Adhik Maas 2026: साल 2026 में होंगे 13 महीने! 30 नहीं 60 दिन का होगा यह महीना, जानें कैसे – adhik maas 2026 new year for 13 months double jyeshtha month know date tvisg

Adhik Maas 2026: साल 2026 के हिंदू पंचांग में एक बहुत ही दुर्लभ और खास खगोलीय घटना घटित होने वाली है, ज्येष्ठ महीने का दो बार आना. यानी साल में एक नहीं, बल्कि दो ज्येष्ठ महीने आएंगे. ऐसा होने पर नया साल 2026 13 महीनों का माना जाएगा. इसे ही अधिकमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में अधिक मास को बहुत पवित्र माना जाता है. इस महीने में पूजा-पाठ, दान, जप-तप और भगवान विष्णु की आराधना का खास महत्व होता है. यह समय आत्मिक शांति और आध्यात्मिक साधना के लिए बेहद शुभ माना जाता है.
जहां ग्रेगोरियन कैलेंडर में साल की शुरुआत 1 जनवरी से होती है, वहीं हिंदूओं के वर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इसी आधार पर चलने वाले विक्रम संवत के अनुसार, नववर्ष 2083 (साल 2026) खगोलीय रूप से बहुत खास माना जा रहा है, क्योंकि इसमें दुर्लभ यानी दो ज्येष्ठ माह का योग बन रहा है.
विक्रम संवत 2083 में आएंगे दो ज्येष्ठ महीने
हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2026 काफी खास रहने वाला है, क्योंकि इस वर्ष ज्येष्ठ महीना दो बार आएगा. मतलब, भक्त एक सामान्य ज्येष्ठ माह और एक अधिक ज्येष्ठ माह, दोनों का पालन करेंगे. इन दोनों चंद्र मासों के कारण ज्येष्ठ का समय बढ़कर लगभग 58-59 दिन का हो जाता है. इसी वजह से विक्रम संवत 2083 का साल पूरा 13 महीनों का बन जाएगा. इस अतिरिक्त महीने को अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है.
ज्योतिषियों के अनुसार, यह घटना इसलिए घटित होती है ताकि सूर्य साल (365 दिन) और चंद्र वर्ष (354 दिन) के बीच जो हर साल लगभग 11 दिन का फर्क रहता है, उसे संतुलित किया जा सके. इस अंतर को मिलाने के लिए लगभग 32 महीने 16 दिन बाद एक चंद्र मास अपने आप अतिरिक्त रूप से जुड़ जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है.
अधिकमास 2026 तिथि और महत्व
अधिक मास 2026 की शुरुआत 17 मई 2026 से होगी और यह 15 जून 2026 को खत्म होगा. यह पूरा महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है. शास्त्रों में लिखा है कि इस समय में प्रार्थना, दान, मंत्र-जप, व्रत और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना बहुत शुभ होता है. इसी पवित्रता के कारण इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है. इस मास का अर्थ होता है सबसे श्रेष्ठ या सबसे पवित्र महीना.
लेकिन इसकी आध्यात्मिक महत्ता के बावजूद, इस महीने में शादी, गृह प्रवेश, नामकरण, भूमि पूजन, नया बिजनेस शुरू करने जैसे बड़े शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. क्योंकि अधिक मास का उद्देश्य सौर और चंद्र कैलेंडर का संतुलन बनाना होता है. इस वजह से इसे आध्यात्मिक रूप से सक्रिय, लेकिन उत्सवों के लिए निष्क्रिय समय माना जाता है.
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