Saturday 06/ 09/ 2025 

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Column by Pandit Vijayshankar Mehta- If you go to any religious place, return with peace in the Prasad | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: किसी धर्मस्थल में जाएं तो प्रसाद में शांति लेकर लौटैं

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2 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

इस समय प्रबंधन की दुनिया में ऐसा माना जाता है कि पाठ्यक्रम में चापलूसी और षड्यंत्र- दो विषय जरूरी हैं। ऐसा सिखाया भी जाता है। आगे बढ़ना हो तो चापलूसी के सारे पैंतरे आने चाहिए और शीर्ष पर बने रहने के लिए दूसरों को वहां आने से रोकने के लिए जितना षड्यंत्र करना पड़े, कर ​डालिए।

ऐसे में चाहे आप नौकरी में हों या कारोबार में, दबाव आना ही है। इसके बीच कोई रास्ता निकालना होगा। तो देखने में आया है कि इस समय देश में 75% लोग इनडोर लाइफ को चेंज करना चाहते हैं और कुछ समय के लिए घूमने निकलना चाहते हैं। इसीलिए धार्मिक पर्यटन एक नए रूप में सामने आ रहा है। हमें इसे नियमित बनाना चाहिए।

परिवार के साथ धार्मिक स्थलों पर घूमने जाएं और वहां सुख, साधन और शांति- तीनों की तलाश करें। सामान्य प्रक्रिया यह है कि किसी धार्मिक स्थल से जब हम लौटते हैं तो कुछ ना कुछ प्रसाद लेकर आते हैं। तो हमारा प्रसाद यही होना चाहिए कि हम जिस ताजगी के लिए गए थे, उसके साथ शांति भी लेकर लौटे हैं।

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