Minhaj Merchant’s column: Bangladesh is the third angle in the China-Pakistan axis | मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम: चीन और पाकिस्तान की धुरी में बांग्लादेश तीसरा कोण

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3 घंटे पहले
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मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक
आज भारत तीन मोर्चों पर सुरक्षा की चुनौती का सामना कर रहा है। पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश हमारी पश्चिमी, उत्तरी और पूर्वी सीमा पर तीन दुश्मन ताकतें हैं। जैसे-जैसे भारत की आर्थिक और सैन्य ताकत बढ़ रही है, पाकिस्तान इस बात को समझ रहा है कि उसके पास समय कम है। यही कारण है कि असीम मुनीर ने तेजी से कदम उठाए हैं।
मई में भारत के साथ लड़ाई में बुरी तरह हारने के बावजूद मुनीर ने फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोशन ले लिया ताकि पाकिस्तानियों को लगे कि यह जंग जीतने का इनाम है। इस गलतफहमी को फर्जी वीडियो के जरिए और बढ़ाया गया। इस बीच मुनीर अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन की लेन-देन वाली मानसिकता को समझकर उसका फायदा उठाने की कोशिशें करने लगे।
गाजा में इजराइल और हमास के बीच सीजफायर पर नजर रखने के लिए प्लान की गई इंटरनेशनल स्टैबलाइजेशन फोर्स के हिस्से के तौर पर पाकिस्तानी सैनिकों को ऑफर करने के लिए तेजी से कदम उठाए गए।
सितंबर 2022 में शाहबाज शरीफ ने मुनीर को सेना प्रमुख बनाया था। उसी समय पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकी संगठनों के निर्देश पर अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों द्वारा लाल किले पर आतंकी हमले की योजना भी शुरू हुई थी।
मुनीर द्वारा पाकिस्तान की संसद से पारित कराया गया 27वां संवैधानिक संशोधन उन्हें नवंबर 2030 तक पांच और साल का कार्यकाल देता है। इस तरह मुनीर, परवेज मुशर्रफ या जिया-उल-हक की तरह मुल्क के राजनीतिक नियंत्रण को अपने हाथों में लिए बिना ही आठ वर्षों तक काम कर चुके होंगे।
वास्तव में, यह 27वां संशोधन पाकिस्तान में दो सुप्रीम कोर्ट बना देता है। नया फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट- जिसके न्यायाधीश मुनीर के गुप्त नियंत्रण में होंगे- अब प्रमुख संवैधानिक मामलों की सुनवाई करेगा और इससे सुप्रीम कोर्ट के अधिकार कमजोर होंगे।
इस संशोधन के तहत मुनीर को आजीवन अभियोजन से छूट भी मिल गई है। 2030 तक का सुनिश्चित कार्यकाल होने के साथ ही अब मुनीर के पास असीमित शक्तियां हैं। उन्हें मुशर्रफ की तरह सैन्य तख्तापलट करने की जरूरत नहीं है।
मुनीर अमेरिका के साथ पाकिस्तान की नई सुदृढ़ होती साझेदारी को संतुलित कर रहे हैं, वहीं वे बीजिंग के उस उद्देश्य को भी पूरा कर रहे हैं, जिसके तहत भारत को समय-समय पर आतंकवादी हमलों के जरिये उलझाए रखना है।
चीन-पाकिस्तान धुरी की इस समस्या में बांग्लादेश तीसरा कोण जोड़ता है। यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश एक बार फिर अपने 1971 से पहले वाले पूर्वी पाकिस्तान के रूप में लौटता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान-बांग्लादेश की सैन्य निकटता अब कहीं अधिक बढ़ चुकी है।
मुनीर और यूनुस इस बात को सार्वजनिक रूप से नहीं कहते, लेकिन भारत के साथ किसी नए संघर्ष की स्थिति में बांग्लादेश तटस्थ दर्शक नहीं रहेगा। उसके पास भारत को सैन्य रूप से चुनौती देने की क्षमता तो नहीं है, लेकिन वह पाकिस्तान द्वारा भड़काए और चीन द्वारा संचालित युद्ध में भारत को पश्चिम और उत्तर से सैनिक हटाकर भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात करने के लिए मजबूर कर सकता है।
इन तीन खतरों के साथ एक चौथा खतरा भी है- भारत के भीतर मौजूद प्रॉक्सी तत्वों का। इनकी श्रेणी पत्रकारों और एनजीओ से लेकर वकीलों, राजनेताओं और कार्यकर्ताओं तक फैली है, जो भारत के राष्ट्रीय हित को कमजोर करने का काम करते हैं। ये लंबे समय से पाकिस्तान-चीन के नैरेटिव को समर्थन देते आ रहे हैं।
भारत की सशस्त्र सेनाओं पर सवाल उठाकर वे उन दुश्मनों के खिलाफ भारत की प्रतिरक्षा-क्षमता को गैर-भरोसेमंद जताने की कोशिश करते हैं, जिनका उद्देश्य भारत की आर्थिक और सैन्य प्रगति को रोकना है। पाकिस्तान के लिए एक सफल भारत अस्तित्वगत खतरा है।
यह सिद्ध करता है कि लोकतंत्र फल-फूल सकता है, सेना नागरिक नियंत्रण में रह सकती है और धार्मिक बहुलता संवैधानिक रूप से सुरक्षित रह सकती है। ये तीनों तथ्य पाकिस्तान के अस्तित्व के तर्क को कमजोर करते हैं।
उसके पास न वास्तविक लोकतंत्र है, न उसकी सेना नागरिक शासन के अधीन है। और बहुलतावाद को तो कट्टरपंथी इस्लामी मुल्क ने बहुत पहले ही त्याग दिया है। वैसे भारत ने अभी तक अपने पत्ते ठीक तरह से खेले हैं।
उसने चीन के साथ शत्रुता को कम करने के लिए ट्रेड का इस्तेमाल किया है। लाल किले वाले हमले के बाद भी भारत ने संयम का परिचय दिया है। हालांकि उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी विकल्प खुले हैं और ऑपरेशन सिंदूर 2.0 प्रधानमंत्री के केवल एक आदेश जितना दूर है।
बांग्लादेश एक बार फिर अपने 1971 से पहले वाले पूर्वी पाकिस्तान के रूप में लौटता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान व बांग्लादेश की सैन्य निकटता अब कहीं अधिक बढ़ चुकी है। चीन-पाकिस्तान धुरी में बांग्लादेश तीसरा कोण है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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