गई है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अलास्का में होने वाली बैठक दूसरे बैठक के लिए एक कदम होगा, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भी शामिल होंगे. अगर पहली बैठक सकारात्मक रहती है तो हम फिर तुरंत दूसरी बैठक का आयोजन करेंगे. मैं इसे तुरंत ही करना चाहूंगा. अगर वह चाहे तो मैं उनके बीच होने वाली बैठक में शामिल हो जाऊंगा. ये उनके ऊपर है कि उन्हें मेरी मौजूदगी बैठक में चाहिए या नहीं.
ट्रंप का बाइडेन पर हमला
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर यूक्रेन-रूस के लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि ये संघर्ष बाइडेन का परिणाम है. मेरा नहीं. मैं अगर राष्ट्रपति होता तो ऐसा होता ही नहीं. हम ऐसे परिस्थिति में होते ही नहीं. लेकिन मैं इसे अब ठीक करने आया हूं.
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ट्रंप ने दिया शांति का संदेश
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अगर इस संघर्ष को रोककर हम कई जान बचा सकते हैं, तो यह बहुत अच्छा होगा. बीते छह महीने में मैंने पांच युद्ध रुकवाए हैं. इसके अलावा, ईरान के परमाणु क्षमता को पूरी तरह से नष्ट कर दिया.
यूरोपीय और यूक्रेनी नेता तय कर रहे हैं ‘रेड लाइन्स’
डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पुतिन को दी गई ये चेतावनी जर्मनी द्वारा आयोजित उच्च-स्तरीय वर्चुअल बैठक के बाद आई है. इस बैठक में ट्रंप, जेलेंस्की और यूरोपीय नेता शामिल हुए. इस बैठक का उद्देश्य उन मुद्दों पर चर्चा करना जो युद्धविराम को लेकर अनसुलझे थे.
ट्रंप ने इस बैठक को शानदार बताया. उन्होंने कहा कि हमारी कॉल अच्छी रही. राष्ट्रपति जेलेंस्की कॉल पर थे. मैं इसे 10 में 10 रेटिंग दूंगा, बहुत मैत्रीपूर्ण.
जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि अलास्का में होने वाली बैठक में अगर रूस के द्वारा कोई निर्णायक फैसला नहीं लिया गया तो अमेरिका और यूरोपीय देश मॉस्को पर दवाब बढ़ाएगी. ट्रंप ने भी इस पर सहमति जताई है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ट्रंप भी इस बात से सहमत हैं कि बिना कीव के सहमति के यूक्रेनी जमीन को रूस को सौंपा नहीं जाएगा.
अलास्का में होनी वाली बैठक का एक ही उद्देश्य है कि तीन साल और छह महीने से रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को जल्द से जल्द रुकवाना और शांति बहाल करना. दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप में ये सबसे बड़ा संघर्ष है. हजारों लोगों इस जंग में अपनी जिंदगी गंवा चुके हैं और लाखों विस्थापित.
रूस वर्तमान में यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों के काफी हिस्से और क्रीमिया को कब्जे में ले रखा है. पुतिन कई बार युद्धविराम की मांगों को ठुकरा चुके हैं. पश्चिमी देशों और अमेरिका को डर है कि रूस को अगर यूक्रेन के ज़मीन को बलपूर्वक कब्जाने की इजाजत दे दी जाती है तो आने वाले समय में अन्य पड़ोसी मुल्कों के लिए भी ये खतरा होगा.
रूस क्या चाहता है?
रूस ने अब तक यूक्रेन के लगभग 1,14,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. यह यूक्रेन के कुल क्षेत्रफल का लगभग 19 फीसदी है. रूस चाहता है कि युद्ध की वर्तमान स्थिति बरकरार रहे, ताकि वह यूक्रेन का बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में रख सके. रूस का दावा है कि क्रिमिया, डोनेट्स्क, लुहांस्क और अन्य क्षेत्र अब रूस के नियंत्रण में हैं.
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डोनाल्ड ट्रंप क्या चाहते हैं?
डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद अमेरिका ने युद्ध को शांत करने की पहल की है, चाहे इसके लिए यूक्रेन के कुछ हिस्सों को छोड़ना पड़े. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने साफ कर दिया है कि वह अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों से पीछे नहीं हटेंगे, क्योंकि ऐसा करना असंवैधानिक होगा. उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर भविष्य में रूस के लिए नए आक्रमण का बहाना बन जाएगा.
भारत और वैश्विक नजर
भारत भी इस बातचीत पर नजर बनाए हुए है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन का दौरा कर शांति की कोशिशें की हैं. भारत के पास दोनों देशों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.
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