Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Connect yourself with Hanuman Chalisa, then connect with nature | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: अपने को हनुमान चालीसा से जोड़ें, फिर प्रकृति से जोड़ें

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1 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
मनुष्य की फितरत है बर्बाद हो जाना- दौलत, प्रतिष्ठा या प्रेम के लिए। तो जब बर्बाद ही होना है तो क्यों ना परमात्मा के लिए बर्बाद हो जाएं? मीरा, कबीर, सूर, तुलसी, हनुमान- ये सब परमात्मा के कारण बर्बादी का स्वाद चखे हुए लोग हैं।
यहां बर्बादी का अर्थ पतन नहीं, परम आनंद को प्राप्त हो जाना है। तुलसी ने रामचरितमानस के किष्किंधाकांड में श्रीरामजी की लक्ष्मणजी से बातचीत का अद्भुत चित्रण किया है। दोनों भाइयों की बातचीत के केंद्र में प्रकृति है। देश के सबसे स्वच्छ नगर इंदौर में एक कार्यक्रम होता है- ‘एक शाम, रिश्तों के नाम’, जिसमें हनुमान चालीसा का महापाठ किया जाता है। उससे संदेश यह मिलता है कि हम अपने को प्रकृति से कैसे जोड़ें।
14 वर्षों से यह कार्यक्रम हो रहा है। 100वां आयोजन है। इंदौर को अधिकार है कि प्रकृति का जैसे उसने मान किया, यह संदेश सारे देश में पहुंचे। रक्षाबंधन की पूर्व-संध्या पर आज संस्कार टीवी पर इसका सीधा प्रसारण होगा, शाम 7 बजे से। हनुमान चालीसा से जुड़ें, फिर प्रकृति से जुड़ें।
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