N. Raghuraman’s column – Who says the darkness of winter will make you sad? | एन. रघुरामन का कॉलम: कौन कहता है सर्दियों का अंधेरा आपको उदास कर देगा?

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2 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
अंधेरा हम पर छा रहा है। हम देश में जितना उत्तर में जाएंगे, उतना अधिक अंधेरा छाएगा। यह बुरी खबर नहीं है। मेरा मतलब उदासी से नहीं, हमारे प्रोडक्टिव समय से है। जो थोड़े आत्म-अनुशासित लोग हैं, अंधेरा उनके दिन का भी कम से कम एक घंटा चुराने वाला है। क्योंकि स्वाभाविक तौर पर कई लोग इस अतिरिक्त एक घंटे में गर्म कंबल में ही रहना चाहेंगे।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में हेल्थ इकोनॉमिक के प्रोफेसर जोआन कोस्टा आई फॉन्ट इसे ‘विंडफॉल ऑवर’ कहते हैं। 1984 से 2018 के बीच 30 हजार लोगों पर किए उनके शोध में खुलासा हुआ कि यह लोगों को अधिक ऊर्जा देने, चिंता कम करने और खुश रहने में मददगार है और बेहतर महसूस कराता है।
छोटे दिन और बड़ी रातों वाले सर्दी के दिनों में वेल-बीइंग समेत शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर उनके शोध ने कई सकारात्मक पहलू दिखाए। कई लोगों के लिए तो यह तय दिनचर्या से अच्छा ब्रेक है। लेकिन जो वर्कहॉलिक्स मानते हैं कि उनके उत्पादकता के घंटे कम हो गए, तो उनके लिए कुछ आइडिया पेश हैं कि वे इन कथित अंधेरे दिनों में क्या करें।
1. अंधेरे या कहें कि मद्धम रोशनी में दौड़ना या साइकिल चलाना बेहतर है। एसेक्स यूनिवर्सिटी ह्यूमन परफॉर्मेंस यूनिट के एक्सरसाइज साइंटिस्ट्स के समूह ने सुझाया कि चूंकि अंधेरे में आपको संदर्भ के इतर और कुछ नहीं दिखता, जैसे पेड़ इत्यादि तो आपका ऑप्टिकल फ्लो बाधित नहीं होता। नतीजतन, दौड़ और साइकिलिंग में स्पीड का बेहतर अंदाजा होता है। इससे और आगे बढ़कर स्वीडन के केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के फिजियोलॉजिस्ट्स ने सैनिकों के एक समूह से अंधेरे का वातावरण बनाने के लिए आंखों पर पट्टी बांध कर ट्रेडमिल पर चलने या 25.5 किलो का बैकपैक लटकाकर चलने के लिए कहा। उन्होंने पाया कि जब दिन का प्रकाश कम हुआ तो प्रतिभागियों ने अपनी चाल में बदलाव कर लिया। उन्होंने अंधेरे में कड़ी मेहनत की और अंधेरे में सीमित दृष्टि का उनके यांत्रिक प्रभाव पर उल्लेखनीय प्रभाव दिखा।
2. स्टुटगार्ट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों के अलग-अलग अध्ययनों में कहा गया है कि अंधेरी रातें अधिक रचनात्मक बनाए रखने में सहायक हैं। वैज्ञानिकों ने अलग-अलग रोशनी वाले कमरों का उपयोग कर प्रतिभागियों को अंधेरे या कम रोशनी के माहौल में रखा। उन्होंने पाया कि कमरों में रोशनी जितनी कम थी, उनकी रचनात्मकता और नए विचार उतने ही अधिक थे। जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल साइकोलॉजी में अपने निष्कर्षों उन्होंने कहा कि ‘अंधेरा बंधनों से मुक्ति का भाव बढ़ाता है, जिससे रचनात्मकता बढ़ती है।’
3. अच्छी नींद अंधेरे, शांत और ठंडे वातावरण पर निर्भर करती है। जब प्रकृति बिना मांगे ही यह दे रही है तो अपनी स्क्रीन को मिनिमम रखें। आसानी से सो जाना मुश्किल नहीं। बाहर के अंधेरे को आरामदायक और री-स्टोरेटिव बनाना शुरू करें। लिवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी के प्रोफेसर रूथ ओग्डेन सलाह देते हैं कि तापमान व रंगों में आ रहे बदलाव को अपनाएं।
4. सूरज निकलने या डूबने के समय 5 से 15 मिनट टहलना हमारी सर्कैडियन रिदम पर असर डालता है और बॉडी क्लॉक को री-सेट करता है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले 85 हजार लोगों पर एक अध्ययन में पता चला कि प्राकृतिक प्रकाश के नियमित संपर्क से उनके मूड, नींद के पैटर्न और शारीरिक गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ। अब से होली तक सूर्य का प्रकाश कम हो जाता है, जो कि विटामिन-डी का मुख्य स्रोत है। जिनमें विटामिन डी कम होता है, उन्हें डॉक्टर सलाह देते हैं कि हर सप्ताह कॉलेकैल्सिफेरॉल ग्रेन्यूल्स की 60 हजार आईयू प्रति ग्राम की खुराक लेने के बजाय खुद ही शरीर को प्रकाश में रखें तो बेहतर होगा।
5. मस्तिष्क में पीनियल ग्रंथि द्वारा स्रवित मेलाटोनिन हॉर्मोन को ‘हॉर्मोन ऑफ डार्कनेस’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह रात में स्रवित होता है। यह केवल नींद को ही प्रोत्साहित नहीं करता, बल्कि इम्यून सिस्टम भी मजबूत करता है। याद रखें, आप सर्दी के संक्रमणों से लड़ने में बेहतर सक्षम हैं।
फंडा यह है कि सर्दियों के मौसम का भी अपना उजला पहलू है। इसका सबसे अच्छा इस्तेमाल करें ताकि अगले नौ महीनों के लिए फिट रहें।
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