Monday 01/ 12/ 2025 

पाकिस्तान में छिड़ी सत्ता की जंग? आसिम मुनीर को बनाया जाना था CDF, लेकिन शहबाज चल दिए विदेश – Pakistan PM Shehbaz Sharif PAK Army Chief Asim Munir CDF Notification NTCआज से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में गतिरोध के आसार, विपक्ष SIR पर चर्चा की मांग पर अडिगN. Raghuraman’s column: Keep at least one original document for everything in life | एन. रघुरामन का कॉलम: जीवन से जुड़ी हर चीज का कम से कम एक मूल दस्तावेज जरूर रखिएAaj Ka Meen Rashifal 1 December 2025: किसी को पैसा उधार देने से बचें, शुभ रंग होगा ऑरेंजश्रीलंका में फंसे विदेशी नागरिकों के लिए देवदूत बने भारतीय सैनिक, ऑपरेशन सागर बंधु के जरिए सबको बचा लाएAaj Ka Singh Rashifal 1 December 2025: रुके हुए कार्य बनेंगे, उपाय- ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करेंचक्रवात दित्वा का असर: तमिलनाडु के कई जिलों में भारी बारिश जारी, पुडुचेरी में स्कूल बंदसर्दियों में भारत में विंटर टूरिज्म के तमाम अवसरलोक गायिका मालिनी अवस्थी की पहली किताब ''चंदन किवाड़'' पर हुई परिचर्चा, जिसमें उन्होंने बताई लोक गीतों की बुनियाद की कहानीMargshirsha Purnima 2025: 4 दिन बाद मार्गशीर्ष पूर्णिमा, ब्रह्म मुहूर्त में करें इन 5 शक्तिशाली मंत्रों का जाप – Margsheersha Purnima 2025 date brahma muhurt upay puja vidhi mantra shubh muhurt tvisu
देश

Shekhar Gupta’s column: Delaying our air power is not good. | शेखर गुप्ता का कॉलम: अपनी हवाई ताकत बढ़ाने में देरी ठीक नहीं

4 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
शेखर गुप्ता, एडिटर-इन-चीफ, ‘द प्रिन्ट’ - Dainik Bhaskar

शेखर गुप्ता, एडिटर-इन-चीफ, ‘द प्रिन्ट’

भारतीय वायुसेना (आईएएफ) इतनी मजबूत, गर्वीली तथा पेशेवर तो है ही कि वह तेजस हादसे से हताशा में नहीं डूब जाएगी। लेकिन हमारे नीति-निर्धारकों के लिए यह इस बात पर मनन करने का मौका है कि आईएएफ को जिस चीज की जरूरत है, उसके मद्देनजर नीतिकारों ने उसके प्रति पूरी तरह से उचित व्यवहार किया है या नहीं, या आईएएफ से वे जो मांग करते रहे हैं, उसे जो समझौते और ‘एडजस्टमेंट’ करने के लिए कहते रहे हैं, उस सबको कितना उचित माना जा सकता है।

हमें यह भी याद करना चाहिए कि पायलट खासतौर से मजबूत शख्स होते हैं और उनमें से भी जो सबसे मजबूत होते हैं, वे आईएएफ में होते हैं। दुनिया भर में वे ही उन कुछ पायलटों में शामिल हैं, जो हमेशा ऑपरेशन की मुद्रा में होते हैं। यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि भारत की थलसेना और नौसेना शांति के काल में लंबी सेवा अवधि का लाभ उठाती हैं। लेकिन आईएएफ का विशेष उल्लेख तीन कारणों से किया जा सकता है।

पहला यह कि जब भी तनाव बढ़ता है या सबक सिखाने वाली परिस्थिति आती है, तब सबसे पहले जवाब देने के लिए उसे ही उतरना पड़ता है, खासकर मोदी सरकार के इस सिद्धांत के मद्देनजर कि आतंक की हर कार्रवाई को हमला माना जाएगा और उसका तुरंत जवाब दिया जाएगा।

दूसरे, तीनों सेनाओं में आईएएफ के अधिकारी ही प्राय: युद्ध में उतरते हैं। इन अधिकारियों का एक संगठित समुदाय है। और तीसरे, तीनों सेनाओं में आईएएफ ही टेक्नोलॉजी पर सबसे ज्यादा निर्भर है। लड़ाई के सारे साधन, जमीन पर उसे निर्देश देने, नियंत्रण में रखने और सुरक्षा देने वाले उपकरण निरंतर बदलती तकनीक पर निर्भर होते हैं।

थलसेना और नौसेना में यहां-वहां टेक्नोलॉजी संबंधी कमियों को कभी-कभी संख्याबल से पूरा किया जा सकता है, लेकिन वायुसेना को यह छूट नहीं होती। इसके अलावा, चूंकि हवाई युद्ध के साधनों की पूंजीगत लागत नौसेना के साधनों जितनी ऊंची नहीं होती, इसलिए पाकिस्तान के लिए इसमें आगे बढ़ना मुमकिन हो सकता है, खासकर इसलिए कि छोटी-मोटी झड़पों में हवाई युद्ध करने के लिए वायुसेना को तैयार किया गया है। और चीन तो पाकिस्तान की मदद के लिए हमेशा तैयार है ही।

अमेरिका ने 1950 वाले दशक के मध्य से पाकिस्तान एअर फोर्स (पीएएफ) को अपने आधुनिकतम लड़ाकू विमान देने शुरू किए थे, तब से आईएएफ प्रायः उसकी बराबरी करने की कोशिश कर रहा है। 1965 में इसने पीएएफ का मुकाबला सुपरसोनिक विमान और मिसाइल से लैस एफ-104 स्टारफाइटर्स से किया।

1971 आने तक सोवियत संघ के साथ गहराते रिश्ते ने आईएएफ को पीएएफ की बराबरी पर ला दिया। सत्तर वाले दशक में पाकिस्तान अपनी चोट से उबरने में जुटा था। 1984 तक, एफ-16 की पहली खेप आने के साथ तस्वीर नाटकीय रूप से बदल गई। अमेरिका ने अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के पांच साल बाद एफ-16 विमान दिए थे, लेकिन यह इस उपमहादेश में हवाई जंग में सबसे आगे निकलने की सात दशकों की होड़ का इतिहास नहीं है।

यह कहानी है उन अहम दुविधाओं की जिनसे भारत इस मोर्चे पर जूझता रहा है। इनका एक नतीजा है ‘तेजस’, जो काफी अच्छा है। यह शानदार, काफी कम कीमत वाला, अधिकतर घरेलू उत्पादन वाला है और सुरक्षा के मामले में इसका रिकॉर्ड शानदार रहा है। पहली उड़ान भरने के बाद बीते 24 सालों में इसके केवल दो हादसे हुए हैं, लेकिन 2025 तक क्या यही हमारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन होना चाहिए था?

याद कीजिए, 2015 में रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने अनिच्छुक आईएएफ को तेजस मार्क 1ए को अपनाने पर मजबूर किया था, जिसकी ​डिलीवरी 2022 से देने का वादा किया गया था। अब 2027 के शुरू में भी इसका पहला स्क्वाड्रन पूरी तरह ऑपरेशन में आ जाए तो हम खुद को खुशकिस्मत मानेंगे।

पांच साल की देरी की सामरिक तथा रणनीतिक कीमत हमें चुकानी पड़ेगी। इस बीच पाकिस्तान जेएफ-17 की कई आवृत्तियां उत्पादित कर चुका है और ऐसा कोई दावा नहीं किया जा रहा है कि यह 57 फीसदी से ज्यादा ‘देसी’ है। यह पाकिस्तान एरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (पीएसी) और चीन के चेंगडु एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन का संयुक्त उपक्रम है।

तेजस हमारी अनिश्चितता का शिकार हुआ। सरकार ने 1983 में इसे हल्के लड़ाकू विमान (एलएसी) के रूप में मंजूरी दी। लेकिन इसे पहली उड़ान भरने में 18 साल लग गए, इसे ऑपरेशन में शामिल करने की शुरुआती मंजूरी (आइओसी) मिलने में 12 साल और लग गए और ऑपरेशन में शामिल करने की पूर्ण मंजूरी (एफओसी) मिलने में छह साल और लग गए। यह कहानी जारी है।

भारत की हवाई शक्ति सात दशकों से टेक्नोलॉजी की दौड़ में फंसी रही है। कहा जा रहा है कि आईएएफ जब तक आदर्श मॉडल से 10-15 परसेंट नीचे वाली चीज को कबूल नहीं करता, तब तक हमारी घरेलू टेक्नोलॉजी प्रगति नहीं कर सकती। अंतर को जल्दी दूर करने की मांग करने वाले को ‘इम्पोर्ट बहादुर’ नाम देकर खारिज कर दिया जाता है।

यहां यह स्पष्ट कर देना जरूरी है कि तेजस में कोई नुक्स नहीं है, लेकिन यह कुरबानी अगर हमें हमारी टालमटोल वाली प्रवृत्ति की याद दिलाता है और हममें बदलाव लाता है तो वह भी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। अपना लड़ाकू विमान हो, यह तो बहुत अच्छी बात है लेकिन हम हमेशा होड़ में फंसे रहकर अपना ही नुकसान करते हैं। हवाई शक्ति को लेकर हम जिन दुविधाओं की बात करते हैं, उनमें यह केंद्रीय है।

हमारे लिए आत्म-विश्लेषण करना भी जरूरी है… तेजस एक बेहतरीन, कम कीमत वाला और ज्यादातर देश में बना हुआ लड़ाकू विमान है, जिसका सुरक्षा रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा रहा है। पिछले 24 साल में इसके सिर्फ दो हादसे हुए हैं। इसके बावजूद दुबई के हादसे के बाद आत्म-विश्लेषण जरूरी हो जाता है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

खबरें और भी हैं…

Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL


DEWATOGEL