N. Raghuraman’s column – Talking toys could create a new ‘kidult’ market! | एन. रघुरामन का कॉलम: बोलने वाले खिलौने एक नया ‘किडल्ट’ मार्केट’ बना सकते हैं!

- Hindi News
- Opinion
- N. Raghuraman’s Column Talking Toys Could Create A New ‘kidult’ Market!
8 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
झांसी के निकट राजापुर गांव के कम्पोजिट स्कूल में असिस्टेंट टीचर मोहनलाल सुमन ने 2,900 रुपए खर्च कर एक सर्वो मोटर, वायरिंग और फ्रेम के साथ एक एआई–रोबोट बनाया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित यह ह्यूमनॉइड शिक्षक “मैडम सुमन’ अब कक्षा में पढ़ाए जा रहे किसी भी विषय के सभी सवालों का जवाब देती है।
वह कभी धैर्य नहीं खोती और उसके द्वारा पूछे गए सवालों और पहेलियों का सही जवाब देने वाले छात्रों की खूब तारीफ भी करती है। मई में उसके आने के बाद स्कूल में छात्रों की उपस्थिति 65% से बढ़कर 95% हो गई, क्योंकि कोई भी मैडम सुमन की कक्षा छोड़ना ही नहीं चाहता। कोई भी आसानी से कह सकता है कि यह है एआई–टॉय की ताकत।
यह रोबोट टीचर मुझे पिछले हफ्ते तब याद आई, जब मैं केरल के एर्नाकुलम में एक होटल में पहुंचा और मेरे आगे खड़ी एक महिला से उसका पर्स स्क्रीनिंग के लिए रखने को कहा गया। जैसे ही उसने पर्स मशीन की मूविंग बेल्ट पर रखा, उसके पर्स से एक कौआ कांव-कांव करने लगा। महिला सुरक्षाकर्मी इससे डर गई, लेकिन पुरुष सुरक्षाकर्मी के चेहरे पर बड़ी–सी मुस्कान आ गई।
पहले तो मुझे समझ नहीं आया कि एक ही स्थिति में दो लोगों के चेहरे पर अलग-अलग भाव क्यों आए? कुछ मिनट बाद मुझे समझ आया कि यह आवाज महिला के पर्स से बंधे एक खिलौने से आई थी। खिलौने की बैटरी कांव-कांव करती है और इसकी आंखें चमकती हैं।
इसीलिए अचंभे की बात नहीं कि कौए की आंखें देखने वाली महिला डर गई थी। इस आवाज को बंद करने का कोई स्विच नहीं है, लेकिन तीन बार कांव–कांव होते ही आवाज बंद हो जाती है। जब भी पर्स का पट्टा हिलता है, यह आवाज करता है।
मैंने महिलाओं के पर्स पर लटके हुए तितली के की-चेन देखे हैं। लेकिन वो तितलियां कभी फड़फड़ाती नहीं या दो फीट ऊपर उड़कर बैग पर वापस नहीं बैठतीं। बदलते फैशन के साथ ये खिलौने नए अवतार ले रहे हैं। धीरे-धीरे भारत में भी वियरेबल खिलौने खरीदने वाले वयस्कों की संख्या बढ़ रही है, जिससे “किडल्ट’ (अपने लिए खिलौने खरीदने वाले वयस्क) मार्केट सेगमेंट जन्म ले रहा है। इससे पहले, सभी जगह कपड़े से बने सॉफ्ट टॉय्ज ही दिखते थे।
लेकिन जब से इन खिलौनों ने की-रिंग्स से निकलकर युवतियों के बैग की शोल्डर बैल्ट पर जगह पाई, इन्हें “शोल्डर पैल’ नाम दे दिया गया। दुनियाभर में इन्हें शोल्डर प्लशीज, शोल्डर टॉय्ज और शोल्डर सिटर्स के नाम से जाना जाता है। सबसे पहले 2018 में पेश किए गए ये खिलौने उन डिज्नी थीम पार्क्स में आम एक्सेसरीज बन गए, जो अगले साल के अंत तक 45 शोल्डर पैल (दोस्त) लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं।
“पैस्कल’, बड़ी काली आंखों वाला एक हरे रंग का शोल्डर पैल दुनिया में सबसे लोकप्रिय है। यह मैग्नेटिक प्लश टॉय (किरदार के रूप में) डिज्नी की फिल्म टैंगल्ड में “रॅपन्जल्स’ नामक किरदार का दोस्त भी है। इसे आपके कंधे पर बैठने के लिए डिजाइन किया गया है। “पैस्कल’ में छिपा हुआ चुंबक इसे आपके कपड़ों पर टिकाए रखता है। प्यारे–से डिजाइन और इंटरेक्टिव होने के कारण यह डिज्नी पार्क्स और संग्रहकर्ताओं के बीच खासा लोकप्रिय है।
शोल्डर पैल का उद्देश्य और उपयोग व्यक्ति के हिसाब से अलग–अलग होता है। यह एक अनूठी और व्यक्तिगत एक्सेसरीज हैं, जिससे लोग अपने व्यक्तित्व के साथ अपने पसंदीदा किरदार से रिश्ते को जाहिर कर सकते हैं। शोल्डर पैल पहनना आपको लेकर किसी दूसरे व्यक्ति के अनुभव को बढ़ाने का नया और आकर्षक तरीका है। सेल्सवुमन आम तौर पर इसे कामकाज के वक्त पहनती हैं, क्योंकि कम से कम पहली बार तो यह लोगों को खुशनुमा मूड में ले आता है। इन सेल्सवुमन को अजनबियों तक से भी अपेक्षा से अधिक सकारात्मक रिस्पांस मिलता है।
फंडा यह है कि यदि तकनीक एक्सेसरीज में ऐसे मामूली बदलाव कर नए ट्रेंड बना सकती है तो सोचिए कि अगला ट्रेंड और कार्य क्या हो सकता है, जो आपकी सेल्स और बढ़ा सकता है।
Source link