Raghuram Rajan’s column: It’s no longer right to separate profits and the environment. | रघुराम राजन का कॉलम: अब मुनाफे और पर्यावरण को अलग करके देखना ठीक नहीं

- Hindi News
- Opinion
- Raghuram Rajan’s Column: It’s No Longer Right To Separate Profits And The Environment.
9 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

रघुराम राजन, आरबीआई के पूर्व गवर्नर
अमेरिकी सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के अध्यक्ष पॉल एटकिंस ने हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स में लिखा कि एसईसी को कंपनियों से केवल इसी मानदंड पर जानकारी प्रदान करने की अपेक्षा करनी चाहिए कि क्या कोई समझदार निवेशक उसे महत्वपूर्ण मानेगा? जबकि सामाजिक परिवर्तन लाने की चाह रखने वाले नियम इस कसौटी पर खरे नहीं उतरते और निवेशकों को भी निराश करते हैं।
प्रथमदृष्टया तो एटकिंस का बयान साधारण और तर्कसंगत लगता है। लेकिन यह हमारे सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा करता है : किसी फर्म के वित्तीय प्रदर्शन के लिए क्या महत्वपूर्ण है? एटकिंस ईयू के कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग निर्देशों का हवाला देते हैं।
ये निर्देश पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन संबंधी जानकारियों की पारदर्शिता में सुधार के लिए कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग का विस्तार और मानकीकरण करते हैं। पर एटकिंस की दलील है कि ऐसी जानकारियां सामाजिक रूप से तो महत्वपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन अमूमन वित्तीय रूप से फायदेमंद नहीं होतीं।
लेकिन अगर यूरोपीय नियामकों को लगता है कि पर्यावरण महत्वपूर्ण है और वे अपने इस विश्वास के अनुसार कार्य करते हैं, तो इसका यूरोप में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यापार की लागत पर भौतिक प्रभाव भी तो पड़ता है।
पिछले महीने ही, पेरिस की एक अदालत ने पाया कि बहुराष्ट्रीय एकीकृत ऊर्जा और पेट्रोलियम कंपनी टोटलएनर्जीज़ ने यह दावा करके भ्रम पैदा किया था कि वह एनर्जी ट्रांजिशन में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है।
यूरोपीय संघ के उस कानून का हवाला देते हुए- जिसके अनुसार पर्यावरण संबंधी दावों के लिए उद्देश्यपूर्ण, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध और सत्यापन योग्य प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों का समर्थन आवश्यक है- अदालत ने पाया कि कंपनी की जलवायु संबंधी घोषणाएं हाइड्रोकार्बन में उसके विस्तारित निवेश के अनुरूप नहीं हैं। हालांकि कंपनी पर लगे जुर्माने अधिक नहीं हैं, लेकिन भविष्य में इनके बढ़ने की संभावना है- और इसीलिए यह निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जाहिर है कि आज कंपनियों की पर्यावरण-अनुकूल रणनीतियों या उन्हें सार्वजनिक करने की जरूरत पर अमेरिकी नियामक बहुत कम ध्यान देते हैं। लेकिन अगर कहीं और के नियामक इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं, तो ऐसी रणनीतियां उन कंपनियों के लिए अभी भी महत्वपूर्ण हैं, जो सीमा पार व्यापार करती हैं।
और चूंकि अमेरिका में पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन संबंधी नीतियों के गुण-दोषों को लेकर डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच गहरा मतभेद है, इसलिए जो कंपनी इनसे संबंधित कार्रवाइयों से बचती है, वह भविष्य में खुद को मुश्किल में पा सकती है। क्या दीर्घकालिक आय को महत्व देने वाले निवेशकों को इन मुद्दों पर अपना निर्णय लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए?
केवल नियामक ही इसकी परवाह नहीं करते। टोटलएनर्जीज़ के मामले में चिंता यह थी कि ग्राहक कंपनी की पर्यावरण संबंधी घोषणाओं से गुमराह हो जाएंगे। एक निरंतर गर्म होती दुनिया में यह उम्मीद करना वाजिब है कि कुछ लोगों के खरीदारी के फैसले कंपनी की पर्यावरण संबंधी कार्रवाइयों से प्रभावित हो सकते हैं।
इसके अलावा, शोध बताते हैं कि बेहतर पर्यावरण संबंधी कार्रवाइयों वाली ब्राजीलियाई कंपनियां अधिक कुशल श्रमिकों को आकर्षित करती हैं और अंततः बेहतर प्रदर्शन करती हैं। इसका यह मतलब है कि पर्यावरण के प्रति सजगता का प्रदर्शन करने का सार्वभौमिक राजनीतिक प्रभाव है या नहीं, यह बात गौण है। लेकिन यदि वह बेहतर श्रमिकों को आकर्षित करता है और किसी फर्म के लाभ में वृद्धि करता है तो कंपनी के शेयरधारक इसके बारे में जानना चाहेंगे।
कॉर्पोरेट-डिसक्लोजर के लक्षित वर्गों के बारे में एटकिंस एक वैध चिंता जरूर व्यक्त करते हैं। वे उन नियमों का विरोध करते हैं, जो उन शेयरधारकों के लिए बनाए गए हैं, जो सामाजिक परिवर्तन लाना चाहते हैं या जिनके उद्देश्य अपने निवेश पर वित्तीय लाभ को अधिकतम करने से संबंधित नहीं हैं। लेकिन क्या होगा अगर कुछ शेयरधारक सामाजिक रूप से लाभकारी प्रैक्टिसों के लिए अपने लाभ का त्याग करने को तैयार हैं?
तब क्या उनकी प्राथमिकताओं को नजरअंदाज किया जाना चाहिए? यह क्या बात हुई कि कोई कंपनी अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए पर्यावरण को प्रदूषित करना जारी रखे, ताकि बाद में उसके पर्यावरण के प्रति सजग शेयरधारक अपनी बढ़ी हुई संपत्ति का कुछ हिस्सा सफाई के लिए खर्च कर सकें? जबकि यह जाना-माना तथ्य है कि पर्यावरण में सुधार करना प्रदूषण को रोकने की तुलना में कहीं अधिक महंगा होता है।
यह क्या बात हुई कि कोई कंपनी अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए पर्यावरण को प्रदूषित करना जारी रखे, ताकि बाद में उसके पर्यावरण के प्रति सजग शेयरधारक अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा सफाई के लिए खर्च कर सकें? (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)
Source link