Jayati Ghosh’s column – New investment patterns are emerging around the world | जयती घोष का कॉलम: पूरी दुनिया में निवेश के नए पैटर्न उभरकर सामने आ रहे हैं

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10 घंटे पहले
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जयती घोष मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर
नए निवेश पैटर्न वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं। यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या एफडीआई के प्रवाह में सबसे ज्यादा स्पष्ट है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास (यूएनसीटीएडी) की नवीनतम विश्व निवेश रिपोर्ट के अनुसार 2024 में यूरोप, दक्षिण अमेरिका और एशिया के अधिकांश हिस्सों में एफडीआई में गिरावट आएगी।
इसके विपरीत, अफ्रीका में एफडीआई का प्रवाह 75% बढ़कर 97 अरब डॉलर हो गया, जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में यह 10% बढ़कर 225 अरब डॉलर हो गया है। इन रुझानों के पीछे बहुराष्ट्रीय आपूर्ति शृंखलाओं का व्यापक पुनर्गठन छिपा है, जो लगातार दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी यूरोप और मध्य अमेरिका की ओर बढ़ रही हैं। परिणामस्वरूप, निवेश के पैटर्न भी बदल रहे हैं। जहां अमेरिका, जापान और चीन सबसे बड़े बाहरी निवेशक बने हुए हैं, वहीं मध्य पूर्व एफडीआई का एक प्रमुख स्रोत बनकर उभरा है।
तेल की कमाई से भरपूर खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के देशों- बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई- ने 2022 और 2023 में अफ्रीका में 113 अरब डॉलर का निवेश किया, जिससे इस महाद्वीप में उनकी आर्थिक उपस्थिति में नाटकीय वृद्धि हुई।
इस पूंजी का अधिकांश हिस्सा बंदरगाहों, हवाई अड्डों और परिवहन नेटवर्क जैसी रसद और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ-साथ तेल और गैस में लगा है। हालांकि, गुरुत्वाकर्षण का केंद्र तेजी से चीन की ओर बढ़ रहा है, खासकर जब ग्रीन-निवेश की बात आती हो। नेट जीरो इंडस्ट्रियल पॉलिसी लैब की एक नई रिपोर्ट चीनी एफडीआई के दायरे पर प्रकाश डालती है, जो दर्शाती है कि कैसे क्लीन एनर्जी में चीन के कदम उसके आर्थिक प्रभाव को बढ़ा रहे हैं।
2011 और 2025 के बीच घोषित 461 चीन समर्थित ग्रीनटेक मैन्युफैक्चरिंग परियोजनाओं के डेटाबेस पर आधारित रिपोर्ट में पाया गया है कि चीनी कंपनियों ने 2022 से 54 देशों में 387 परियोजनाओं में 220 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इनमें सौर और पवन ऊर्जा सुविधाएं, बड़े पैमाने पर बैटरी संयंत्र, नई ऊर्जा से संचालित होने वाले वाहन, चार्जिंग सम्बंधी बुनियादी ढांचा और शुरुआती चरण के ग्रीन-हाइड्रोजन स्टार्टअप भी शामिल हैं।
चीनी निवेश मुख्यतः कंपनियों द्वारा बाजार तक पहुंच और कच्चे माल की विश्वसनीय आपूर्ति की तलाश से प्रेरित है। हालांकि आसियान देश ऐसी परियोजनाओं के लिए अग्रणी गंतव्य बने हुए हैं, लेकिन मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका का हिस्सा 2024 में तेजी से बढ़कर 20% से अधिक हो गया।
लैटिन अमेरिका और मध्य एशिया ने भी चीनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आकर्षित किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि चीनी निवेश की यह लहर सरकारी उद्यमों द्वारा नहीं, बल्कि निजी कंपनियों द्वारा संचालित है, जो न तो सरकारी बैंकों से बड़े ऋणों पर और न ही मेजबान सरकारों से मिलने वाली सब्सिडी पर निर्भर हैं। ये घटनाक्रम चीन के वैश्विक आर्थिक विस्तार में एक नए चरण का संकेत देता है।
यह तो स्पष्ट है कि चीन परोपकार के लिए यह सब नहीं कर रहा। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश- चाहे पश्चिम की तरफ से हो, चीन या खाड़ी से- हमेशा मुनाफे से ही प्रेरित होता है। यह महत्वपूर्ण लाभ प्रदान कर सकता है। लेकिन इसके जोखिम भी हैं, जैसे पर्यावरण को क्षति, विस्थापन, श्रमिकों का शोषण, विदेशी मुद्रा की हानि और महंगी तकनीकी फीस या रॉयल्टी।
हमेशा की तरह, इस मामले में भी बहुत कुछ मेजबान देशों द्वारा अपनाई नीतियों पर निर्भर करता है। उत्साहजनक रूप से, कुछ निर्यात-उन्मुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं ने इंडोनेशिया से सीख ली है, जहां सरकार ने चीनी कंपनियों को निवेश की एक शर्त के रूप में अधिक घरेलू उत्पादन के लिए बाध्य किया था।
बहरहाल, केवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्वागत करना ही पर्याप्त नहीं। देशों को भी मजबूत घरेलू विनियमन, सार्वजनिक हस्तक्षेप और क्षेत्रीय सहयोग की जरूरत है ताकि निवेश के लाभों को व्यापक रूप से साझा किया जा सके। (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)
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