Tuesday 07/ 10/ 2025 

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N. Raghuraman’s column – A careful listening can reveal the full story behind select words | एन. रघुरामन का कॉलम: ध्यानपूर्वक सुनने से चुनिंदा शब्दों के पीछे की पूरी कहानी पता लग सकती है

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2 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

अगर मैं आपसे कहूं कि अच्छे कम्युनिकेशन की रीढ़ क्या है, तो इस लाइन को पढ़ते-पढ़ते ही आपके दिमाग में जवाब आ जाएगा। लेकिन यकीन मानें कि ज्यादातर जवाब गलत होंगे, क्योंकि सही जवाब है— ‘अच्छा सुनना।’ और भले ही आप भरोसा ना करें, लेकिन यदि आप एक अच्छे श्रोता हैं और किसी के शब्दों को ध्यान से सुनते हैं, तो किसी का जीवन बचाने के लिए तारीफ बटोर सकते हैं।

विश्वास नहीं है, तो पिछले हफ्ते बेंगलुरु के ऑटो ड्राइवर शोएब मोहम्मद के अनुभव जानें। शोएब जैसे ऑटोरिक्शा चालक आमतौर पर छुट्टियों में व्यस्त रहते हैं। यह उनका कमाई का समय होता है। वे कहीं और नहीं देखते। वे बस यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देते हैं कि उनका ऑटो इन छुट्टियों में कभी भी खड़ा ना रहे, क्योंकि यह संसाधनों की बर्बादी है। वे चाहते हैं कि ऑटो के पहिए लगातार किसी यात्री को लेकर घूमते रहें। 27 अगस्त को भी शोएब ठीक ऐसा ही कर रहा था।

यात्रियों को बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अन्य जगहों से बेंगलुरु के पास शिवमोग्गा के जोग फॉल्स जैसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल तक ले जा रहा था, जहां सैकड़ों पर्यटकों की हंसी और बातचीत झरने की तेज गर्जना के साथ मिल कर गूंजती है। शोएब हमेशा धैर्य के साथ उन बातों को सुनता था, जो पर्यटक उससे, आपस में या अपने मोबाइल पर किसी से करते थे। उस दिन भी उसने वैसा ही किया, जब राजेश (काल्पनिक नाम) ने उससे कुछ अजीबोगरीब सवाल किए। उसने पूछा, “यहां खतरनाक व ऊंचाई पर स्थित जगहें कौन सी हैं?’ उसके लहजे में उत्सुकता कम और उदासी ज्यादा थी।

शोएब को एहसास हुआ कि ये यात्री किसी एडवेंचर की तलाश नहीं कर रहा था, बल्कि अपनी जीवन लीला खत्म करने की पटकथा लिख रहा था। मन की बात पर भरोसा करते हुए उसने झरने के आसपास की सड़कों पर गश्त कर रहे सब इंस्पेक्टर एचएन नागराज को रोका। शोएब ने नागराज को यात्री के अजीब-से प्रश्नों के बारे में बताया, जो किसी परेशानी की ओर इशारा कर रहे थे। नागराज तत्काल सक्रिय हुए। उन्होंने बात शुरू की और महसूस किया कि वो व्यक्ति आत्महत्या की जगह खोज रहा था।

पुलिस में वर्षों के अनुभव ने उन्हें सिखाया था कि लोग जो चीज छिपा नहीं पाते, वह कभी-कभी शब्दों से पता चल जाती है। नागराज ने कहा कि कभी–कभी लोग खेलने के लिए चट्टानी या पानी वाली जगहों के बारे में पूछते हैं, ‘लेकिन इस व्यक्ति के खतरनाक जगह के बारे में पूछने से ही उसका मकसद स्पष्ट हो गया।’ नागराज राजेश को पुलिस स्टेशन ले गए। 40 वर्षीय राजेश ने नागराज के साथ लंच करने से भी इनकार कर दिया।

राजेश को चाय और बिस्किट देने के बाद नागराज ने बात शुरू की और कहा कि ‘भाई, तुम मुझे अपने मन की बात बता सकते हो। मुझे पता चल गया है कि तुम यहां क्यों आए हो। जब तुम्हें सही लगे, बताना। लेकिन सब कुछ बताना और मैं सुनूंगा।’ थोड़ा रुकने के बाद, धीमी सी आवाज में राजेश ने स्वीकारा कि नागराज का शक सही था। कपड़े की दुकान में भारी घाटे के बाद वह अपना जीवन समाप्त करना चाह रहा था।

इसी साल उसके बुजुर्ग माता-पिता की सर्जरी हुई थी, जिससे कर्ज और बढ़ गया। इसके बीच ही, उसकी पत्नी ने भी तलाक ले लिया। जिन कर्जदाताओं ने उसे 30 लाख रुपए उधार दिए थे, उन्होंने भी परेशान करना शुरू कर दिया। इसी कारण अवसाद में आकर उसने यह कदम उठाने का फैसला किया। नागराज ने राजेश को उससे और अधिक बदतर उदाहरण देकर सांत्वना दी और उसकी मां से बात कराई।

दूसरी तरफ, उसकी मां बिलख पड़ीं और उससे घर वापस आने की गुहार लगाने लगी। नागराज ने उसे दो हजार रुपए देकर बस स्टैंड पहुंचाया। ड्राइवर और कंडक्टर को भी कहा कि यदि वह निर्धारित स्टॉप से पहले बीच में कहीं उतरे तो बस सीधे पुलिस स्टेशन की ओर ले जाएं। उसी रात राजेश की मां ने नागराज को फोन कर उसके सुरक्षित घर लौटने की जानकारी दी।

फंडा यह है कि कम्युनिकेशन कभी भी दो या अधिक लोगों के बीच की बातचीत नहीं है। जब इसे पूरे ध्यान से सुना जाए तो इसका निष्कर्ष और उद्देश्य और मजबूत हो जाता है।

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