Tuesday 07/ 10/ 2025 

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N. Raghuraman’s column – Anyone can be a good teacher for anyone. | एन. रघुरामन का कॉलम: कोई भी, किसी के लिए अच्छा शिक्षक बन सकता है।

23 मिनट पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

प्रिय नीना, एलेक्स ने आज हम सभी को मानवता का पाठ पढ़ाया। कक्षा में उसने बताया कि कैसे कॉलोनी के कुछ लड़कों ने उसे कॉलोनी का कचरा उठाने वाले कर्मचारी के बेटे के साथ खेलने से रोक दिया। एलेक्स ने आगे कहा, हम ही लोग हैं, जो हर दिन कचरा पैदा करते हैं और उस छोटे लड़के के पिता उसे साफ कर हमारी मदद करते हैं। उसने अन्य छात्रों से पूछा कि क्या आप सोच सकते हैं कि यदि वो एक दिन भी सफाई ना करें तो हमारे घर कैसे सड़ने लगेंगे? फिर उसने गर्व से कहा कि मेरी मां ने मुझे यह बताया है।’

अपने बच्चे को इतने दृढ़ मूल्य देने के लिए धन्यवाद। उसकी वाणी और कार्यों में आपकी दयालु और स्नेहपूर्ण प्रकृति झलकती है। आज एलेक्स ने हमें बताया कि हर इंसान सम्मान का हकदार है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके माता-पिता का पेशा क्या है।

साभार निर्मला नायर, कक्षा 1 की शिक्षिका… जैसे ही नीना ने पत्र पढ़ा उसकी आंख से आंसू रुक नहीं पाए। उसने झुक कर अपने 6 साल के बेटे एलेक्स को गले लगाया। और उस एक मिनट में कल का एक दृश्य उसकी आंखों के सामने फिर से आ गया। कल दोपहर जब एलेक्स स्कूल से घर आया, तो वह परेशान दिख रहा था।

वो एक शब्द भी नहीं बोला, बल्कि अपनी मां का हाथ पकड़ कर उन्हें बालकनी की ओर ले जाने लगा। चिंतित नीना उसके पीछे पीछे गई। बाहर निकलकर एलेक्स ने करीब पांच साल के एक लड़के की ओर इशारा किया, जो अपार्टमेंट के प्रवेश द्वार के पास खड़ा था। वह थोड़े गंदे कपड़े पहने था।

हाथ में एक छड़ी लिए मिट्टी में आकृतियां बना रहा था। बुझी-सी आवाज में एलेक्स ने कहा कि मॉम, क्या मैं उसके साथ खेल सकता हूं? नीना ने तुरंत कहा, जरूर, स्वीटहार्ट। कुछ गड़बड़ लगा तो नीना ने एलेक्स का चेहरा उठाया और पूछा कि क्या हुआ? एलेक्स बोला, वहां खड़े कुछ बड़े लड़कों ने मुझसे कहा कि मैं उसके साथ ना खेलूं, क्योंकि वह कचरेवाले का बेटा है।

इस बात से नीना का दिल दुखा। उसने उस छोटे लड़के और अपने बेटे को देखा और महसूस किया कि यही मौका है, जब वह अपने बेटे के दिल-दिमाग को सही रूप दे सकती है। गहरी सांस लेते हुए उसने समझाया कि आखिर, कचरा कौन पैदा करता है?

उसने कहा, उस छोटे लड़के के पिता बेहद महत्वपूर्ण काम करते हैं। एलेक्स ने जैसे ही सुना, वह हैरान हो गई। नीना ने कहा, यदि तुम उसके साथ खेलना चाहते हो, तो जाओ खेलो, मजे करो। क्यों नहीं तुम उसे अपना एक खिलौना भी दे दो।

बिना कोई संकोच किए एलेक्स अपने कमरे में दौड़ा, अपनी पसंदीदा लाल रंग की चमकदार गाड़ी उठाई और तीर की तरह सीढ़ियों की ओर उड़ चला। नीना बालकनी से यह सब देख रही थी। जब एलेक्स ने उसे गाड़ी दी तो छोटे लड़के का चेहरा आनंद से चमक उठा। कुछ ही पलों में वे दोनों पार्किंग में कार दौड़ाते हुए खिलखिला रहे थे।

मैंने यह कहानी द रिपल इफेक्ट ऑफ काइंडनेस, 50 ट्रू स्टोरीज नामक किताब में पढ़ी, जो मुंबई के प्रतिष्ठित कॉलेजों में विजिटिंग प्रोफेसर देवयानी रोजारियो ने लिखी है। दो हफ्ते पहले हम दोनों एक मीटिंग में मिले, जहां उन्होंने हिचकिचाते हुए बताया कि उन्होंने अपनी पहली किताब लिखी है।

उन्होंने कहा कि क्या मैं आपको अपनी पहली किताब भेंट कर सकती हूं और आपको अपना शिक्षक बना सकती हूं, जिन्होंने 50 से अधिक किताबें लिखी हैं? मैं अपनी 69 वर्षीय विद्यार्थी-लेखिका की ओर मुस्कराया और बोला, किसी पहली बार के लेखक के लिए सबसे बड़ा उपहार यह होता है कि कोई पाठक पैसे खर्च कर उसकी किताब खरीदे। मैं घर गया, ऑनलाइन किताब ऑर्डर की और उन्हें रसीद भेज दी। वे बहुत खुश हुईं। मैंने किताब पढ़ी। उनको अपनी ओर से प्रशंसा भेजी और इस किताब की एक कहानी छापने की अनुमति ली।

फंडा यह है कि कोई भी, किसी के लिए अच्छा शिक्षक बन सकता है। केवल शब्दों से ही नहीं, अपने कार्यों से भी। क्योंकि लोग हमें देखकर सीखते हैं। किसे पता, देवयानी भी शायद किसी नए लेखक के लिए ऐसा करें और एक शिक्षक बन जाएं!

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