Thursday 09/ 10/ 2025 

पीलीभीत: ’80 करोड़ हिंदुओ को जूते की नोक पर रखता हूं’, बयान देने वाला मौलाना रेहान रजा खान गिरफ्तार – Pilibhit Maulana Rehan Raza Khan arrested for saying keep 80 crore Hindus at my feet lclnt'कांग्रेस देश को बताए कि 26/11 हमले के बाद सैन्य कार्रवाई से किसने रोका था', PM मोदी का बड़ा हमलाअखिलेश यादव- आजम खान की 23 महीने बाद मुलाकात, क्या बन गई बात? देखें2 साल पहले बैन हुए कफ सिरप फॉर्मूले से हुई बच्चों की मौत, केंद्र की चेतावनी को राज्यों व कंपनियों ने किया नजरअंदाजWHO ने Coldrif Cough Syrup पर भारत से मांगा जवाबRajat Sharma's Blog | कफ सिरप का ज़हर: लालच और लापरवाही का ये खेल बंद होN. Raghuraman’s column – Why does a busy employee’s activities fail to yield results? | एन. रघुरामन का कॉलम: एक व्यस्त कर्मचारी की गतिविधियां परिणाम क्यों नहीं दे पाती?संभल: हेयर स्टाइलिस्ट जावेद हबीब के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, संपत्ति हो सकती है कुर्क, 23 FIR दर्ज – Lookout notice issued against hair stylist Jawed Habib property may be confiscated lclamज्योति सिंह के हंगामे पर भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह की सफाई, कहा-मुझे परेशान करने के लिए हंगामा हो रहाDr. Anil Joshi’s column – Why is rain no longer limited to one season? | डॉ. अनिल जोशी का कॉलम: बारिश अब किसी एक ही मौसम तक सीमित क्यों नहीं रह गई है?
देश

N. Raghuraman’s column – Is the child ready for campus life? If not, start today | एन. रघुरामन का कॉलम: क्या बच्चा कैंपस लाइफ के लिए तैयार है? नहीं, तो आज से ही शुरू करें

  • Hindi News
  • Opinion
  • N. Raghuraman’s Column Is The Child Ready For Campus Life? If Not, Start Today

26 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
एन. रघुरामन मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन मैनेजमेंट गुरु

अगले दस दिनों में कई माता-पिता अपने बच्चों को पहली बार कॉलेज या विश्वविद्यालय भेजेंगे। यह ऐसा महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहां अक्सर उत्साह से ज्यादा चिंता होती है। कम से कम मुझे ऐसा ही महसूस हुआ था, जब मैंने अपनी बेटी को भेजा था। यह ऐसा समय होता है, जब अभिभावकों में बच्चों को अपनी निगरानी में घर पर ही रखने की इच्छा भी पैदा होती है।

हाई स्कूल से विश्वविद्यालय का यह बदलाव आपको खुद से यह सवाल जरूर कराएगा कि ‘क्या वह सेहतमंद भोजन करना जानती/जानता है? क्या वह बजट बनाना जानता/जानती है, ताकि पूरे महीने का खर्च चल सके? और इतने सरल सवाल तक कि क्या उसकी अपने रोजमर्रा के काम करने की आदत है?’ नई शुरुआत का उत्साह और छोड़ने का गम, इन दोनों के बीच ये परिवार झूलते रहते हैं।

याद रखें कि हालांकि हम उन्हें व्यस्क बना रहे होते हैं और यह उनके जीवन का सबसे अच्छा समय होता है, लेकिन कहीं ना कहीं यह हमारे भीतर भावनाओं का ज्वार भी लाता है। इसमें यह भी शामिल होता है कि क्या बच्चे को क्रेडिट कार्ड की जरूरत होगी या मैं उसके फोन पर पैसे ट्रांसफर करूंगा। क्या यह देख सकूंगा कि वह कैसे दोस्त बनाएगा?

विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि किशोरों को खुद ही प्रयोग करके अपना रास्ता खोजना होता है, लेकिन फिर भी कुछ बुनियादी सवाल है, जिन्हें माता-पिता के तौर पर पूछे जाने की आवश्यकता है। यह बहुत सामान्य लगता है, लेकिन बातचीत शुरू करने लिए सवाल अच्छा है कि आप अपने बच्चे से पूछें कि वे नए स्थान पर जाने के बारे में कैसा महसूस कर रहे हैं?

बातचीत को आसान और सहज बनाने के लिए पूछें कि ‘बताओ, हम कितनी बार तुम्हें मैसेज या कॉल करें? याद रखो, तुम्हारी मां हमेशा तुम्हारी चिंता करती रहेगी, इसलिए उनकी चिंता को समझकर इसका जवाब देना।’ वास्तव में यह सवाल पूछकर और इसे समझा कर आप माता-पिता और व्यस्क बनने जा रहे एक किशोर के बीच एक नई दिनचर्या और नए रिश्ते की स्थापना कर रहे होते हैं।

इसके बाद अगला सवाल होना चाहिए कि वह किस बात को लेकर उत्साहित हैं और किस बात से घबराए हैं। बीते पांच साल में सबसे बड़ा मसला जो मैंने देखा, वह यह कि प्रथम वर्ष के अधिकतर विद्यार्थी कैंपस कैंटीन में परोसा गया भोजन नहीं करना चाहते।

इसका मतलब है कि वे पड़ोस की किराने की दुकानों में ज्यादा जाएंगे और संभवतः यहीं से वे अधिक चीनी युक्त चीजों की ओर आकर्षित होंगे। उन्हें समझाएं कि हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थी अपने खाने के लिए खुद ही जिम्मेदार होते हैं। यदि वे खाने को लेकर नखरे करते हैं तो उन्हें कैंटीन के मेन्यू के बारे में बताएं। उन्हें अनुभव देने के लिए घर में भी कुछ कैंटीन जैसी चीजें बनाएं।

मसलन, दक्षिण भारत का कोई विद्यार्थी उत्तर के किसी विश्वविद्यालय में प्रवेश ले रहा है तो उसे अपने भोजन में सांभर के बजाय दाल के लिए अधिक अभ्यस्त होना पड़ेगा। अभिभावकों को विशेषज्ञ एक चेतावनी भी देते है कि अपनी अपेक्षाओं को नियंत्रण में रखें। माता-पिता के तौर पर हमें समझना चाहिए कि कैंपस लाइफ में पहली बार प्रवेश प्रयोगों और गलतियों का नाम है।

कैंपस का पहला वर्ष तयशुदा अपेक्षाओं और परिणामों के बजाय प्रयोग करने, अनुभव करने और इन्हें प्रसंस्कृत करने का मौका होता है। और मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि हॉस्टल के कमरे में उनकी अलमारी को व्यवस्थित करने न जाएं। उन्हें अपनी साझेदारी वाली अलमारी स्वयं व्यवस्थित करने दें।

फंडा यह है कि किशोर अज्ञात चीजों को लेकर चिंतित रहते हैं। उन्हें यह भरोसा दिलाना कि आप उनके साथ हैं, बहुत मददगार होता है। इसलिए अगले दस दिनों तक आपकी हर बात में एक ही सुर होना चाहिए कि ‘तुम्हें क्या चाहिए और मैं तुम्हारी कैसे मदद कर सकता हूं?’ देखिए, यह रिश्तों को एक नया मोड़ देगा।

खबरें और भी हैं…

Source link

Check Also
Close



DEWATOGEL