Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Do not place your hopes on anyone other than God | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: परमात्मा के सिवा किसी और से आस मत लगाना

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19 मिनट पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
हम मनुष्यों का जीवन जब एक चौराहे पर आता है तो चार अलग-अलग रास्ते होते हैं। जीवनभर साथ रहने वाले भी अलग-अलग रास्तों पर चल पड़ते हैं। ऐसे ही हम लोगों के जीवन में एक त्रिकोण होता है। हमको लगता है, बस तीन ही मार्ग हैं, तीन ही उद्देश्य हैं, तीन ही स्थितियां हैं। लेकिन चौथा कोण अदृश्य, अज्ञात और सबसे महत्वपूर्ण है।
जब जीवन में भ्रम हो, भय हो, तो इस चौथे कोण को ढूंढना, यह परमात्मा होता है। गरुड़ को भ्रम था कि मैंने राम को बंधनमुक्त कराया। ब्रह्मा के पास गए। तो ब्रह्मा ने कहा- बैनतेय संकर पहिं जाहू। तात अनत पूछहु जनि काहू। गरुड़, तुम शंकरजी के पास जाओ। और कहीं किसी से ना पूछना।
तुम्हारे संदेह का नाश वहीं होगा। ब्रह्माजी ने ऐसा क्यों कहा कि और किसी से नहीं पूछना? इसका मतलब ये है कि जब हम भ्रम में होते हैं तो समाधान के लिए भटकते हैं। एक स्थिति आएगी कि किसी पर भरोसा मत करना, किसी से आस मत लगाना। जो चौथा कोण है, वहीं टिक जाना।
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