Wednesday 08/ 10/ 2025 

संभल: हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, संपत्ति हो सकती है कुर्क, 23 FIR दर्ज – Lookout notice issued against hair stylist Jawed Habib property may be confiscated lclamज्योति सिंह के हंगामे पर भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह की सफाई, कहा-मुझे परेशान करने के लिए हंगामा हो रहाDr. Anil Joshi’s column – Why is rain no longer limited to one season? | डॉ. अनिल जोशी का कॉलम: बारिश अब किसी एक ही मौसम तक सीमित क्यों नहीं रह गई है?‘लोग बच्चे को ट्रोल कर रहे’, टीम इंड‍िया के क्रिकेटर हर्ष‍ित राणा के सपोर्ट में उतरे आकाश चोपड़ा, फैन्स को दी नसीहत – aakash chopra defends harshit rana t20 odi indian cricket team australia tour 2025 tspokफेसबुक LIVE आकर शख्स ने किया सुसाइड का प्रयास, पत्नी बोली ड्रामा कर रहा है पतिPriyadarshan’s column – It’s up to us to choose from cricket’s past | प्रियदर्शन का कॉलम: यह हम पर है कि क्रिकेट के अतीत से हमें क्या चुनना हैGPay, Paytm और PhonePe को टक्कर देगा Zoho, पेमेंट हार्डवेयर के साथ साउंडबॉक्स लॉन्च – zoho payment launches pos service for merchents ttecmजुबली हिल्स उपचुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, नवीन यादव के खिलाफ फर्जी वोटर ID बांटने के आरोप में FIRPt. Vijayshankar Mehta’s column – Know the difference between our youth personality and character | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: हमारे युवा व्यक्तित्व और चरित्र के अंतर को जानेंसंघ के 100 साल: जब हेडगेवार ने दे दिया था सरसंघचालक पद से इस्तीफा, फिर हुआ था ‘भरत मिलाप’! – rss 100 years stories Keshav Baliram Hedgewar resigned sar sanghchalak reunion ntcppl
देश

Virag Gupta’s column – It is important to understand many aspects of stray dogs | विराग गुप्ता का कॉलम: आवारा कुत्तों के मामले में कई पहलुओं पर समझ जरूरी है

  • Hindi News
  • Opinion
  • Virag Gupta’s Column It Is Important To Understand Many Aspects Of Stray Dogs

6 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील - Dainik Bhaskar

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील

मुम्बई में कबूतरों को दाना देने पर एफआईआर और दिल्ली में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सार्वजनिक विमर्श में ध्रुवीकरण हो गया है। लेकिन इस फेर में हमें बहस के छह वास्तविक और बड़े बिंदुओं को नजरों से ओझल नहीं होने देना चाहिए।

1. कानून : नसबंदी और रैबीज इंजेक्शन के बाद उसी स्थान पर कुत्तों को छोड़ने के नियम को सुप्रीम कोर्ट के जज ने बेतुका बताया है। कई लोग मनुष्यों की तरह कुत्तों के लिए भी जीवन की सुरक्षा और घूमने-फिरने के संवैधानिक अधिकार को मानते हैं। लेकिन फिर उस तर्क के अनुसार बकरी, भैंस, मुर्गा आदि के जीवन के अधिकार का सम्मान करते हुए देश में तमाम प्रकार की पशु-क्रूरताओं पर प्रतिबंध लग जाना चाहिए।

विशेष दर्जा देने के तर्क के साथ कानून के अनुसार जवाबदेही भी सुनिश्चित करनी होगी। कोई इंसान अगर दुर्व्यवहार या हिंसा करे तो उसे जेल भेजा जा सकता है। इसी तरह से हमला करने और काटने वाले कुत्तों को भी आबादी से दूर भेजना न्यायसंगत है। 2. स्वच्छता : राजधानी दिल्ली में सिर्फ 5767 कुत्तों का एमसीडी में रजिस्ट्रेशन कराया गया है। डेंगू और मलेरिया रोकने के लिए भी कूलर के पानी की जांच होती है। इसी तरह सड़क, पार्क और कॉलोनियों में करोड़ों कुत्तों के शौच, पेशाब, जूठन खाने आदि की वजह से बढ़ रही गंदगी और बीमारियों को रोकने के लिए भी नियमों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है। कोरोना के वायरस को रोकने के लिए पूरे देश की जनता को क्वारेंटाइन और लॉकडाउन में झोंक दिया गया था। इसी आधार पर हिंसक या खतरनाक कुत्तों को भी आबादी से दूर भेजने की जरूरत है।

3. जज : 4 साल पहले केरल हाईकोर्ट ने ब्रूनो कुत्ते की हत्या के मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। इसलिए करोड़ों लोगों की सुरक्षा से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्वतः संज्ञान में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन चीफ जस्टिस के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई अब तीन जजों की नई बेंच करेगी।

पिछले कई फैसलों पर हो रहे विवादों से साफ है कि जजों की व्यक्तिगत अभिरुचि और मीडिया के दबाव के बगैर संविधान और कानून के अनुसार अदालत के फैसले होने चाहिए। आनन-फानन में जज बदलने या फैसलों को पलटने से जजों के साथ सर्वोच्च न्यायालय का मान कमजोर होता है। पटाखे और वाहनों पर प्रतिबंध के पुराने फैसलों पर विवाद से साफ है कि जनहित से जुड़े मामलों में राजधानी दिल्ली या एनसीआर की बजाय पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले लागू होने चाहिए। 4. रैबीज : पिछले साल भारत में लगभग 6 करोड़ आवारा कुत्तों के काटने के 37 लाख से ज्यादा मामले आए। जबकि सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में 11 लाख आवारा कुत्तों ने इस साल अभी तक लगभग 6.62 लाख लोगों को काट लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार रैबीज की वजह से साल 2004 में भारत में 20,565 सालाना मौतें हुई थीं, जो कि पूरी दुनिया में रैबीज से होने वाली मृत्युओं का 35 फीसदी है। रैबीज केवल कुत्तों से ही नहीं फैलता, लेकिन इसके 96 फीसदी से ज्यादा मामले कुत्तों के काटने से ही होते हैं। चिंताजनक बात यह है कि एंटी रैबीज वैक्सीन के साथ ही इम्युनोग्लोबुलिन भी दिया जाता है, जो देश के अधिकांश अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। 5. मुआवजा : सर्पदंश के सालाना 58 हजार मामलों की अब बीमारी के तौर पर रिर्पोटिंग जरूरी हो रही है। उसी तर्ज पर कुत्तों के काटने के हर मामले की रिपोर्टिंग भी जरूरी है। एक स्ट्रीट डॉग को लाठी से पीटने के मामले में दिल्ली पुलिस के एएसआई के खिलाफ साढ़े तीन साल बाद मुकदमा दर्ज हुआ था।

उसी तर्ज पर कुत्तों के काटने के मामले में मालिकों और अनुचित संरक्षण देने वालों पर मुकदमा होना चाहिए। आक्रामक कुत्तों की ब्रीडिंग और उनको पालने पर प्रतिबंध लगना चाहिए। कुत्तों के काटने के सभी मामलों में फ्री इलाज के साथ पीड़ित व्यक्ति और परिवार को समुचित मुआवजा मिलना चाहिए।

6. बजट : आवारा कुत्तों के बढ़ते संकट में नसबंदी, रैबीज इंजेक्शन और शेल्टर हाउस हजारों करोड़ के फंड में एनजीओ और अफसरों का भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है। देश में 40% आबादी पोषक भोजन से वंचित है तो फिर दिल्ली के कुत्तों के विस्थापन के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के खर्च का जुगाड़ कैसे होगा? आज भारतीय पेट-केयर का बाजार ही एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का है। समृद्ध वर्ग के पशु प्रेमियों को आयातित कुत्तों के बजाय आवारा कुत्तों को गोद लेने के साथ उनके कल्याण की योजनाओं को सफल बनाने के लिए सीएसआर की तर्ज पर अधिकतम आर्थिक सहयोग देना चाहिए।

दिल्ली-एनसीआर में 11 लाख कुत्तों ने इस साल अभी तक लगभग 6.62 लाख लोगों को काट लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार रैबीज से 2004 में भारत में 20,565 सालाना मौतें हुई थीं, जो पूरी दुनिया की 35% थीं।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

खबरें और भी हैं…

Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL