Pt. Vijayshankar Mehta’s column – I have to do everything myself, but the one who gets it done is sitting above. | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: करना सबकुछ अपने को, पर कराने वाला ऊपर बैठा है

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57 मिनट पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
पूरी जिंदगी फूलों में नहीं गुजरती, कांटों में जीने का अंदाज भी आना चाहिए। क्योंकि इंसान की जिंदगी एक ऐसी महाभारत है, जिसका अंत, अंत तक नहीं आता। अनंत ही उसको लाता है। अनंत यानी ईश्वर। महाभारत में हर पात्र कहीं ना कहीं परेशान था। लेकिन पांडवों ने एक बात सिखाई कि परमात्मा का पल्ला पकड़े रहना चाहिए। क्योंकि हर तरफ कांटे हों तो बहारों की बगिया की उम्मीद ऊपर वाले से ही रखी जाए।
अगर हम दुनिया से कोई उम्मीद रखेंगे तो हो सकता कांटे उन्हीं लोगों ने बोए हों। या वो अपनी ही राहों के कांटों से उलझे हुए हों। एक सीमा के बाद कौन, किसकी मदद करेगा? इसलिए महाभारत का अर्थ युद्ध ही नहीं, एक ऐसी जीवन शैली है- जिसमें करना तो सबकुछ अपने को है, पर कराने वाला ऊपर बैठा है। ऐसा भाव रखना चाहिए।
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