Pt. Vijayshankar Mehta’s column – Conduct should be such that it becomes a culture for children | पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: आचरण ऐसा हो, जो बच्चों के लिए संस्कार बन जाए

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11 घंटे पहले
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पं. विजयशंकर मेहता
बीएसएफ का स्लोगन है- फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस। यही बात बच्चों के लिए संस्कार की फिलॉसफी बन जाती है। बच्चों की फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस अब संस्कार होना चाहिए। दुनिया में जो भी लोग सफल दिखते हैं, वो कोई जादू से नहीं हुए हैं।
उन्होंने प्रयासों की पुनरावृत्ति की है, निर्णयों में दृढ़ता रखी है और पूर्ण समर्पण और परिश्रम से काम किया है। इस समय ये संस्कार हैं। जब हमारे बच्चे सफल होंगे तो दुनिया उनकी सफलता तो देखेगी, लेकिन उसके पीछे के संस्कार नहीं देख पाएगी। हमें भी घरों में बच्चों को केवल बोलकर, समझा-समझाकर संस्कार नहीं देने हैं।
संस्कार देने का सबसे अच्छा ढंग है- आचरण। घर के सदस्यों का आचरण ऐसा हो, जो बच्चों के लिए संस्कार बन जाए। अगर हम इन्हें बिना संस्कार दिए सफलता के सूत्र सिखाएंगे तो हमारी और हमारे बच्चों की विल पावर एग्जॉस्ट हो जाएगी। पूरा परिवार थक जाएगा। आज बच्चों के लालन-पालन को लेकर लोग मायूस-से होते जा रहे हैं। इसे समस्या नहीं, चुनौती मानें। इससे निपटने का एक ढंग यह है कि सही संस्कार, सही समय पर दिए जाएं।
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