Saturday 25/ 10/ 2025 

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क्या कर्पूरी ठाकुर बने बिहार में BJP के EBC आइकॉन? समस्तीपुर से मोदी का सियासी संदेश समझ‍िए – Bihar election Narendra Modi EBC voters Karpoori Thakur Samastipur ntcpmm

बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा अहम हो चुकी है. 112 जातियों वाला ये वर्ग राज्य की कुल आबादी का करीब 36% हिस्सा है. यही नहीं, पिछले कुछ सालों में ये वर्ग ही बिहार के चुनावी समीकरण तय कर रहा है.  यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बिहार चुनाव अभियान की शुरुआत समस्तीपुर से की जो पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की कर्मभूमि रही है.

EBC राजनीति की जड़ें भी कर्पूरी ठाकुर तक ही जाती हैं. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में पिछड़ी जातियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति जानने के लिए एक आयोग गठित किया था. 1970 के दशक के अंत में जब वे दोबारा मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने आयोग की सिफारिशें लागू कर दीं.

बता दें कि EBC की 112 जातियों में से सिर्फ 12 जातियां ऐसी हैं जिनकी जनसंख्या इतनी बड़ी है कि राजनीतिक दल उन्हें सीधे तौर पर लुभाने की कोशिश करते हैं. इसलिए पार्टियां बाकी जातियों तक पहुंचने के लिए प्रतीकात्मक राजनीति (symbolism) का सहारा लेती हैं और कर्पूरी ठाकुर आज भी उस राजनीति का सबसे बड़ा प्रतीक हैं.

समस्तीपुर में EBC वोट बैंक सबसे अहम

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बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें

समस्तीपुर जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं. यहां बीजेपी का प्रदर्शन हमेशा सीमित रहा है. साल 2010 विधानसभा चुनाव की बात करें तो तब बीजेपी ने यहां अपने दोनों उम्मीदवारों की जीत के साथ 100% स्ट्राइक रेट बनाया था लेकिन तब उसका सहयोगी जदयू इस इलाके की बड़ी ताकत थी.

फिर 2015 के चुनाव से पहले जब जदयू पाला बदलकर महागठबंधन (राजद + कांग्रेस + जदयू) का हिस्सा बन गई तो बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली. उस साल महागठबंधन ने समस्तीपुर की सभी 10 सीटें जीत लीं. साल 2020 में फिर गठबंधन बदला और बीजेपी-जदयू साथ आए. इस बार दोनों ने मिलकर 10 में से 5 सीटें जीतीं जबकि राजद को 4 सीटें मिलीं. 

बेगूसराय: जहां हर चुनाव में बदलता है मूड

समस्तीपुर से सटे बेगूसराय जिले का वोट पैटर्न हमेशा से अस्थिर (volatile) रहा है.
साल 2010 में यहां बीजेपी-जदयू गठबंधन ने यहां 7 में से 6 सीटें जीती थीं.
साल 2015 में जब दोनों अलग-अलग लड़े तो राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की.
साल 2020 में तस्वीर फिर बदली और इस बार जदयू का खाता भी नहीं खुला जबकि बीजेपी और राजद को 2-2 सीटें मिलीं.

EBC वोट और ‘स्विंग’ इलाकों पर फोकस 

प्रधानमंत्री मोदी ने 24 अक्टूबर को अपने दो चुनावी रैलियों के लिए समस्तीपुर और बेगूसराय को इसलिए चुना क्योंकि दोनों ही जिलों से दो संदेश दिए जा सकते थे. इनमें से एक, EBC वर्ग को लुभाने का था और दूसरा उन इलाकों में पकड़ मजबूत करने का जहां मतदाता बार-बार पाला बदलते हैं.

इन दोनों जिलों का नतीजा बिहार के बड़े चुनावी ट्रेंड का संकेत भी देता है. वो ये कि अब अगली सरकार में निर्णायक भूमिका फिर से अति पिछड़ा वर्ग ही निभा सकता है.

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