Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Whether something is sudden or incomplete, look for God in both. | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: कुछ अचानक हो या अपूर्ण, दोनों में ही ईश्वर को देखो

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7 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
हम मनुष्यों के जीवन में अचानक और अपूर्ण- ये दो शब्द और उनसे जुड़ी स्थितियां बहुत महत्वपूर्ण हैं। बहुत कुछ अनपेक्षित, अज्ञात जीवन में घटता ही है। और जब अचानक होता है तो हम परेशान हो जाते हैं। ऐसे ही बहुत कुछ अपूर्ण है।
आपको जो भी मिलेगा, वो कहीं ना कहीं अपूर्ण है। तो पूर्ण के लिए बहुत अधिक परेशान न हों। सब मिल जाए, जो कुछ भी दिख रहा है वो हमारा हो जाए… ऐसा हो नहीं सकता। अब अचानक का उदाहरण समझें।
जब भी जीवन में कुछ अचानक हो, उसको ऊपर वाले की आज्ञा मानकर स्वीकार करो। श्रीराम के जीवन में दो घटनाएं थीं। उनके राजतिलक की घोषणा भी अचानक थी और वनवास जाने की सूचना भी। और दोनों ही समय उन्होंने बड़ी बुद्धिमानी से काम लिया।
ऐसे ही कृष्ण की सुंदरता पूरी दुनिया में मान्य है, लेकिन वे भी जब जगन्नाथ पुरी में विराजते हैं तो अपूर्ण हैं। तो ये दोनों घटनाएं हमसे कहती हैं- अचानक हो या अपूर्ण, दोनों में ईश्वर को देखो।
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