Pt. Vijayshankar Mehta – We need a set of virtues to counteract our vices. | पं. विजयशंकर मेहता: दुर्गुणों का सामना करने के लिए हमें गुण-समूह चाहिए

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7 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
हमारे जीवन पर अलग-अलग रास्तों से दुर्गुणों का आक्रमण होता है, तो हमें तैयारी भी उतनी ही तगड़ी करनी होगी। एक या दो गुणों से हम अनेक दुर्गुणों का सामना नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमारे भीतर गुण-समूह होने चाहिए।
शिव जी ने गरुड़ जी से कहा- जाइ सुनहु तहं हरि गुन भूरी, होइहि मोह जनित दु:ख दूरी। काकभुशुंडि जी के पास जाकर हरि के गुण-समूहों को सुनो, मोह से उत्पन्न तुम्हारा दु:ख दूर हो जाएगा। अब पहली बात तो ये कि भगवान भी गुण-समूह में विश्वास रखते हैं। छोटे-छोटे गुणों को धैर्य और निरंतरता से अपने भीतर स्थापित किया जा सकता है।
यह समूह में गुण हों, ऐसा समय है। क्योंकि मोह से जब दु:ख उत्पन्न होता है तो उसका सामना करने के लिए गुण-समूह चाहिए। और हम लगातार इसका प्रयास करते रहें कि जहां से भी, जो भी गुण हमको लगे कि ये अपनाया जा सकता है, तो अपना लें। अब जो समय आ रहा है, उसमें लगभग हर गतिविधि में एक दुर्गुण तो मिलेगा। तो क्यों ना अपने भीतर गुणों का समूह एकत्रित किया जाए।
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