पीलीभीत: ’80 करोड़ हिंदुओ को जूते की नोक पर रखता हूं’, बयान देने वाला मौलाना रेहान रजा खान गिरफ्तार – Pilibhit Maulana Rehan Raza Khan arrested for saying keep 80 crore Hindus at my feet lclnt

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है. यहां मौलाना रेहान रजा खान को पुलिस ने विवादित बयान देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. मामला तब सुर्खियों में आया जब सोशल मीडिया पर मौलाना का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर 80 करोड़ लोगों को ‘जूते की नोक पर रखने’ जैसी आपत्तिजनक बात कही. इस बयान के बाद इलाके में तनाव का माहौल बन गया और लोगों ने आरोपी मौलाना पर कड़ी कार्रवाई की मांग शुरू कर दी.
शिकायत पर दर्ज हुई एफआईआर
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब ग्रामीण डालचंद ने मौलाना के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में आरोप था कि मौलाना जानबूझकर लोगों को भड़काने और समाज में वैमनस्य फैलाने का काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं, वायरल वीडियो में कुछ नाबालिग बच्चों को भी मौलाना की बयानबाजी सुनते हुए देखा गया, जिससे अभिभावकों और स्थानीय लोगों में नाराजगी और बढ़ गई.
15 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा
जैसे ही शिकायत पुलिस तक पहुंची, प्रशासन हरकत में आ गया. क्षेत्राधिकारी पूरनपुर प्रतीक दहिया ने बताया कि मौलाना रेहान रजा खान सहित 15 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मौलाना को गिरफ्तार कर लिया. सीओ ने कहा कि इस तरह के भड़काऊ और आपत्तिजनक बयान समाज के माहौल को खराब करते हैं, इसलिए किसी भी स्थिति में इन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
मौलाना को लेकर लोगों में गुस्सा
मामले के सामने आने के बाद इलाके में लोगों ने एकजुट होकर मौलाना के बयान की निंदा की. ग्रामीणों का कहना है कि धार्मिक नेताओं की जिम्मेदारी होती है कि वे समाज में भाईचारा और शांति का संदेश फैलाएं, लेकिन मौलाना का यह बयान इससे बिल्कुल उलट था. लोगों ने मांग की है कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की बयानबाजी करने से पहले सौ बार सोचे.
मौलाना से की जा रही पूछताछ
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है. आरोपी मौलाना से पूछताछ हो रही है. वहीं, प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि अगर मामले में और लोग शामिल पाए गए तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
यह पूरा घटनाक्रम एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि धार्मिक मंचों का इस्तेमाल समाज को जोड़ने के लिए होना चाहिए या फिर नफरत फैलाने के लिए?
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