N. Raghuraman’s column – This one quality will never come in AI! | एन. रघुरामन का कॉलम: एआई में यह एक गुण कभी नहीं आ सकेगा!

चंडीगढ़1 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
इस बार रक्षाबंधन पर 15 साल की अनामता ने 14 साल के शिवम को राखी बांधी। हमारे जैसे पाठकों के लिए इसमें कुछ भी नया नहीं है क्योंकि रक्षाबंधन पर राखी बांधी ही जाती है। लेकिन उस समय सिर्फ शिवम ही नहीं, लगभग सभी की आंखें नम हो गई थीं और शिवम के आंसू तो उसके हाथों पर गिरने लगे थे।
उसने धीरे से उन्हें पोंछा, लेकिन जितना वह पोंछता, उसके आंसू उतने ही बहते जाते। वो आंसू तमाम आंसुओं की तरह थे- नम और कोमल। वो हाथ भी वही था, जिसे उसने पहले भी कई बार चूमा और सहलाया था, जब तक कि पिछले साल उसकी बहन की ब्रेन हैमरेज से मृत्यु नहीं हो गई।
परिवार का कोई भी सदस्य शिवम की आंखें पोंछने या उसके सिर या कंधे पर हाथ रखकर उसे शांत करने को आगे नहीं बढ़ पाया, क्योंकि कोई भी अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रहा था। वो जानते थे कि रिया अब वापस लौटकर नहीं आ सकती। लेकिन अनामता के शरीर में वह रिया का ही हाथ था, जो शिवम को इस साल राखी बांध रहा था।
तीन साल पहले, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक रिश्तेदार के घर की छत पर लटके हाई-टेंशन तार की चपेट में आने से अनामता का दाहिना हाथ काटना पड़ा था। उधर वलसाड के मिस्त्री परिवार ने जब अपनी बेटी रिया के अंगदान का फैसला किया और उसका हाथ अनामता को मिला।अनामता कंधे के स्तर पर हाथ का प्रत्यारोपण पाने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की बनी थी।
पिछले सितंबर में रिया को ब्रेन-डेड घोषित किए जाने के बाद अनामता को प्रत्यारोपण के लिए एक जटिल सर्जरी से गुजरना पड़ा था। मिस्त्री परिवार इतने महीनों से जिस दर्द को महसूस कर रहा था, वह तब उस लड़की के लिए गहरे स्नेह में बदल गया, जब वो उनके बेटे की कलाई पर राखी बांधने के लिए गुजरात तक आई थी। उन्हें लगा जैसे रिया किसी और शरीर में वापस लौट आई हो!मुझे बताइए कौन-सा एआई आपमें ये भावनाएं जगा सकता है?
वो तो वह भी नहीं कर सकता, जो 9 वर्षीय प्रणव दास ने चेन्नई में अपने भाई माधव दास के लिए किया था! जब माधव गिर पड़ा और उसके सिर पर टांके लगाने पड़े तो उसका सिर मुंडवाया गया था। प्रणव ने भी अपने बाल कटवा लिए, ताकि माधव खुद को अलग-थलग महसूस न करे। कितने एआई ऐसा कर सकते हैं?आज ये दोनों बच्चे लंबे बालों के साथ स्कूल आते हैं।
उनके बाल करीने से बंधे होते हैं! क्योंकि दोनों भाइयों को यह अहसास हो गया है कि जिन युवा कैंसर रोगियों को इलाज के लिए सिर मुंडवाना पड़ता है, वो क्या महसूस करते हैं। उन्होंने ऐसा करने के लिए अपने प्रिंसिपल से लिखित अनुमति ली है और वे ऐसे बच्चों के लिए मुफ्त विग बनाने के लिए अपने बाल दान करते हैं। उनके इस प्रयास का स्कूल में खासा प्रभाव पड़ा।
दूसरे बच्चे भी इसके लिए अपने बाल बढ़ाने लगे और चेरियन फाउंडेशन को मदद करने लगे, जो कि वंचित समुदायों को स्वास्थ्य-सेवाएं प्रदान करने को समर्पित एक एनजीओ है। हाल ही में इसने भारत भर में आर्थिक रूप से कमजोर कैंसर पीड़ितों को दान दिए गए विगों की संख्या के 2,000 के पार होने पर जश्न मनाया था।
इसे वे “अपने बालों को गिफ्ट देकर आत्मविश्वास का उपहार देना’ कहते हैं।यह लेख सेल्वा बृंदा का उल्लेख किए बिना पूरा नहीं हो सकता। वे एक ऐसी मां हैं, जिनका प्यार असीम है। तमिलनाडु के त्रिची जिले के कत्तूर की इस गृहणी ने 22 महीनों (अप्रैल 2023 से फरवरी 2025 तक) की अवधि में 300.17 लीटर से ज्यादा ब्रेस्ट-मिल्क का दान दिया, जिससे समय से पहले जन्मे और बीमार अनगिनत नवजात शिशुओं की जान बची और एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी बना।
उन्होंने कहा, एक छोटा-सा योगदान भी उस बच्चे को पोषण दे सकता है, जिसे इसकी सख्त जरूरत हो। यह विचार अपने आपमें लोगों को सक्रिय होने के लिए प्रेरित कर सकता है। उनकी कहानी हमें एक बार फिर यह याद दिलाती है कि करुणा कैसे कोमल जीवन को बदल सकती है।
फंडा यह है कि एआई किसी फैक्टरी या दफ्तर में तो सब कुछ कर सकता है, लेकिन यकीन मानिए, वो वह सब कभी नहीं कर सकता, जो मानवीय करुणा कर सकती है। अगर आप वाकई एआई को हराना चाहते हैं, तो अपने अंदर करुणा के गुण को अलग-अलग तरह से जितना हो सके बढ़ाएं।
Source link