Chhath Puja 2025: छठ पर्व के तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य का अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि – Chhath 2025 third day puja surya arghya Vidhi shubh muhurt upay significance tvisu

Chhath Puja 2025: धनतेरस और दिवाली के बाद लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है. यह त्योहार चार दिन तक चलता है. इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है. दूसरे दिन खरना का विधान होता है. तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. और चौथी व अंतिम दिनउगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने की परंपरा होती. सोमवार, 27 अक्टूबर को छठ का चौथा दिन है. इस दिन शाम के समय अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
छठ के तीसरे दिन की पूजा
कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और शाम के समय नदी, तालाब या किसी जल स्रोत के किनारे पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. अर्घ्य के लिए एक बांस के बने सूप में फल, ठेकुआ, गन्ना, नारियल और अन्य प्रसाद रखा जाता है. इस समय सूर्य देव को दूध और जल मिश्रित जल से अर्घ्य देने की परंपरा होती है.
इसके बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि यानी की छठ पूजा के चौथे दिन सुबह-सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसी के साथ यह व्रत समाप्त हो जाता है.
शाम के अर्घ्य देने की विधि
छठ पूजा के तीसरे दिन संध्याकाल में व्रती नदी या घाट पर एकत्र होते हैं. एक सूप में विभिन्न फल, ठेकुआ, नारियल, गन्ना और दीपक सजाकर रखा जाता है. सूर्यास्त से पहले सूर्य की तरफ मुख करके पीतल के पात्र या कलश से अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हैं. इसके बाद परिवार के कल्याण की मनोकामना की जाती है. आखिर में दीपक जलाकर उसे जल में प्रवाहित करना भी शुभ माना जाता है.
अर्घ्य देने का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा पर शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे उत्तम समय शाम 5 बजकर 10 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 58 मिनट तक रहने वाला है.
छठ व्रत के लाभ
यह व्रत संतान की प्राप्ति, उसके स्वास्थ्य और प्रगति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यदि संतान पक्ष में किसी प्रकार की परेशानी हो तो यह व्रत राहत प्रदान करता है. यह पाचन तंत्र और त्वचा संबंधी रोगों में भी लाभकारी माना जाता है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में सूर्य का प्रभाव कमजोर होता है, उनके लिए यह व्रत विशेष रूप से फलदायी होता है.
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