बवाली गाने, रैलियों में हुड़दंग, SIR पर अलर्ट… बिहार के नतीजों से क्या-क्या सबक ले रहे हैं अखिलेश? – bihar election impact up politics akhilesh yadav style songs sir process ntcpkb

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत ने उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा चिंता समाजवादी पार्टी की बढ़ा दी है. 2024 के लोकसभा चुनाव की आधार पर सत्ता में वापसी की उम्मीद देख रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव बिहार के नतीजे के बाद अलर्ट हो गए हैं और कार्यकर्ताओं और नेताओं को लेकर हिदायत देना भी शुरू कर दिया है.
अखिलेश यादव ने अपनी यूपी की रणनीति में बदलाव किया, क्योंकि बिहार में बवाली गाने, आरजेडी की रैलियों में युवाओं की हुड़दंग और एसआईआर जैसे मुद्दों ने महागठबंधन के सारे सियासी समीकरण को बिगाड़ दिया था. यही वजह है कि अखिलेश सतर्क हो गए हैं और बिहार में महागठबंधन जैसी गलती यूपी में वह नहीं दोहराना चाहते हैं.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को कहा कि बिहार जैसे गाने मत बना देना. इसके साथ ही उन्होंने मीडिया से भी कहा कि किसी भी गाने को हमारी पार्टी से मत जोड़ देना., अखिलेश ने यह बात रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कही.
बवाली गाने ना बनाने की दी नसीहत
बिहार में आरजेडी के समर्थन में गानों की भाषा सियासी मुद्दा बन गई थी, जिसे लेकर लोगों में काफी नाराजगी देखने को मिली थी. इस गाने में दबंगई और कट्टे जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था. इसे लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि: ‘जंगलराज’ वाले सत्ता में आने के लिए बेचैन हैं, इन्हें जनता की सेवा नहीं करनी बल्कि ये जनता को कट्टा दिखाकर लूटना चाहते हैं.
पीएम मोदी ने कहा था कि आरजेडी-कांग्रेस के रैलियों और प्रचार में गाना चल रहा है, ‘मारब सिक्सर के, 6 गोली छाती में.’ कट्टा, छर्रा, दुनाली ही इनका तौर-तरीका और प्लान है. आरजेडी को नुकसान भी उठाना पड़ा. इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए अखिलेश यादव ने कलाकारों से अपील की है.
अखिलेश यादव ने कहा कि मैं अपने कलाकारों से कहूंगा कोई ऐसा बिहार वाला गाना मत बना देना और हम अपने प्रेस के साथियों से कहेंगे कि कोई गाना कैसा भी बनाए हमारा मत बता देना. एआई का जमाना है, क्योंकि आजकल सबकुछ बहुत जल्दी तैयार हो जाता है.
अखिलेश जानते हैं कि इस तरह के गानों को बीजेपी सियासी मुद्दा बनाकर उनके खिलाफ सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती हैय यूपी चुनाव से पहले अखिलेश यादव कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. इसीलिए नुकसान से बचने के लिए अखिलेश यादव ने पहले ही तैयारी कर ली है और अपने समर्थकों को नसीहत दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर उस तरह का कोई एक गाना भी आया तो उसे सपा के शासन काल और सपा के समर्थकों से जोड़ दिया जाएगा.
रैलियों में हुड़दंग से बचने का दांव
तेजस्वी यादव के चुनाव हारने की एक बड़ी वजह, उनकी पार्टी के समर्थकों का हुड़दंग रहा. तेजस्वी यादव की रैली में जिस तरह आरजेडी के समर्थक सड़कों पर हुड़दंग करते हुए पहुंच रहे थे, खासकर यादव समुदाय, उसके चलते दूसरे समाज के लोग ने दूरी बना ली थी. कहा गया कि तेजस्वी की रैली में अगर 5 हजार लोग पहुंचते थे, तो 10 हजार वोट कम हो जाते थे
बिहार के लोग आरजेडी की रैलियों में तेजस्वी के समर्थकों की आक्रामकता देखकर कहते थे कि ‘भैया, अभी चुनाव है… अभी सत्ता में नहीं आए हैं, तब यह हाल है, सत्ता में आ गए तो क्या हाल होगा?’ इसका वीडियो शेयर करते हुए अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों को सियासी संदेश देने की कवायद की थी.
अखिलेश यादव 2022 के चुनाव में अपने बड़बोले समर्थकों और उनकी हुड़दंगी के चलते सत्ता में आते-आते रह गए थे. यही वजह है कि अखिलेश अभी से अपने नेताओं को सतर्क करना शुरू कर दिया है ताकि 2027 के चुनाव में नुकसान ना हो सके.
एसआईआर पर अपना अलग दांव
बिहार में चुनाव से पहले मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया की गई थी, जिसे लेकर आरजेडी और कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाया था. इसके बावजूद महागठबंधन को सियासी लाभ नहीं मिला, जिसके चलते सपा ने यूपी में अपनी रणनीति में बदलाव किया. एसआईआर प्रक्रिया का पहले सपा ने विरोध किया, लेकिन अब अखिलेश यादव ने अपने वरिष्ठ नेताओं की पूरी फौज उतार दी है.
अखिलेश यादव ने SIR प्रक्रिया में खामियां गिनवाते हुए चुनाव आयोग और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जानबूझकर SIR के द्वारा मतदाताओं से वोटिंग का अधिकार छीना जा रहा हैय सपा अब गांव-गांव में पीडीए प्रहरी नाम से एक प्रोग्राम चला रही है, जिसमें एसआईआर प्रक्रिया में लोगों को फार्म भराने और नाम जोड़े जाने, घटाए जाने पर नजर रख रहे हैं.
सपा सांसद राजीव राय ने कहा कि SIR के जरिए पिछड़े दलितों का वोट काटने की साजिश हो रही है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि अखिलेश यादव के निर्देश पर हम पीडीए प्रहरी के नज़रिए से सभी सबूतों को इकट्ठा कर साजिशों को चुनाव आयोग के सामने लाएं और जिनके नाम हट गए हैं कि उनके नाम वापस जोड़े जाएं और किसी के नाम न काटे जाएंय.
अखिलेश यादव चल रहे बड़ा दांव अखिलेश यादव और डिंपल यादव की तरफ से यह बयान भी आया है कि SIR को बढ़ा देना चाहिए, क्योंकि अभी उत्तर प्रदेश का चुनाव होने में काफी समय शेष है. इस तरह सपा ने एसआईआर प्रक्रिया का विरोध करने के बजाय उस पर निगरानी रखने की रणनीति बनाई है ताकि समय रहते अपने वोटबैंक को बचाए रखा जा सके.
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